आजकल प्रतिदिन संदेश आ रहे हैं कि महादेव को दूध की कुछ बूंदें चढाकर शेष निर्धन बच्चों को दे दिया जाए। सुनने में बहुत अच्छा लगता है लेकिन हर त्योहार पर ऐसे संदेश पढ़कर थोड़ा दुख होता है। दीवाली पर पटाखे ना चलाएं, होली में गुलाल ना खरीदें, सावन में दूध ना चढ़ाएं, उस पैसे से गरीबों की मदद करें। लेकिन त्योहारों के पैसे से ही क्यों? हम सब प्रतिदिन दूध पीते हैं तब तो हमें कभी ये ख्याल नहीं आया कि लाखों गरीब बच्चे दूध के बिना जी रहे हैं। अगर दान करना ही है तो अपने हिस्से के दूध का दान करिए और वर्ष भर करिए। कौन मना कर रहा है। शंकर जी के हिस्से का दूध ही क्यों दान करना? महादेव ने जगत कल्याण हेतु विषपान किया था इसलिए उनका अभिषेक दूध से किया जाता है। जिन महानुभावों के मन में अतिशय दया उत्पन्न हो रही है उनसे मेरा अनुरोध है कि एक महीना ही क्यों, वर्ष भर गरीब बच्चों को दूध का दान दें। घर में जितना भी दूध आता हो उसमें से ज्यादा नहीं सिर्फ आधा लीटर ही किसी निर्धन परिवार को दें। महादेव को जो 50 ग्राम दूध चढ़ाते हैं वो उन्हें ही चढ़ाएं। .
हमने यहाँ बचत हो रही है उस नियम को तो मान लिया पर शास्त्र के उस नियम को नही देखा जिसमे शिवपुराण में लिखा है की भगवान् आशुतोष अगर नीलकंठ ना बनते तो पृथ्वी पर मनुष्य जाती का अस्तित्व ही नही होता ना देवता होते और न मनुष्य ।।
हम इतना अपने जीवन में वर्वाद करते है जैसे शराब गुटका मॉस इन एवो में जितना खर्च करते है अगर उसी को बंद करदे या कम करदे और उसी पैसे से गरीब को दान करे तो हमारा शरीर भी सही रहेगा और गरीब की मदद भी हो जायेगी ।।
क्योंकि ये सभी ऐव हमको केवल नष्ट करते है ।
और शिव जी का दूध से किया गया अभिषेक हमको कई पूर्व जन्मों के पापो से मुक्त करता है ।।
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