अनिल पाराशरअजमेर में मेयर का पद पाने के लिए पूरी राज्य सरकार ने ताकत लगा दी जब मेयर का पद हाथ से निकल गया तो छल कपट से सीट तो हासिल कर ली पर जनता की नजरो से सरकार इतनी निचे गिर गई की अब लोगो से नजरे मिलाने से भी घबरा रही हे। हर कोई तीर्व आलोचना कर रहा हे और सब इन सत्ता के लालचियो को सबक सिखाने के लिए बेताबी से इंतजार कर रहे हे ।भाजपा से दिल से जुड़े हुए लोग भी सरकार की ऐसी घटिया हरकत से स्तब्ध हो रखे हे की हमे इस पार्टी से इस प्रकार की उम्मीद नही थी जिसने इस तरह की घटिया हरकत कर पार्टी को शर्मशार कर दिया आख़िरकार क्यों जनरल वर्ग के हितो को कुचला जा रहा हे । यह सत्ता के लालची क्या सन्देश देना चाहते हे। क्या यह छल कपट से मेयर का पद हासिल करके सुखी हो जायेंगे ।जनरल वर्ग के लिए जिस तरह लाला बन्ना ने अपना राजनीती जीवन दाव में लगाकर अकेले दम पर पूरी सरकार से जिस तरह लड़ाई लड़ी हे उसे अजमेर की जनता क्या पूरा राजस्थान कभी नही भूल पायेगा लाला बन्ना ने अपना नाम स्वर्ण अक्षरों में सभी के दिलो में लिख दिया आज हर कोई लाला बन्ना के साथ कंधे से कंधा मिला कर खड़ा हे और यह सत्ता के लालची कह रहे की हमने तो लाला बन्ना का राजीनीति जीवन खत्म कर दिया लेकिन यह सत्ता के लालची भूल गए हे की लाला बन्ना का असली राजनीती जीवन तो अब शुरू होने वाला हे ।अब देखते जाओ इन सत्ता के लालचियो का जनता क्या हर्ष करती हे बस समय का इंतजार करो समय बड़ा बलवान होता हे। आज यह सत्ता के लालची जीत कर भी जीरो बनकर रखे हे तो वही लाला बन्ना अजमेर की जनता के लिए एक हीरो बनकर सामने आये आज हर व्यक्ति की जुबान पर बस एक ही नाम छा रखा हे तो वह सिर्फ लाला बन्ना। जो आज सामान्य वर्ग के लिए खुद अकेले ही सत्ता से भीड़ गए और धोखे से कोरवो ने इनको हरा तो दिया लेकिन खुद ऐसे घायल हो गए की न तो जीने के काबिल रहे और नही मरने के। धन्य हे ऐसे सत्ता के लालचियो को जिन्होंने एक मेयर के पद को पाने के लिए अपना जमीर तक बेच दिया। अनिल पाराशर संपादक बदलता पुष्कर
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