अश्फाक हुसैन की नजर पुष्कर पर?

एक ओर जहां राजनीतिक विष्लेशक आगामी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की ओर से पुश्कर में पूर्व राज्यमंत्री श्रीमती नसीम अख्तर इंसाफ और राजस्थान पर्यटन विकास निगम के अध्यक्ष धर्मेन्द्र राठौड की दावेदारी पर माथापच्ची कर रहे हैं, वहीं कानाफूसी है कि दो और नाम भी अंदरखाने चल रहे है। चर्चा है कि सेवानिवृत्त आईएएस व दरगाह कमेटी के पूर्व नाजिम जनाब अष्फाक हुसैन और सेवानिवृत्त संभागीय आयुक्त हनुमान सिंह भाटी आगामी विधानसभा चुनाव में पुश्कर से कांग्रेस टिकट की दावेदारी कर सकते हैं। हालांकि जयपुर से छपी एक खबर में अष्फाक हुसैन की दावेदारी झुंझुनूं से बताई जा रही है, मगर समझा जाता है कि विकल्प के तौर पर पुश्कर को भी रखेंगे। उसकी वजह ये है कि पिछले चुनाव में भी उनका नाम पुश्कर में जमीन तलाषने को लेकर सामने आया था। तब उनके रिष्तेदार वरिश्ठ पत्रकार जनाब जाकिर हुसैन ने तो खुल कर दावेदारी की थी।
अष्फाक हुसैन अजमेर व पुश्कर से अच्छी तरह से वाकिफ हैं। यहां की नेतानगरी के मिजाज व जातीय समीकरण को भी भलीभांति जानते हैं। वे अजमेर में अतिरिक्त जिला कलेक्टर तो रहे ही हैं, दो बार दरगाह नाजिम के पद पर भी काम कर चुके हैं। अजमेर व पुश्कर के मुसलमानों में सुपरिचित हैं। उनकी अपनी खुद की फेन फॉलोइंग भी है। जहां तक राजनीतिक पकड का सवाल है जानकार लोगों को पता है कि वे मुख्यमंत्री अषोक गहलोत के करीबी हैं। अजमेर में अतिरिक्त जिला कलेक्टर रहते हुए उनकी ही प्रषासनिक रिपोर्ट पर गहलोत ने उपचुनाव में स्वर्गीय श्री नानक राम जगतराय को कांग्रेस का टिकट दिया था। नानकराम जीते भी। बाद में गहलोत उन्हें जोधपुर भी लेकर गए।
जहां तक भाटी का सवाल है, वे लंबे समय तक विभिन्न पदों पर अजमेर में रहे हैं। यहां की राजनीतिक आबोहवा को बखूबी समझते हैं। जाहिर तौर पर पुश्कर में राजपूत वोट बैंक उनकी दावेदारी का आधार है।
प्रसंगवष बता दें कि अजमेर में कलेक्टर रह चुके और राजस्थान सरकार में मुख्य सचिव के पद से सेवानिवृत्त मुख्यमंत्री के सलाहकार निरंजन आर्य सोजत से कांग्रेस टिकट की दावेदारी करेंगे। इसी प्रकार अजमेर में अतिरिक्त जिला कलेक्टर पद से सेवानिृत्त हुए सुरेष सिंधी अजमेर उत्तर से कांग्रेस टिकट की दावेदारी कर सकते हैं। चर्चा ये भी है कि राजस्थान कौशल, नियोजन एवं उद्यमिता विभाग की आयुक्त सुश्री रेणु जयपाल अजमेर दक्षिण से दावेदारी कर सकती हैं। ज्ञातव्य है कि वे पूर्व मंत्री जसराज जयापाल की पुत्री व पूर्व विधायक डॉ राजकुमार जयपाल की बहिन हैं। यूं दावेदारी डॉ जयपाल की ही है, लेकिन कयास है कि उनकी बहिन की दावेदारी ऐन वक्त पर सामने आ सकती है।

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