राजेश टंडनकलेक्टर और एस.पी. कॉन्फ्रेन्स में माननीया मुख्यमंत्री जी को कलेक्टरों को यह कहना पड़ा कि आप लोग जनप्रतिनिधियों के फोन क्यों नहीं उठाते हो जबकि मैं तो सबके फोन उठाती हूं और अगर ना उठा सकूं तो कॉल बैक करती हूं। आजकल भा.ज.पा. के जनप्रतिनिधियांे में नौकरशाही के रवैये को लेकर भारी आक्रोश है कि उनकी सुनवाई नहीं होती यहां तक कि उनको मिलने का समय भी नहीं दिया जाता और ना ही उनके फोन तक उठाये जाते हैं इस संबंध में कई सांसदों, विधायकों और केन्द्रीय मंत्रीयों ने भी मुख्यमंत्री से अपनी नाराजगी प्रकट कीं। जब जनप्रतिनिधियों का यह हाल है तो आम जनता की क्या दुर्गति होती होगी इसका अन्दाजा सहज भाव से माननीया मुख्यमंत्री जी लगा सकती हैं। ‘‘गुड गवरनेन्स‘‘ का नारा कितना साकार हो रहा है यह तो जन प्रतिनिधियों ने अपनी व्यथा बताकर ही साबित कर दिया। प्रवासी अधिकारीयों के व्यवहार को लेकर जन प्रतिनिधियों ने अपना रोष तो प्रकट कर दिया परन्तु बेचारे मंत्री और उनके अधीनस्थ अधिकारी अपनी व्यथा किसको कहें। राजस्थान तो वैसे भी ‘‘धरती धोरां री है‘‘ पर अब तो ऐसा लग रहा है कि राजस्थान तो आजकल ‘‘धरती छोरां री है‘‘ राजस्थान की नौकरशाही की जो एक प्रतिष्ठा देश में बनी हुई है उसको मुख्यमंत्री जी बरकरार रखेंगी, ऐसी अपेक्षा राजस्थान की जनता उनसे करती है कि कम से कम उनकी मान और शान तो बरकरार रखेंगी। मेरी बात को अन्यथा ना लें सुधार हमेशा उपर से ही आता है। बड़े अधिकारी अगर र्दुव्यवहार करेंगे तो निचले स्तर पर भगवान ही मालिक है। राजेश टण्डन वकील अजमेर।