एक कार देश की राजनीतिक सड़क पर ‘370’
की रफ़्तार से दौड़ रही थी जिस पर
लिखा था ‘विकास’ , पर कार
को चला रहा था ‘हिन्दुत्व’, जैसे ही हिन्दुत्व
ने ‘कॉमन सिविल कोड’ बटन दबाया और गियर बदल कर
‘राम मंदिर’ पर कर दिया तो कार
लहराती हुयी ‘आतंकवाद’ के ऊपर
चढ़ती हुयी जीत की ओर बढ़ने लगी। कार में
बैठी हुयी सवारियो को अलग अलग जगहों पर
उतरना था। लेकिन ज्यादातर लोग चालक
‘हिन्दुत्व’ की वजह से गाडी में बैठे थे।
जैसे ही गाडी ने जीत की सीमा को पार किया,
कार से ‘हिन्दुत्व’ को हटाकर पहले के ड्राईवर
‘श्री सेक्युलर’ को रख लिया गया। कुछ बदलाव
भी किये गए कार में जैसे गति को ‘370’से हटाकर
कम किया गया। ‘कॉमन सिविल कोड’ बटन को निकाल
कर रख लिया गया, अब इसकी जरुरत नहीं थी। गियर
को चेंज करके ‘राम मंदिर’ से ‘हज सब्सिडी’ पर
कर दिया गया। अब गाडी आराम से चल रही थी।
लेकिन रस्ते में ‘महगाई’ और ‘भ्रस्टाचार’ के
स्पीड ब्रेकर बार बार आ रहे थे। गाडी चल
रही थी, ये स्पीड ब्रेकर पार कर लिए जायेंगे।
अगर दिक्कत हुयी तो हमारे पास ‘हिन्दुत्व’
ड्राईवर तो हई है। कार में बैठे कुछ लोग
उतरना चाहते हैं, उनके सर में विकास (कार)
की छत से चोट लग रही है जब कार ‘महगाई’ नामक
स्पीड ब्रेकर पर से गुजरती है। मै
भी उतरना चाहता हूँ क्युकी मुझे
तो उतरना था ‘आर्थिक आरक्षण’ पर, लेकिन ये
मुझे कही और ले जा रहे हैं। मै
उतरना चाहता हु पर मुझे उतरने नहीं दे रहे।
मेरा ‘हिन्दू होने का प्रमाणपत्र’ छीन रहे है।
मै तो ‘हिंदुत्व’ को देख कर कार में बैठा था।
मेरा ‘हिन्दू होने का प्रमाणपत्र’ छिन
रहा था और ‘हिन्दुत्व’ कोने में बैठ कर आंसू
बहा रहा था।
अब मै रोड पर हूँ, मुझे अपने गंतव्य तक
पहुचना है, कोई दूसरी गाडी पकडू या पैदल
चलू ???
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