मोदी की उम्मीदवारी का ऐलान जुलाई के अंत में

30_06_2013-30nmodicmgनरेंद्र मोदी के नाम पर बीजेपी ऊहापोह से उबर चुकी है। इस महीने के अंत तक पार्टी उन्हें औपचारिक रूप से प्रधानमंत्री का उम्मीदवार घोषित कर देगी। इसके साथ ही यह तय हो गया है कि अगला चुनाव राहुल गांधी बनाम नरेंद्र मोदी होगा। पूरे मामले की जानकारी रखने वाले एक सूत्र ने बताया कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने पार्टी के सीनियर नेताओं लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी को इस बारे में बता दिया है। पिछले सप्ताह दोनों नेताओं और पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने संघ मुख्यालय नागपुर जाकर सरसंघचालक मोहन भागवत व दूसरे शीर्ष नेताओं से मुलाकात की थी। महाराष्ट्र के अमरावती में होने वाली आरएसएस के तीन दिनों की मंथन बैठक में मोदी के नाम को लेकर अलग-अलग पहलुओं से चर्चा की जाएगी और उसके बाद बीजेपी संसदीय बोर्ड पीएम के उम्मीदवार के रूप में उनके नाम की घोषणा कर देगा।

गोवा में राष्ट्रीय कार्यकारिणी में मोदी को चुनाव अभियान समिति का कमान सौंपे जाने के बाद से ही वह अनौपचारिक रूप से पार्टी का चुनावी चेहरा बन चुके हैं। हालांकि, इस मसले पर आडवाणी द्वारा सार्वजनिक रूप से नाराजगी जताने के बाद बीजेपी के कदम ठिठक गए थे और पार्टी ने 2014 के आम चुनाव के लिए उन्हें औपचारिक रूप से चेहरा बनाने में संयम बरतने का फैसला किया था। वैसे भी, एनडीए में सिर्फ जेडी(यू) को मोदी के नाम पर आपत्ति थी। अकाली दल शुरू से ही मोदी के साथ है। शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे से मोदी ने हाल ही में मुंबई में भेंट कर गिले-शिकवे दूर कर लिए थे। यहां तक कि एनडीए की भावी सहयोगी के रूप में देखी जा रहीं तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता ने चुनाव अभियान समिति का अध्यक्ष बनने पर उन्हें बधाई दी थी।
आरएसएस के मुखिया मोहन भागवत ने पिछले हफ्ते मिलने पहुंचे आडवाणी को बता दिया था कि मोदी को लेकर जबर्दस्त उत्साह है और संगठन उन पर दांव लगाएगा। हालांकि, इसके साथ ही उन्होंने आडवाणी को भरोसा दिलाया था कि पार्टी में निर्णय की प्रक्रिया को लेकर उनकी चिंताओं को दूर किया जाएगा। यह खबर भी आ रही है कि मोदी वाराणसी से चुनवा लड़ेंगे। फिलहाल यहां से मुरली मनोहर जोशी सांसद हैं। मोदी के समर्थकों को लगता है कि उनके नाम से जहां शहरी वोटरों का बीजेपी के पक्ष में ध्रुवीकरण होगा, वहीं पार्टी कार्यकर्ताओं में भी जबर्दस्त उत्साह आएगा।

बीजेपी के रणनीतिकारों को लगता है कि सत्ताधारी कांग्रेस ने 2009 के चुनाव में भले अच्छा प्रदर्शन किया था, लेकिन कुशासन और देश की अर्थव्यवस्था को अच्छी तरह से नहीं संभाल पाने की वजह से इस बार उसकी संभावना खराब है और इससे बीजेपी को फायदा होगा। इसलिए मोदी का पूरा चुनाव प्रचार सुशासन और गुजरात में पिछले 12 सालों में उनके शासन के ट्रैक रेकॉर्ड पर केंद्रित होगा। पार्टी की रणनीति को धार देने में लगे नेताओं का कहना है कि बीजेपी मोदी को लेकर वैचारिक संघर्ष बनाने की कोशिश पर भटकेगी नहीं और विकास व सुशासन के मुद्दे पर ही चुनाव लड़ेगी।

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