चुनाव में ललित भाटी ने क्या किया?

lalit bhatiराजनीतिक गलियारों में यह कानाफूसी आम है कि इस बार पूर्व उप मंत्री ललित भाटी ने चुनाव में क्या किया? क्या पारिवारिक नाइत्तफाकी के चलते अपने छोटे भाई व अजमेर दक्षिण के कांग्रेस प्रत्याशी हेमंत भाटी को भितरघात कर नुकसान पहुंचाया? या फिर किसी समझौते के तहत चुप्पी साध ली? कहीं उन्हें कांग्रेस हाईकमान की ओर से कोई आश्वासन तो नहीं मिला?
यहां आपको बता दें कि हेमंत भाटी का टिकट तकरीबन एक माह पहले ही फाइनल हो गया था। उन्हें चुनावी तैयारी करने को कह दिया गया था, हालांकि टिकट की घोषणा आखिरी दौर में की गई। इस एक माह के दौरान ललित भाटी ने टिकट हासिल करने के लिए एडी-चोटी का जोर लगा दिया। एकबारगी तो यह कानाफूसी चल पड़ी कि वे अपने रसूखात के चलते टिकट हासिल करने के करीब पहुंच गए हैं। आखिरकार हेमंत का टिकट पक्का हुआ। इसी के साथ हर किसी की नजर इस पर थी कि अब देखें ललित भाटी क्या करते हैं। भाजपाई तो इस ताक में थे कि ललित भाटी अपने भाई से व्यक्तिगत नाइत्तफाकी के मद्देनजर उनकी गुपचुप मदद कर दें, ताकि उनका जीतना आसान हो जाए। ललित भाटी ने क्या रुख अपनाया, यह आखिर तक किसी को पता नहीं चला। अगर उन्होंने भाजपा प्रत्याशी श्रीमती अनिता भदेल को अंदर ही अंदर मदद की भी हो तो धरातल पर वह कहीं नजर नहीं आई। हालांकि यह आम धारणा है कि उन्होंने कुछ न कुछ तो गड़बड़ की होगी, मगर इसका सबूत किसी के पास नहीं है। यहां तक कि अनिता के करीबियों को भी पता नहीं लग पाया कि ललित भाटी ने कोई मदद की या नहीं। कई लोग ये कहते सुने गए कि वे बहुत शातिर राजनीतिक खिलाड़ी हैं, इस कारण आखिरी दो दिन में कोई खेल करेंगे क्योंकि हेमंत के जीतने पर उनके राजनीतिक कैरियर पर विराम लगने का अंदेशा रहेगा। मगर आखिर तक उनके शांत रहने की ही कानाफूसी रही। यहां तक कि उनके करीबी भी यही बताते हैं कि वे इस बार चुप ही रहे। कदाचित मुख्य धारा में रह कर आगे अपना राजनीतिक भविष्य संवारने की खातिर चुप्पी रखना ही बेहतर समझा हो। हां, उन पर ये आरोप जरूर लगाया जा सकता है कि कांग्रेस नेता होते हुए उन्होंने अपने कांग्रेसी प्रत्याशी भाई की मदद नहीं की, लेकिन इस लिहाज से देखें तो कई कांग्रेसी नेताओं ने हेमंत की मदद नहीं की।

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