सोनिया का पार्टी पर नियंत्रण, मगर सरकार बेकाबू

soniya 28.6.12सोनिया गांधी के बतौर कांग्रेस अध्यक्ष 15 साल पूरे करने को, जो कि 127 साल पुरानी इस पार्टी के इतिहास में एक रिकार्ड है, को उनकी एक बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है, मगर सवाल ये उठता है कि वे संगठन की तरह सरकार पर भी नियंत्रण रखने में क्यों कामयाब नहीं हो पाईं?
यह बात सही है कि 66 वर्षीय सोनिया ने राजनीतिक कैरियर में मई 2004 अहम सफलता हासिल करते हुए गठबंधन के रास्ते कांग्रेस को केंद्र में सफलतापूर्वक सत्ता तक पहुंचाया। जिस वक्त सोनिया गांधी ने 1998 में कांग्रेस की कमान संभाली थी, उस वक्त कांग्रेस बहुत ही खराब दौर से गुजर रही थी। सोनिया ने न केवल संगठन पर अपनी पकड़ मजबूत रखी, अपितु लगातार दो बार पार्टी को सत्ता पर भी काबिज करवाया, मगर सवाल ये उठता है कि अगर वे इतनी ही अच्छी प्रशासक हैं तो सरकार का परफोरमेंस खराब कैसे हो गया? विशेष रूप से यूपीए टू में तो एक के बाद एक बड़े घोटाले खुलने और महंगाई पर रत्ती भर भी काबू नहीं कर पाने से यह साफ हो गया है कि सरकार से दूर होने के कारण मंत्री उनके नियंत्रण नहीं रहे और उन्होंने सरकार की ये हालत कर दी है कि अब कांग्रेस के दुबारा सत्ता में आने संभावना कम ही बताई जा रही है। कानाफूसी है कि वे अपनी पार्टी की सरकार के मंत्रियों के भ्रष्टाचार से अपने आप को तो अलग रखने में कामयाब रही हैं, मगर सत्ता का वास्तविक केन्द्र होने के नाते उसकी जिम्मेदारी लेने से बचना चाहती हैं। ऐसे में सवाल ये उठता है कि क्या वे इस बार अपनी पार्टी की डूबती नैया को पार लगाने में कामयाब हो पाएंगी, विशेष रूप से इस कारण कि उन्होंने अपना काफी भार राहुल के कंधों पर डाल दिया है, जो कि अब तक कोई चमत्कार नहीं दिखा पाए हैं?

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