दिल्ली में विधानसभा चुनाव कराने का श्रेय अकेले अरविंद केजरीवाल को जाता है। केजरीवाल ने मुख्यमंत्री के पद से जब स्तीफा दिया, तब से ही वे विधानसभा भंग कर दोबारा से चुनाव कराने की मांग कर रहे थे, लेकिन तभी से भाजपा इस प्रयास में थी कि आम आदमी पार्अी के विधायकों को तोड़कर भाजपा की सरकार बना ली जाए। भाजपा ने जब भी आप के विधायकों को तोडऩे का प्रयास किया, तब तब केजरीवाल ने ऐसा शोर मचाया कि भाजपा को अपने कदम पीछे खींचने पड़े। केजरीवाल इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में भी ले गए और जब सुप्रीम कोर्ट की फटकार पड़ी तो दिल्ली के एल.जी.जंग को विधानसभा भंग करने का निर्णय करना ही पड़ा। यदि केजरीवाल की जगह और कोई नेता होता तो भाजपा आप के विधायकों को तोड़कर सरकार बना लेती। चुनाव परिणाम कुछ भी रहे, लेकिन दिल्ली में केजरीवाल ने पहील लड़ाई भाजपा से जीत ली है। जो राजनेता केजरीवाल को अनाड़ी और मफलर वाला नेता कहते हैं, उन्हें केजरीवाल की राजनीति से ही सीख लेनी चाहिए। केजरीवाल को इतना तो श्रेय देना ही चाहिए कि उन्होंने अपने 28 विधायकों को दल बदल करने का अवसर नहीं दिया। अलबत्ता राजनीति में तो अलमत सरकार के दौरान विधायक बिकते ही देखे गए हैं।
-(एस.पी.मित्तल)