करना-धरना कुछ नहीं,नौटंकी दुनिया भर की..

arvind kejariwal 5कजरी एक बार छुटपन में जिद पर अड़ गये थे….,
बोले की छिपकली खाऊंगा.
घरवालों ने बहुत समझाया पर नहीं मानें। हार कर अन्त में अन्ना जी को बुलाया गया।
वे जिद तुड़वाने में महारथी थे. अन्ना के आदेश पर एक छिपकली पकड़वाई गई.
उसे प्लेट में परोस कजरी मियां के सामने रख अन्ना बोले, ले खा…
कजरी मचल गये.
बोले, तली हुई खाऊंगा.??
अन्ना ने छिपकली तलवाई और दहाड़े, ले अब चुपचाप खा.
कजरी फिर गुलाटी मार गये और बोले, आधी खाऊंगा.???
छिपकली के दो टुकड़े किये गये. कजरी अन्ना से बोले, पहले आप खाओ.
अन्ना ने आंख नाक और भी ना जाने क्या क्या भींच किसी तरह आधी छिपकली निगली…
अन्ना के छिपकली निगलते ही कजरी मियां दहाड़ मार कर रोने लगे …!!
की आप तो वो टुकड़ा खा गये जो मैंने खाना था.
अब अन्ना ने धोती सम्भाली और वहां से भाग निकले की अब जरा भी यहां रुका तो ये दुष्ट दूसरा टुकड़ा भी खिला कर मानेगा…!

सीख : करना-धरना कुछ नहीं,नौटंकी दुनिया भर की…
मिर्ची तो नही लगी

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