पद और सम्मान के पीछे भागती दुनिया

अनिल पाराशर
अनिल पाराशर
आज जीधर देखो लोग अपने वाहनों और नामो के आगे पद लगाने पर तुली हुई हे दुनिया का हर व्यक्ति बस पद और सम्मान पाने के लिए भागमदोड में लग रखा हे चाहे कार्य कुछ भी नही किया और आता जाता कुछ भी नही बस उसे तो पद और सम्मान चाहिए चाहे वो पेसो से मिले या फिर गुलामी और चापलूसी से उसे तो बस चाहिए तो पद और सम्मान इसके लिए उसे कुछ भी करना पड़े इसी के चलते आज बिचारा योग्यताधारी अपनी योग्यता से पद और सम्मान पाता हे तो लोग यही सोचने लग जाते हे की या तो इसने किसी को रूपये खिलाये या फिर किसी का जेक लगा होगा ।और हकीकत में देखा जाये तो आज पद और सम्मान उसे ही मिलने लग गया हे जिसके पास जेक हो या फिर पैसा हो इसी के कारण हम अब दिन बे दिन पिछड़ते जा रहे हे आज के जमाने में तो योग्यता और मेहनती इन्सान का तो कोई वजूद ही नही रहा ।बस जिधर देखो सब पद के और सम्मान के लिए ही लड़ते नजर आ रहे हे ऐसे जो लोग पेसो और जेक के बल पर पद और सम्मान पा रहे हो वो क्या भला अपने देश और समाज का भला करेंगे जब तक उनके पास पद हे उनकी शक्ल नजर आएगी जेसे ही पद से हटे भूमिगत हो जाते हे और रही उनके कार्य की तो वो कार्य तब तक ही करेंगे जब तक उनके पास पद हो ।लेकिन समाज का और देश का असली कार्यकर्ता वो होता जो निस्वार्थ भावना से बिना पद के रहते हुए कार्य करता हो और यह इन्सान पद का भूखा नही होता हे बस उसका सम्मान करे यही उसके लिए काफी हे ।लेकिन अक्सर वर्तमान में यही देखा जा रहा हे की पद और सम्मान उसे ही मिल रहा हे जिसके पास पेसा हो या फिर गुलामी और चापलूसी करने में माहिर हो। लेकिन दुनिया समझदार हे और सब जानती हे यह लोग किसी भी तरह के हथकड़े अपनाकर पद और सम्मान पाकर खुश हो जाये लेकिन दुनिया की नजरो में इनका स्तर काफी निचे गिर जाता हे ।

अनिल पाराशर संपादक बदलता पुष्कर।
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