तो इस जानकारी से आप समझ सकते है।
पुरे देश के 10 ज्वेलर जिनका नाम और टर्नओवर इस प्रकार है
राजेश एक्सपोर्ट 30000 करोड़
मालाबार गोल्ड 12000 करोड़
भीमा ज्वेलर्स 8000 करोड़
त्रिभुवनदास भीमजी 1385करोड़
सैनको गोल्ड 900 करोड़
कृष्णाह चेटी एंड संस् 600 करोड़
तनिष्क गोल्ड 7000 करोड़
pcj 5200 करोड़
कल्याण ज्वलेर्स 9400 करोड
गीतांजलि 12400 करोड़
टोटल =86885 हजार करोड़ मतलब 8खरब68अरब85करोड़ रूपये का टर्न ओवर साल का करते है ये तो सिर्फ 10 कंपनीयो के ही नाम है बाकि की कम्पनियो के नाम जोड़ दे तो आकड़ा बहुत बड़ा होगा सच्चाई ये की सोने चांदी के काम का पूरा हिसाब किताब कोई नही रख सकता है और हिसाब किताब बड़े पैमाने पर हो तो अच्छे अच्छे गणितज्ञ फेल हो जाते है इसलिये बड़ी कम्पनी ने जो टर्नओवर बता दिया उसको फाइनल मान लिया जाता है इनकम टैक्स के छापे में भी ले दे कर मामले को रफा दफा कर दिया जाता है इसलिये सरकार एक्साइज़ ड्यूटी लगाकर सभी प्रकार के हिसाब किताब को समझना चाहती है क्योकि एक्साइज़ ड्यूटी में सारा हिसाब किताब हर आदमी को रखना पड़ेगा और झूट नही बोल सकता है क्योकि एक्साइज़ विभाग सभी के अकाउंट का मिलान करता है एक के भी हिसाब किताब में गड़बड़ी मिलने पर सभी एक साथ पकड़े जाते है चुकी ज्वेलरी आभूषण का व्यापार इन बड़ी कम्पनियो की वजह से देश की टोटल अर्थव्यवस्ता के आधे के करीब पहुँच चूका है जो सरकार की नजर में डंप उधोग गिना जाता है क्योकि सोना सिर्फ एक बार टैक्स देता जब वो देश में आयात किया जाता है बाद में सोना गहनों के रूप में तिजोरी में ही पड़ा रहता है बादमें खराब होने पर दुबारा बनाना भी पड़ता है तो उसको व्यापारी द्वारा अकाउंट में ग्राहक का सोना बताकर लेबर जॉब के लिये बताकर दर्शाया जाता है जिससे सरकार को कोई भी टैक्स प्राप्त नही होता है।
पुरे संसार की अर्थव्यस्ता का माध्य्म सोना होता है इसलिए कालधन भी सोने के रूप में छुपाया जाता है।और सरकार पर कालाधन बाहर निकालने का दबाव हे साथ मे अर्थव्यवस्था के घाटे को भी कम करना चाहती हे सरकार बहुमत में भी उसके ऊपर दबाव भी नही हे इसलिए सरकार आभुसण के उद्योग को हतोसहित करना चाहती है
मेरे इन सब जानकारी को बताने का मुख्य् कारण यह हे की बड़े पूंजीपति और कालाधन को सोने में डालने के कारण हाथ से काम करने वाले सोनी समाज के सामने आज हड़ताल करने की जरूरत आ गयी है वैसे भी 80% व्यापारियो का सालाना टर्नओवर 12 करोड़ हो ही नहीं सकता है 12 करोड़ टर्नओवर का मतलब 42 किलो सोना साल का यानि महीने का 3.5 kg होता है। हमे इस हड़ताल से समर्थन वापस ले लेना चाहिये 1 % एक्साइज़ ड्यूटी देने से बड़े उद्योगों और कालाधन छुपाने वालो का असली चेहरा सामने आ जायेगा।
हो सकता हे की एक्साइज़ ड्यूटी लगने से कालाधन और अर्थव्यवस्था का घाटा काबू में आ जाये और सरकार कुछ सालो बाद एक्साइज़ ड्यूटी हटा दे वैसे भी बड़ी कम्पनियो की वजह से हमारे व्यसाय की हालत खराब हो ही चुकी है तो क्यों न हम उन बड़े पूंजीपतियो की हालत खराब कर दे
वैसे सुनने में आया हे की कल्याण ज्वेलर्स अपना एक शोरूम जोधपुर में खोलने वाला है और डायरेक्ट कस्टमर को 5 वेस्टेज में आभुसन देने का प्लान बना रही है उस समय उस जैसे बड़े पूंजीपति को हमारे जैसे सुनारों की प्रॉब्लम से कोई लेना देना नही होगा।
सोचिये 2 लाख पर पेन कार्ड अनिवार्य की पोर्बलम का हम छोटे व्यापारियो पर असर हुआ नहीं ना। पेनकार्ड वाली पोर्बलम भी बड़े पूंजीपतियो को ही हुई थी उनका कारोबार 30%घट गया था पर हमारा काम चल रहा था। वैसे भी सरकार छोटे व्यापारियो को हिसाब किताब रखने में छूट दे ही रही है तो हमे सिर्फ ये ही चिंता सता रही की अगले साल सरकार छोटे व्यापारियो को भी हिसाब किताब देने का बोल सकती है तो हम उस समय हड़ताल करेंगे ।अगर आप ये सोचते हे की उस समय बड़े पूंजीपति हमारा साथ नहीं देंगे तो ये हमारी गलतफहमी होगी क्योकि पुरे स्वर्णाभूषण के व्यसाय में बड़े पूंजीपति सिर्फ 10% ही है और हम 90% । इन लोगो को अपनी स्वार्थपूर्ति के लिए हमारा सहयोग चाहिए ।क्या हमारा समाजइतना छोटा हे की हम सरकार तक अपनी आवाज़ नहीं पंहुचा सकते? हमे अपना हक मांगने की आजादी नहीं हे क्या? सिर्फ बड़े पूंजीपति जो बोलेंगे हम वो ही करेंगे? आज ये हड़ताल भी हम लोगो की वजह से ही चल रही है। हड़ताल खत्म होने के बाद ये बड़े पूंजीपति हमारे ही सामने खड़े हो जायेंगे और हम लोग फिर अपने आप को ठगा हुआ महसूस करेंगे !
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