कहीं शोभन सरकार के पीछे आसाराम का तो सपना नहीं?

नीचे एक कार्टून दिया गया है जो महाख़जाने की खुदाई में आसाराम के बेटे नारायण साई के मिलने पर चुटकी ले रहा हैं. लेकिन इस कार्टून की तह में एक संदेश और छुपा है. पुलिस नारायण साईं को लगातार ढ़ूढ रही है. साईं के खिलाफ लुकआउट नोटिस भी जारी किया गया है. लेकिन पुलिस की गिरफ्त से साईं अभी तक बाहर है. हां..इतना ज़रुर है.. साईं की गिरफ्तारी से पहले ही आसाराम एण्ड कंपनी ने अग्रिम जमानत की अर्जी कोर्ट में दे दी है. मतलब साईं गिरफ्तारी से पहले ही जेल से बाहर होंगे. (अगर अर्जी मंजूर हुई तो).

khudayicartपिछले 15 दिन से इस प्रकरण को मीडिया भी ख़ूब भुना रहा हैं. आसाराम एण्ड कंपनी के रुप में मीडिया को एक ऐसा ‘मधुमक्खी का छत्ता’ हाथ लगा है जिसे जितना ज्यादा निचोड़ा जा रहा हैं, उतनी ही ज्यादा टीआरपी रुपी शहद निकलकर बाहर आ रहा है. लिहाजा ज्यादात्तर चैनल आसाराम एण्ड कंपनी को निचोड़-निचोड़ कर ख़ूब टीआरपी कमा रहे हैं. कुछ चैनल तो आसाराम एण्ड कंपनी के पीछे हाथ-मुंह धोकर नहीं बल्कि सब कुछ धोकर पड़ गए है. पड़ना भी जाय़ज है..आख़िर मामला टीआरपी का जो है. नतीजतन कुछ चैनलों ने अपने से ऊपर के चैनलों को पछाड़ा हैं.

मीडिया चैनलों की आपसी प्रतिस्पर्धा से आसाराम एण्ड कंपनी बौखलाई मालूम पड़ती है. आसाराम समर्थक चैनलों के कैमरे तोड़कर अपना गुस्सा निकाल रहे हैं. लेकिन जब छत्ते से शहद निकल रहा है…तो रुकना कैसा… लेकिन आज सबकुछ रुक गया है.. सभी ने आसाराम एण्ड कंपनी से शहद निचोड़ना बंद कर दिया है. सभी को रील लाइफ वाला पीपली गांव रियल में जो मिल गया है. जंगल में ओविया तैनात कर दी गई हैं. 6-6 कैमरों से महाकवरेज की जा रही है. वो बात अलग है कि ASI ने सभी कैमरों को खुदाई एरिया से बाहर रखने का हुकम दिया है…कैमरे 500-700 या हजार मीटर दूर हैं तो क्या हुआ.. महाकवरेज तो की ही जा रही है..रिपोर्टर बिना कैमरा साथ ले जाए खुदाई देखकर आ रहे है फिर बाहर आकर कैमरे पर दर्शकों को उसी अंदाज में बता रहे हैं जैसे संत प्रवक्ता.. शोभन सरकार के सपने को मीडिया को बता रहे हैं…

सपना मतलब 1 हजार टन सोने का ख़जाना..यानि तकरीबन 3 लाख करोड़ रुपये का माल… लेकिन मुझे इस सब से इतर, शक है कि कहीं आसाराम एण्ड कंपनी ने ही मीडिया से अपना दामन छुड़ाने के लिए कोई नई चाल तो नहीं चली है. क्योंकि उन्नाव में यदि खजाना दफन था तो संत शोभन सरकार अब तक कहां थे..? क्या संत ख़जाना निकालने के लिए ख़ुद ही प्रयत्न कर रहे थे या फिर इंडीविजबली रुप से कामयाब न होने पर सरकार को मजबूरन बताना पड़ा. ख़ैर वजह चाहे जो भी हो. आने वाले समय में सबकुछ साफ हो जायेगा. सोना निकला तो इतिहास के पन्नों में दर्ज हो जायेगा और नहीं भी निकलता तो मीडिया इंडस्ट्री में तो कम से कम ज़रुर जाना जाएगा.. बिल्कुल उसी तरह..जिस तरह गणेश मूर्ति के दूध पिए जाने वाले प्रकरण किस्से, आज हम वरिष्ठतम पत्रकारों के मुंह से सुनते हैं….

लेखक रहीसुद्दीन ‘रिहान’ युवा पत्रकार हैं. http://bhadas4media.com

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