मोदी / संघ चालीसा

n modi 1हे फेंकू अज्ञान के सागर
आधे जल से छलके गागर ||
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हे अज्ञानी संघी नंदन
सब अंधे करते है वंदन ||
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नाम तुम्हरा शर्म का सूचक
सैरन्ध्री के पीछे कीचक ||
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साथ दिया जिसने पछताया
आडवानी का नाम मिटाया ||
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कुर्सी जिसकी अब्बा अम्मा
बस वो ही मोदी है निकम्मा ||
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तड़प रही है जसोदा माई
कन्या तुमने नित नई पाई ||
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अटल भी कीन्ही तुम्हारी निंदा
पर दंगा है तुम्हरा धंधा ||
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बोरोप्लस राघव जी लगावा
संघी जन परम सुख पावा ||
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देश के काम नहीं तुम आते
ब्लोअर से तुम लहर चलाते ||
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बाँट धन मीडिया को साधा
तुम्हरो काम करे मोसादा ||
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तुमको तब लज्जा ना आई
राज धर्म की याद दिलाई ||
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इंटरव्यू तुम छोड़ के भागे
पीछे करण फेंकू जी आगे ||
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माया को तुम बेन बतावा
दंगा कर गुजरात जलावा ||
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तुम्हरे जैसो इक और संघी
जेल गया बाबू बजरंगी ||
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सोनी जी की कन्या भायी
जाग उठी तुममे तरुणाई ||
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नंग पुंग परचार करावा
मेघना के तुम वस्त्र उतारा ||
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काला धन बाबा ने मंगाया
तब येद्दी को गले लगाया ||
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साथी तुम्हरा स्याह अमिता
कन्या की जासूसी कीता ||
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अमेरिका ना दे तुमको वीसा
तब अपने ही दांत तुम पीसा ||
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इसको तुम कहते हो विकास
बच्चे भूखे गाँव है प्यासा ||
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सोराबुद्दीन इनकाउन्टर में  मारा
चक्की पीस रहा वंजारा ||
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तुम्हरे भक्त धर्म कर्म भूले
हर हर मोदी कह कर झूले ||
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झूठ कपट तुम्हरे है संगी
तुम ही संघी तुम बजरंगी ||
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सुपरमैन गुजराती गहना
पतलून उपर चड्डी पहना ||
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केदारनाथ में परलय आये
तब केवल गुजराती बचाए ||
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देश तुम्हे अच्छे से जाने
मंत्री तुम्हरे बाबा काने ||
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तुम ठहरे ठरकी भगवंता
तुमको खोज रही है जनता ||
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तुम गरीब की गुमटी हटाए
लेकिन सबको चाय पिलाए ||
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माल दिया अम्बानी साथी
जनता कूट रही है छाती ||
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प्रान्त तुम्हारे दारु बंदी
इस धंधे में कबहू न मंदी ||
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एप्को तुमको बुत प्रचारा
दंद फंद कर के छवि सुधरा ||
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बने रहो पी ऍम इन वेटिंग
मानसी से तुम करते चैटिंग ||
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नाही तुम सम कोई कमीना
कौड़ी भाव लुटा दी ज़मीना ||
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नैनो की तुम फेक्ट्री जोड़ा
टाटा से तुम लिया करोड़ा ||
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तुम्हरे साथी बड़े बाजारू
केमेरे पे धरे बंगारू ||
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सुषमा जी को रेड्डी भाए
खोद खदान माल सब खाए ||
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दुराचारी तुम मोदी नामा
साथी तुम्हरा  आसारामा ||
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तुम दुनियाँ में सबसे नंगा
बहा रहे हो चाय की गंगा ||
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मोदी को जो भी नर ध्याता
तीन लोक में मूर्ख कहाता ||
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इस पाजी को वोट न दीजो
समझ परख के निर्णय लीजो ..।।
whats app से साभार

1 thought on “मोदी / संघ चालीसा”

  1. रचना कर्ता वाकई अच्छे कवी हैं, काश वे अपना नाम भी देते,ताकि उनसे संपर्क कर कुछ अन्य कवितायेँ लिख्ने की प्रार्थना करते.लगता है नाम देने से वे डर गए.

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