इज्जत को मिट्टी में मिलाने पर तुले हुए है पुष्कर के कुछ पत्रकार

राकेश भट्ट
राकेश भट्ट
दोस्तों पिछले कुछ महीनो से पुष्कर के कुछ वरिष्ठ पत्रकार अपने ही हाथो अपनी इज्जत खराब करवाने के रास्ते पर चलकर समूची मीडिया को हंसी का पात्र बनाने पर तुले हुए है ।
वाट्सऐप के लगभग सभी ग्रुप में आपस में जुड़े यह चंद पत्रकार ना सिर्फ एक दूसरे को नीचा दिखाने के लिए ओछी भाषा का प्रयोग कर रहे है बल्कि खुलेआम गाली गलौच भी कर रहे है । इनकी ऐसी हरकतों के कारण यह खुद तो हंसी का पात्र बन ही रहे है बल्कि इनके साथ साथ पुष्कर की समूची मीडिया भी हंसी का पात्र बन रही है । मेरे हिसाब से पुष्कर में सैकड़ों ग्रुप चल रहे है और उनमे हजारो लोग रोजाना अपने अपने विचार व्यक्त करते है । लेकिन जिस तरह यह चंद पत्रकार गली मोहल्लों के बच्चों की तरह एक दूसरे को नीचा दिखाने पर तुले है उसे देखकर बाकी के पत्रकार भी शर्मिन्दा है । लेकिन यह लोग सुधरने को तैयार नहीं है । इन्हें ऐसा करना अपनी शान बढ़ाने जैसा लगता है । अरे यार कुछ तो शर्म करो । अपने आप पर नहीं तो कम से कम अपने पत्रकारिता के पेशे की ही शर्म कर लो ।
आज आपको पूरा पुष्कर देख रहा है । यहाँ का युवा , व्यापारी , बुद्धिजीवी , तीर्थ पुरोहित , संत महात्मा , और घरो में बैठी माता बहने भी सोशल मीडिया के जरिये आपका आचरण देख रही है । ऐसा नहीं है की यह केवल पुष्कर तक ही सिमित है । ग्रुप में अजमेर सहित राजस्थान और अन्य शहरों के जुड़े पत्रकार भी यह सब देखकर थू थू कर रहे है । क्या आपका अहंकार इतना बड़ा हो गया है ।

अपने आपको पुष्कर के सबसे सीनियर पत्रकारो में शुमार करने वाले एक महाशय को अन्य पत्रकारो की हंसी उड़ाना , उन पर इनडाइरेक्ट कमेंट करना और फिर पीठ पीछे उन्हें नीचा दिखाने में गर्व महसूस होता है । यह अपने आपको राजा हरिश्चंद्र और बाकी सबको नाकारा मानते रहे है । आये दिन किसी भी मामले की शुरुआत इन्ही के द्वारा की जाती है । इनको लगता है की ऐसा करके वो बहुत महान काम कर रहे है । लेकिन यह नहीं जानते की पीठ पीछे लोग उन पर कितने ताने मारते है । अपने आपको सर्वगुण संपन्न मानने वाले इन महाशय को यह समझना चाहिए की आज आपकी इतनी इज्जत इसी पेशे की वजह से हो रही है । कम से कम इसका तो लिहाज करो । वही दूसरी और यहाँ के एक और नोजवान पत्रकार है । वे भी अपने आपको सबसे तेज साबित करने के चक्कर में उलटे सीधे जवाब देकर हंसी के पात्र बन रहे है । इन दोनों की लड़ाई कमोबेस सभी ग्रुपो में हो चुकी है । लेकिन दोनों ही सुधरने का नाम नहीं ले रहे । बची कूची कसर हमारे अन्य साथी पूरी कर देते है । एक का सपोर्ट और दूसरे की हंसी उड़ाकर ।

दोस्तों एक बार शांति से बैठकर अपने अंदर झाँकने की कोशिश करो । इस तरह सोशल मीडिया पर एक दूसरे को नीचा दिखाकर आप क्या सन्देश देना चाहते है । पुष्कर में जन्मा हर व्यक्ति सभी का चरित्र अच्छी तरह से जानता है । वो जानता है की किसकी कैसी फितरत है । लेकिन इस लड़ाई में सबसे ज्यादा नुक्सान उन वरिष्ठ पत्रकारो की विश्वसनीयता का भी हो रहा है जो यह सब देखकर भी चुप है । में हालांकि उम्र में और अनुभव में बाकी कुछ लोगो से छोटा हूँ । लेकिन फिर भी अपनी बात रखने की कोशिश की है । मुझे पता है यह सुझाव भी हमारे उन भाइयो को पसंद नहीं आएगा । वे इसके बारे में भी अनर्गल बातें लिखेंगे । लेकिन में इसकी परवाह नहीं करता । जो दिल में है वो कहना मेरी आदत है । अगर किसी को बुरा लगा हो तो माफ़ी चाहता हूँ । लेकिन एक बार फिर आग्रह करूँगा की कम से कम पत्रकारिता के इस पेशे को अपने अहंकार की भेंट ना चढ़ाये और आत्म चिंतन करे की क्या जो आप कर रहे है वो सही है ।

राकेश भट्ट
प्रधान संपादक
पॉवर ऑफ़ नेशन

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