भाजपा शासन में भाजपा के ही नेताओं की खतरे में है आबरू तो निर्दोष अबला की कौन सुनेगा?
रविवार को ब्यावर की सदर थाना पुलिस ने अजमेर रोड़ हाईवे के जिस रिसोर्ट से 14 युवक-युवतियों को पीटा एक्ट में गिरफ्तार कर अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में पेश किया था, उन सभी की महिला मजिस्ट्रेट सीमा मेवाड़ा ने मंगलवार को जमानत अर्जी खारिज करते हुए उन्हें जेल भेज दिया है। इससे पहले सोमवार को पुलिस शाम 4 बजकर 55 मिनट पर जब कोर्ट के सामने आरोपियों को पेश करने हेतु लाई तो मजिस्ट्रेट ने पुलिस वालों को यह कहकर लताड़ा कि जब उन्होंने इस मामले में आरोपियों को रात 2 बजे ही गिरफ्तार कर मामला दर्ज कर लिया तो सोमवार को अदालत का समय समाप्त होने के करीब इन्हें पेश क्यों किया जा रहा है? अदालत ने ऐनवक्त पर पूरा प्रकरण समझने में समयाभाव को देखते हुए जमानत पर विचार हेतु मंगलवार का दिन रखा लेकिन कोर्ट ने इस प्रकरण में जमानत नहीं लेकर सभी आरोपियों को जेल भेज दिया।
फफक पड़ी छात्राएँ
अदालत से जमानत की अर्जी खारिज होते ही गिरफ्तार लड़कियां फफक पड़ी। फूट-फूटकर रोती लड़कियां अपने आपको बेकसूर बता रही थी और कुछ के तो अभिभावक भी मौजूद थे जो अपनी बेटियों के साथ किये जा रहे अन्याय से आहत थे। लेकिन पुलिस द्वारा कोर्ट के सामने जिस तरह पूरे मामले को घडक़र पेश किया गया उसके आगे कोर्ट भी लाचार दिखी। हालांकि न्यायालय परिसर में वकीलों के बीच जमानत खारिज हो जाने पर बेहद दु:ख व निराशा भी नजर आई और सभी इस बात से काफी क्षुब्ध थे कि छात्राओं के साथ ज्यादती व अन्याय को अनदेखा किया जा रहा है। सबको जमानत होने की उम्मीद थी मगर धरी रह गई। पुलिस के षड्यंत्र की बू साफ महसूस की गई।
बदनाम होटल से बिगड़ी बात
मंगलवार को दिनभर ब्यावर में पकड़े गये इवेन्ट कंपनी के युवक-युवतियों को लेकर हो रही तरह-तरह की बातें चर्चा में रही। लोगों का मानना है कि महावीरगंज के बाहर स्थित होटल में ऐसे-वैसे काम होते रहते हैं जिससे यह होटल बदनाम है और इसी वजह से यहां आये दिन पुलिस व दूसरे मनचले फटकते रहते है। रविवार की रात भी दो पुलिस वाले शराब के नशे में यहां इसी मकसद से फटके और जब उन्हें होटल में इवेन्ट कंपनी की पार्टटाइम कर्मचारी के रूप में आई लड़कियां दिखाई दी तो उन्होंने उनसे भी बदतमीजी करने में संकोच नहीं किया और एक ने तो यहां तक पूछ लिया कि ‘कोई फ्री है क्या?’ इसके बाद जब लड़कियों ने विरोध किया और विवाद बढ़ा तो इवेन्ट कंपनी के मैनेजर व अन्य लोगों ने पुलिस वालों की तबीयत से धुनाई कर दी। जो पुलिस आये दिन होटल वाले से टुकड़ा वसूलती रही, उसी पुलिस को अगर सरेआम जूते खाने पड़े तो भला वह कैसे चुप बैठती? जब खाकी वालों की इस दुर्गति से उनके ही दूसरे साथियों को अवगत कराया तो उन्होंने इसे मूंछ की लड़ाई मान ली और इवेन्ट कंपनी की लड़कियों को सैक्स रैकेट का नाम दे दिया। पिटने वाले पुलिसकर्मियों को अब पुलिस 500-500 रूपये लेकर भेजे गये फर्जी ग्राहक बता रही है जबकि वे कथित ग्राहक होटल के रिसेप्शन पर ही जूते खाकर, पुलिस को फोन कर झूठी शिकायत करने से नहीं चूके।
पीटा एक्ट कितना सही?
