मुझे कोफ़्त होती है ऐसे लोगों से जो आज बिहार की जनता को गाली दे रहे हैं …. पहले वे दिल्ली की जनता को गाली देते थे …. मेरे ख्याल से किसी प्रदेश के मेंडेट को इस तरह अपमानित करना किसी अपराध से कम नहीं ….. सोशल मीडिया पर बैठे बैठे आप कुछ भी कह सकते हैं क्योंकि आपकी चहेती पार्टी को लोगों ने नकार दिया ……. अरे हिम्मत है ……तो भाजपा को मजबूर करो मंथन करने के लिए …… कम से कम इतना दबाव तो बनाओ की जिम्मेदारी तय हो ….. यही सोशल मीडिया का आदर्श रूप होना चाहिए….. ना की किसी पार्टी का दरबारी बन जाना …… हम निःस्वार्थ भाव से एक विचारधारा के लिए लिखते हैं ….. सोशल मीडिया में होने के कारण हमारे पास अपार data और information होती हैं जिसके कारण हम चीख चीख कर राष्ट्रवाद की बात करते हैं पर ये जानकारियां जनता तक आधी भी नहीं पहुँची हैं और इसीलिये ऐसे चकित करने वाले परिणाम देखने को मिलते हैं ……यही दिल्ली में हुआ …..यही बिहार में हुआ ….तो गलती जनता की हुई या भाजपा की ?…… ये जानकारियां …..ये wisdom कैसे जनता तक पहुंचे उसके लिए कोई सोच रहा है क्या ? ….. हम चीख चीख कर कहते हैं की मीडिया को संभालिये …… इतने महान मत बनिए ……. किसी को परेशान मत कीजिये पर जो अपराध उन्होंने किया है…… उसकी सजा तो दीजिये …. दादरी से लेकर सुनपेड़ तक मीडिया का रोल गैर जिम्मेदारना नहीं बल्कि घोर आपराधिक था…………. अगर आप उनपर कार्यवाही नहीं कर सकते तो धिक्कार है आप पर ……….. और सोशल मीडिया के हम लोग अगर उन्हें इसके लिए मजबूर नहीं कर सकते तो धिक्कार है हम पर भी…….चुनाव के ठीक पहले आरक्षण हटाने वाला भाषण भागवत जी ने क्यों और किसलिए दिया….. इसकी भी जांच होना चाहिए ………. अगर वे मोदी को मन ही मन हारते देखना चाहते थे ताकि मोदी उनके “शरणम गच्छामि” हो जाये तो …..” हम करें राष्ट्र आराधन”……. क्या वे लालू के सहारे करने की सोच रहे थे ?…… अब करते हैं बात मोदी की ………. प्रभु आप बहुत अच्छा काम कर रहे हैं….. पर अपने perception management पर ध्यान दीजिये …… विदेश दौरों से फायदा हुआ है …………पर ये बात अगर जनता नहीं समझ पा रही है ….तो ये आपका ही failure है ………. आज सबसे अच्छा ये होगा की humility के साथ आप इस हार की जिम्मेदारी लीजिये …..कहिये की हाँ ये मेरी व्यक्तिगत हार है ….. माफ़ करियेगा पर धीरे धीरे आपकी छवि एक ऐसे व्यक्ति की बन गयी है…. जो मन की बात तो करता है ….पर काम की बात कभी करता ही नहीं …….. जो बोलता तो है पर संवाद कभी करता ही नहीं….. आपके अपने मंत्री आपसे महीनों नहीं मिल पाते सांसदों की तो क्या बात है ….. केजरीवाल के हम सब घोर विरोधी हैं पर कुछ सीख उनसे भी ले सकते हैं ….. केजरीवाल के कार्यकर्ताओं ने घर घर जाकर जनता से माफ़ी माँगी थी इस्तीफे वाली गलती के लिए….. तब जाकर ऐसा जबरजस्त मेंडेट मिला था उन्हें ……… ये humility भी बहुत काम करती है भारतीय जनमानस में …….. भारत की जनता ऐसी है की वह क्रूर इमरजेंसी के बाद भी इंदिरा को माफ़ कर सकती है ………… वैसे ही उन्होंने लालू को भी माफ़ किया है ….. क्यों किया इसका चिंतन आप कीजिये …….थोड़ा झुकिये …. थोड़ा ठहरिये ….सोचिये ….. गलतियां स्वीकारिये …..जहाँ जरूरत हो वहां heads roll कीजिये ….. अरुण जेटली जी को घर बिठाइये या विभाग बदलिये …… अगर हिंदुत्व अपनाना है तो ……… सीना तानकर अपनाइये….. stupid secularism और opportunist Hinduism जनता समझने लगी है ….. हिन्दुओं को कांग्रेस का मुसलमान मत समझिए जिसे 65 साल तक मूर्ख बनाया जा सकता है …… हिन्दुओं के मुद्दों को “कड़ी पत्ते” की तरह उपयोग मत कीजिये ….. तड़का लगाया और खाते समय निकाल कर फेंक दिया …..हिंदुत्व आत्मसात कीजिये….. सेक्युलरिस्म आप पर जंचता नहीं …. आप कहींके नहीं बचेंगे …. सुधर जाइए !!
आखिरी बात …..सौ कुत्तों ने मिलकर आज शेर को हरा दिया ….अब आत्ममंथन शेर को करना है !!
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