बिहार प्रवेश को तैयार दैनिक भास्कर के सामने दैनिक जागरण खड़ा हो गया है। बहुत ही तीखे कंपेन के आसार है। हिन्दुस्तान की तैयारी अभी ठीक से भले सरजमीं पर नहीं दिख रही, लेकिन तरकश में तीर बहुत हैं। दैनिक भास्कर का दूसरा कंपेन शुक्रवार को पटना में आ गया। ‘बोलो बिहार बोलो’ के जिन होर्डिंग्स पर पात्रों के मुंह पर पट्टी लगी थी,आज वह गायब दिखी। ‘बोलो बिहार बोलो’ के प्रचार युद्ध का अगला पंच है- ‘अब चलाओ अपनी मर्जी’।
दैनिक भास्कर ने होर्डिंग्स में अब तक अपने नाम को गायब रखा है। जाहिर है,वह जल्द पर्दा उठाने को तैयार नहीं। पटनावासियों को मार्केटिंग के फंडे के तहत अभी कुछ दिनों तक पहेली बुझाने के मूड में ही है। भीतर की खबर है कि पीसीसी/बुकिंग की तैयारी को अंतिम रूप दिया जा रहा है। उधर दैनिक जागरण ने प्रचार-युद्ध में अपनी धमक को और तेज किया है। ‘सच से भेंट,बिना लाग-लपेट’ के साथ ही आज कुछ और होर्डिंग्स नये स्थानों पर देखने को मिला। नये होर्डिंग्स में नया पंच है- ‘हम लिखते हैं,तो,रास्ते दिखते हैं’। खबर के मुताबिक दैनिक जागरण लड़ाई के हर मोर्चे पर लड़ने को तैयार है। पीसीसी भी संभव है।
हिन्दुस्तान ने और कोई नया होर्डिंग तो नहीं टांगा है। लेकिन पिछले दो दिनों से हिन्दुस्तान ने खबरों के एक पन्ने को नया नाम दे दिया है ‘बोल बिहार बोल’। कई लोग इसे दैनिक भास्कर के कंपेन का नकल मान रहे हैं,तो हिन्दुस्तान की टीम ने यह सोचकर किया है कि अगले के कंपेन से पैदा होने वाली बिजली को ही फ्यूज कर देते हैं। असर क्या होगा,आने वाले समय में मालूम होगा।
प्रभात खबर ने कंटेंट और डिजाइन को अभी हाल में ही बदला है। अखबार की कीमत भी दैनिक जागरण और हिन्दुस्तान की तुलना में सप्ताह के अधिक दिनों में कम ही है। ऐसे में,लड़ाई के आप्शन को कहां तक खोलेगा प्रभात खबर,मार्केट में उत्सुकता है। इस बीच सभी मीडिया हाउसों में रोज नये शिगूफे उड़ते रहते हैं। कौन कहां जा रहा है और किससे मिल रहा है,इस पर तेज निगहबानी है। लेकिन इस बीच अच्छे संकेत इस बात के हैं कि पत्रकार मित्रों का कुछ भला होने वाला है। आन डिमांड वाले पत्रकारों की सैलरी कुछ ज्यादा ही बढ़ सकती है। पिछले कई वर्षों में हुआ इंक्रीमेंट तो बस लेमनचूस की तरह था। आप्शन न होने के कारण सभी चुप बैठे थे। अब ये भी जरुर बोलेंगे। –ज्ञानेश्वर, पटना से
http://visfot.com