इस सारे प्रकरण में गौरतलब बात यह है कि पुलिस जिसे पीटा (प्रिवेंशन ऑफ इम्मोरल ट्रैफिकिंग एक्ट) अर्थात् अनैतिक देह व्यापार रोकने वाले कानून के तहत मामला बता रही है, वास्तव में क्या एक होटल में अपना सही नाम-पता लिखाकर कुछ लड़कियां ठहरती है और वह भी एक परिवार के निमंत्रण पर बतौर मेहमान कार्यक्रम देने किसी कंपनी के साथ आई है तो क्या उन्हें इस एक्ट में आरोपी बनाया जाना उचित है?
पुलिस का रिमांड मांगना ही गलत
कानून के जानकारों का कहना है कि पीटा एक्ट में कार्यवाही तब वाजिब होती जब कोई युवक-युवती किसी ऐसे स्थान पर अनैतिक काम कर रहे हों जिससे उस क्षेत्र के अन्य लोगों की शांति भंग हो रही हो, किसी अन्य को शिकायत हो और उनकी सार्वजनिक हरकत दूसरों के जीवन व मर्यादा को प्रभावित कर रही हो। अगर अपने घर आये मेहमानों को किसी होटल या रिसोर्ट में कमरा लेकर ठहराने पर उनके खिलाफ किसी झूठी शिकायत को आधार बनाकर पुलिस पीटा एक्ट लागू करेगी तो देश की कोई भी होटल व रिसोर्ट में बेटियों व छात्राओं का तो ठहरना ही मुश्किल हो जायेगा। इस मामले में पुलिस का रिमांड लेना भी अनावश्यक बताया जा रहा है। क्योंकि पकड़े गये लोगों से वे आखिर क्या बरामद करना चाहते थे? वैसे शहरभर में यह चर्चा भी जोरों पर है कि रिमांड लेकर पुलिस ने लाखों रूपए बटोर लिए।
पारिवारिक मेहमानों पर खतरा क्यों?
यह पूरा मामला इसलिए भी गंभीर हो गया है कि इसमें बेकसूर छात्राओं को फंसाया गया है जिनका करियर व जीवन संकट में पड़ गया है। एक लडक़ी की सगाई टूट सकती है तो कोई भावुक लडक़ी इससे ज्यादा खतरनाक कदम उठा सकती है। यह पूरी घटना पुलिस के चाल-चरित्र व चेहरे को बेनकाब करने वाली है। ताज्जुब तो इस बात का है कि पूरी कार्यवाही अजमेर पुलिस के अधिकारी की देखरेख में हुई जिनकी भूमिका भी अब संदिग्ध हो गई है। और ज्यादा गंभीरता इसलिए भी है क्योंकि भाजपा के शासन में इस घटना से भाजपा के ही ब्यावर व पुुष्कर के विधायकों का नाम जोडक़र बेवजह उन्हें निशाना बनाया गया है। अगर भाजपा के राज में भाजपा के मंडल अध्यक्ष के पारिवारिक कार्यक्रम में आये मेहमानों को ही सैक्स रैकेट का हिस्सा बताकर बेआबरू किया जायेगा तो भाजपा किसके अच्छे दिन लाने के सपने दिखा रही है, यह विचारणीय है।
– प्रस्तुति : रामप्रसाद कुमावत, सम्पादक, दैनिक ‘निरन्तर’, ब्यावर।