लाहौर। अपनी ताजपोशी की तैयारियों में जुटे पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज [पीएमएल-एन] के प्रमुख नवाज शरीफ ने सोमवार को कहा कि वह अपने शपथ ग्रहण समारोह में भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को आमंत्रित करेंगे। हालांकि खबरें आ रही हैं कि मनमोहन सिंह नहीं जाएंगे। उल्लेखनीय है कि नवाज को जीत की बधाई के साथ मनमोहन उन्हें भारत आने का निमंत्रण पहले ही दे चुके हैं। भाजपा ने उनकी इस पहल को जल्दबाजी में उठाया गया कदम करार दिया है जबकि जम्मू-कश्मीर के मुख्य राजनीतिक दलों ने मनमोहन की इस पहल का स्वागत किया है।
नवाज शरीफ ने मनमोहन सिंह को आमंत्रित करने के बारे में विदेशी पत्रकारों के सवाल के जवाब में कहा, ‘अगर वह यहां पर आते हैं तो यह हमारे और पाकिस्तान के लिए बहुत खुशी की बात होगी।’ उनसे पूछा गया था कि क्या वह अपने तीसरे शपथ ग्रहण समारोह में मनमोहन को बुलाने पर विचार कर रहे हैं? शरीफ ने कहा, ‘उन्होंने [मनमोहन] ने मुझे रविवार को फोन किया था। फोन पर हमारी लंबी बातचीत हुई थी। उन्होंने मुझे भारत आने और मैंने उन्हें पाकिस्तान आने का न्योता दिया। वह वास्तव में पाकिस्तान के ही एक जिले के हैं।’ ज्ञातव्य है कि मनमोहन सिंह का पैतृक गृहनगर पाकिस्तान के पंजाब प्रांत का गाह है।
शरीफ ने भारत के साथ संबंध बेहतर बनाने की बात अपने चुनावी घोषणा में भी कही थी। उन्होंने भारत-पाक के बीच शुरू की गई शांति वार्ता को दोबारा शुरू करने के प्रति प्रतिबद्धता जताई है, जो 1999 में तत्कालीन सेना प्रमुख परवेज मुशर्रफ द्वारा सैन्य तख्तापलट करने के बाद बाधित हो गई थी। शरीफ ने तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के साथ शांति वार्ता की शुरुआत की थी।
उन्होंने कहा कि मनमोहन आते हैं या नहीं यह अलग मसला है, लेकिन उन्हें आमंत्रित करने में हमें खुशी होगी। साथ ही उम्मीद जताई कि मनमोहन शीघ्र ही पाकिस्तान आएंगे। भारतीय प्रधानमंत्री ने चुनाव में जीत दर्ज करने पर शरीफ को बधाई देने में कोई देरी नहीं की थी। तीसरी बार पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बनने जा रहे शरीफ को भेजे खत में मनमोहन ने कहा था, ‘दोनों देशों के बीच बेहतर रिश्तों के संदर्भ में मैं आपके और आपकी सरकार के साथ काम करने का इच्छुक हूं। इसके साथ ही मैं आपको अपनी सुविधानुसार भारत आने का निमंत्रण भी देता हूं।’
नवाज शरीफ को आमंत्रित करने में प्रधानमंत्री ने बहुत जल्दबाजी की है। वास्तव में हमें यह देखने के लिए इंतजार करना चाहिए था कि भारत के प्रति पाकिस्तान के रवैये में क्या अंतर आया? यदि कुछ सकारात्मक संकेत मिलते तो उन्हें निश्चित रूप से आमंत्रित किए होते।
– बलबीर पुंज, उपाध्यक्ष भाजपा
चौदह साल बाद पाकिस्तान की सत्ता में वापसी के संकेत के बीच नवाज शरीफ ने वादा किया है कि वह कश्मीर मुद्दे पर नए दौर की बातचीत शुरू करेंगे।
आम चुनाव में पीएमएल-एन की सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरने के बाद मीडियाकर्मियों से बातचीत में शरीफ ने कहा कि वह देश के उत्तर-पश्चिमी कबायली इलाके में ड्रोन हमलों सहित विभिन्न मुद्दों पर अमेरिका से भी बातचीत करेंगे।
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शरीफ ने कहा कि कश्मीर मुद्दे पर भारत के साथ वार्ता का नया दौर शुरू होगा और दोनों पड़ोसी देशों के बीच संबंध को मजबूत किया जाएगा।
-तस्वीरों में देखें-शरीफ का राजनीतिक सफर
पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी और भारत के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के बीच अप्रैल और अगस्त 2012 में क्रमश: नई दिल्ली और तेहरान में बातचीत हुई थी। सितंबर 2012 में भारत के विदेश मंत्री एसएम कृष्णा ने अपने पाकिस्तानी समकक्ष हिना रब्बानी खार से इस्लामाबाद में मुलाकात की थी और बातचीत की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने पर जोर दिया था।
गौरतलब है कि पाकिस्तान आम चुनाव में अब तक 243 सीटों के परिणाम घोषित हुए हैं जिनमें पीएमएल-एन को 130 सीटें, इमरान खान की पार्टी तहरीक-ए-इंसाफ को 29 सीटें और जरदारी की पार्टी पीपीपी को 33 सीटें मिली हैं। इसके अलावा 27 सीटों पर निर्दलीयों, 17 पर मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट, 10 पर जमात उलेमा-ए-इस्लाम-फजर्लुर, पांच पर जमात-ए-इस्लामी, तीन पर पख्तूनखवा मिल्ली अवामी पार्टी और 18 सीटों अन्य ने जीत हासिल की है। नेशनल एसेंबली की कुल 342 सीटों में 268 सीटों पर मतदान कराया गया है।