कल मोदीजी ने नेपाल की संसद में अपने हाहाकारी भाषण के दौरान कुछ ऐसा कहा जिसे सुनकर मेरे होश फाख्ता हो गए ।
मोदीजी ने शिगूफा छेड़ा कि नेपाल आयुर्वेदिक जड़ीबूटियों से निर्मित दवाइयों का विश्वस्तरीय एक्सपोर्टर क्यों नहीं बन सकता जबकि हनुमान जी भी संजीवनी बूटी लेने यहाँ आए थे ।
खैर मोदीजी का शिगूफा है तो छोटामोटा तो होने से रहा, बातों बातों में नेपाल को चने के झाड पर तो चढ़ा मारा लेकिन फजीहत हो गई मेरे जैसे नादान प्राणी की !
बचपन में न जाने किस किताब में मैंने ये पढ़ा था कि संजीवनी बूटी लेने हनुमान जी द्रोणगिरी पर्वत पर गए थे वर्तमान काल में जिसका शाब्दिक अपभ्रंश दूनगीरी है जो कि इस समय भारत के उत्तराखंड राज्य का एक हिस्सा है ।
मोदीजी बचपन में ऐसी गलत सलत जानकारी वाली किताब से ज्ञान कबाड़ने की भूल के लिए मैं आपसे क्षमाप्रार्थी हूँ । बस एक कृपा और कर दीजिए कि अपने भक्तों को हिंदू विरोधी वाले तमगे की रसीद लेकर मेरे पीछे न छोड़ दीजिएगा । अब बचपन था, हो गई गलती मेरे से । आइन्दा ऐसा नहीं होगा, अबसे पक्का आपका अप्रूव किया सिलेबस ही पढूंगा ।
-भावेश जयंत वाल्वेकर
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कल उत्तराखंड के द्रोणगिरि पर्वत से बात हुई.पूछ रहा था ‘नेपाल में रजिस्ट्री करानी है संजीविनी की’ किस से मिलूँ ?मैंने कहा “जंगबाहदुर से शाब”
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