ओम थानवी को दस करोड़ रुपये मिलने की अफवाह किस ने फैलाई?

ओम थानवी
ओम थानवी
बड़ी आनंद दायक खबर है। मुझे दस करोड़ रूपया मिला है। एक सांसद के जरिए, पहली नवम्बर को मावलंकर हॉल में प्रतिरोध के आयोजन के लिए। यानी मेरी तंगहाली तो रातोंरात दूर हो गई। अशोक वाजपेयी और एमके रैना को ज्यादा मिला होगा, क्योंकि वे बड़े नाम हैं। हालाँकि उन्हें मुझ सरीखी जरूरत शायद न हो! बहरहाल, यह अफवाह वीके सिंह ने फैलाई होती तो मैं एक कान से दूसरे कान निकाल देता। अफवाह एक वामपंथी कवि ने फैलाई है। उसने एक कथाकार मित्र को फोन कर यह ‘जानकारी’ दी। इसी तरह औरों को भी दी होगी। सच्चाई यह है कि उस कार्यक्रम के खर्च (हॉल, पोस्टर और चाय आदि) तक को आयोजन का ‘पंगा’ लेने वाले हम चंद लोगों ने अपनी जेब से वहन किया है, उसके लिए किसी संस्था या न्यास या पार्टी से न चंदा माँगा न साधन।

मगर जानते हैं यह दस करोड़ की विराट अफवाह सरकाने वाला कवि है कौन? वही सूक्तिकार, जिसने पहले यह अफवाह भी फैलाई थी कि मैंने डॉ नामवर सिंह के जन्मदिन समारोह में हल्की बात की और मेरी पिटाई कर दी गई, मैं घायल हो गया, अस्पताल जा पहुंचा आदि। मजा यह था कि जिस जगह का जिक्र किया गया, वहां और लेखक भी मौजूद थे जिन्होंने जानना चाहने वालों को सच्चाई भी बाद में बता दी।

तो आप क्या समझे थे कि अफवाहें फैलाने का काम संघ परिवार वाले ही करते हैं? या मुझसे, अशोक वाजपेयी आदि से संघ वालों को ही खुन्नस है? अजी, कुछ वामपंथी ‘साथी’ भी कम नहीं। हालाँकि मेरे वामपंथी मित्र ऐसे तत्त्वों को (अब) शायद वामपंथी मानने से इनकार करने लगें! लेकिन ऐसा इनकार ही तो संघ वाले करते हैं, जब उनके बन्दे पकड़े जाते हैं!
जनसत्ता अखबार के संपादक रहे वरिष्ठ पत्रकार ओम थानवी के फेसबुक वॉल से.

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