पहले रेल किराया दोगुना तीनगुना बड़ा कर यह कहा था की हम सुविधा देगे लेकिन आज तक कुछ नही दिया ।रेल मंत्री सुरेश प्रभु का दूसरा रेल बजट भी पहले की तरहा रेल बजट से ज्यादा सिर्फ रेल भाषण ही साबित हुआ है और भाजपा सरकार के मंत्रियो के भाषणों की सच्चाई तो देश के लोग जान ही गए है
रेल भाड़ा ना बढ़ा कर अपनी पीठ खुद थपथपाने वाले लीग भूल जाते है की पिछले 20 महीनो में 2 बार भाड़ा बढ़ा,आरक्षण शुल्क बढ़ा, प्लेट फॉर्म टिकट 5 रु से 10 रु हो गया, बच्चों का आधा टिकट बंद हो गया व् कई और भी जरियों से यात्रियों को पहले से ज्यादा पैसा देना पड़ रहा है।।
मोदी जी को खुश करने के बजाय आम रेल यात्रियों की सुरक्षा और सुविधाओ पर ध्यान दिया होता तो बजट का कुछ मतलब भी हो , भाषण तो क्या….वो तो पिछले 2 वर्षो से रोज ही सुन रहे है ।।
महेंद्र तँवर
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