क्या चल रहा है दीवारों के पीछे, अब छिपा नहीं रहेगा

antarवाशिंगटन। शोधकर्ता वाई फाई के जरिए एक ऐसी तकनीक विकसित कर रहे हैं, जिससे दीवार के आर-पार देखना संभव हो जाएगा। नई तकनीक से किसी भी दीवार के पीछे या कमरे के भीतर की गतिविधियों का अनुमान लगाया जा सकेगा। वाई वी नाम की इस तकनीक को अगस्त में हांगकांग में आयोजित होने वाली रिगकाम कांफ्रेंस में पेश किया जाएगा। मेसाच्यूसेट्स इंस्टीट्यूट टेक्नोलॉजी के कंप्यूटर साइंस के शोधकर्ता इस तकनीक को विकसित करने में वाई फाई का इस्तेमाल कर रहे हैं।

इस तकनीक के जरिए किसी कमरे या दीवार के पीछे की गतिविधियों को आसानी से पकड़ा जा सकेगा। यूनिवर्सिटी में डिपार्टमेंट ऑफ इलेक्टिकल इंजीनियरिंग एंड कंप्यूटर साइंस की प्रोफेसर डीना काताबी ने कहा कि हम कम बिजली की खपत करने वाला, लचीला और इस्तेमाल में आसान उपकरण बनाना चाहते हैं ताकि लोग दीवारों के आर-पार आसानी से देख पाएं। हालांकि इससे पहले भी दीवार के आर-पार देखने में सक्षम उपकरण बनाने के प्रयास किए जा चुके हैं, लेकिन वे बहुत ही भारी, मंहगे और रडार तकनीक पर आधारित होते हैं।

इस उपकरण में इलेक्ट्रो मैग्नेट स्पेक्ट्रम का इस्तेमाल होता है, जो सिर्फ सेना में ही उपलब्ध होता है। इस नई तकनीक का नाम वाई वी है, जो रडार और सोनार तकनीक पर काम करती है। यह बहुत ही कम आवृत्ति वाले वाई फाई सिग्नल भेजती है और छवियों का इस्तेमाल दीवार की दूसरी तरफ मौजूद मनुष्य की गतिविधियों को रिकॉर्ड करने में करती है। हालांकि वाई फाई सिग्नल का बहुत ही छोटा हिस्सा दीवार के पार जा पाता है।

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