दमोह विधानसभा पर टिकी सबकी नजरें

2 लाख 12 हजार 571 मतदाता करेंगे प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला
रोचक होगा चुनावी मुकाबला, मुख्य दलों सहित 15 प्रत्याशी मैदान में
जयंत मलैया
जयंत मलैया

-डा.लक्ष्मीनारायण वैष्णव- भोपाल  / मध्यप्रदेश में विधानसभा के रिक्त 230 विधानसभा क्षेत्रों को भरने के लिये निर्वाचन आयोग द्वारा निष्पक्ष और निर्विध्र चुनाव सम्पन्न कराने हेतु कमर कस कार्य में लगा हुआ है तो वहीं राजनैतिक दल भी चुनाव में अपने -अपने दलों के वादे और प्रत्यासियों की जानकारी मतदाताओं की बीच रखने का क्रम भी जारी है। चुनाव की सरगर्मियां पूरे सबाव पर हैं और हर प्रत्याशी अपनी जीत का दावा करते हुये नजर आ रहे हैं। आरोप प्रत्यारोप का दौर निरंतर जारी है और मतदाता ने चुप्पी साध रखी है। वह इंतजार कर रहा है, मतदान दिवस अर्थात 25 नवम्बर का जिस दिन वह अपने मताधिकार का प्रयोग कर सकेगा। प्रत्याशी लगातार मतदाताओं को रिझाने में लगे हुये हैं, विधानसभा 55-दमोह में 15 उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। जिसमें मुख्य दल के रूप में भारतीय जनता पार्टी की टिकिट पर विगत पांच वार अपनी जीत दर्ज कराने वाले स्थानीय विधायक तथा प्रदेश के मंत्री जयंत कुमार मलैया छटवीं वार अपनी किस्मत आजमाने में लगे हुये हैं, तो वहीं उनके सामने भाजपा की टिकिट से विधायक और सांसद बने भाजपा से निष्कासित और पूर्व  सांसद कांग्रेस में सम्मिलित हुये चंद्रभानसिंह इंडियन नेशनल कांग्रेस से अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। विदित हो कि गत आम निर्वाचन चुनाव 2008 के परिणामों में जयंत मलैया ने चन्द्रभान को काफी मतों अर्थात् मात्र 131 मतों के अंतर से शिकस्त देते हुये जीत का परचम लहराया था। इस बार पुन: कांग्रेस ने चन्द्रभान को मैदान में उतारा है जबकि भारी विरोध के बाद भी भारतीय जनता पार्टी ने जयंत कुमार मलैया पर अपना विश्वास व्यक्त करते हुये चुनावी समर में पार्टी का अधिकृत प्रत्यासी बनाया है। देखा जाये तो क्षेत्र पर नजरें इस समय गत चुनाव की भांति इस बार भी पूरे प्रदेश की टिकी हुई हैं भारतीय जनता पार्टी ने अपने प्रत्यासी की घोषणा समय पर कर दी थी परन्तु कांग्रेस में लगातार कयासों का बाजार गर्म रहा था। अचानक ही पूर्व में समाजवादी और राममनोहर लोहिया,जयप्रकाशनारायण की विचार धारा को लेकर राजनीति करने वाले तथा हाल ही मैं कांग्रेस में सम्मिलित संतोष भारती को टिकिट देने की घोषणा करने के मात्र 24 घंटे के अंदर ही कांग्रेस ने चन्द्रभान पर विश्वास व्यक्त कर चुनावी समर में उतार दिया है।

चन्द्रभान सिंह
चन्द्रभान सिंह

आगामी चुनाव में क्षेत्र के 2 लाख 12 हजार 571 मतदाता प्रत्यासियों के भाग्य के फैसले को आगामी 25 नबम्बर को ईव्हीएम मशीन में बंद कर देंगे। प्राप्त जानकारी के अनुसार विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र  55-दमोह में अंतिम रूप से शेष 15 अभ्यर्थियों क्रमश:  आर्शीवाद नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी को घडी, चन्द्रभान भैया इंडियन नेशनल कांग्रेस को हाथ,  जयंत मलैया भारतीय जनता पार्टी को कमल,  बसंत कुशवाहा बहुजन समाज पार्टी को हाथी, सुश्री आरती ङ्क्षसह लोधी भारतीय शक्ति चेतना पार्टी को बांसुरी, मजीद भाई समाजवादी पार्टी को साइकिल, श्रीमती ममता मरावी गौडवाना गणतंत्र पार्टी को आरी, कुमारी शुभांगिनी पाठक सवर्ण समाज पार्टी को पतंग, हाजी अब्दुल अलीम निर्दलीय को आटो रिक्शा, अरङ्क्षवद चतुर्वेदी निर्दलीय को टेबल लैम्प, गोपाल प्रसाद ऊर्फ रजोला निर्दलीय को फलों से युक्त टोकरी,  चन्द्रभान भैया निर्दलीय को बल्लेबाज,  चन्द्रभान भैया मझगुवां वाले निर्दलीय को फूलगोभी,  पं.विजय दिवाकर करमरकर निर्दलीय को झाडू एवं एडवोकेट नीलेश निर्दलीय को नारियल चुनाव प्रतीक चिन्ह आवंटित किया गया है। देखा जाये तो मुख्य रूप से मुकाबला भाजपा के जयंत मलैया और कांग्रेस के चन्द्रभानसिंह के मध्य हैं, उंट किस करवट बैठता है, यह तो आने वाले समय में सबके सामने होगा। परन्तु चर्चाओं का बाजार गर्म हैं, भाजपा के प्रत्याशी अपने कार्यकाल में किये विकास कार्यो को लेकर तथा मध्यप्रदेश शासन की जनकल्याणकारी योजनाओं को लेकर मैदान में हैं, उनके अनुसार आने वाले समय में पेयजल समस्या से पूर्णत: मुक्ति मिल जायेगी तथा विकास को और अधिक गति मिलेगी। रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे, वेरोजगारी खत्म होगी, वहीं दूसरी ओर भाजपा से निष्कासित कांग्रेस की टिकिट पर पुन:मैदान में उतरे चंद्रभानसिंह भय मुक्त प्रशासन तथा गुण्डागर्दी पर अंकुश लगाने के वायदे को लेकर मैदान मैं हैं। इस विधानसभा के इतिहास पर नजर डालें तो आप देखेंगे की बड़ा ही दिलचस्प इतिहास रहा है क्षेत्र का जहां 1962 से लेकर आज तक चार बार भारतीय जनता पार्टी, चार बार कांग्रेस तथा दो बार निर्दलीय प्रत्याशी ने बाजी मारी है। अधिकांश अवसर वह रहे जब यहां से विधायक पद पर निर्वाचित हुये विधायको को मंत्री मंडल में स्थान मिला, 1962 में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में अधिवक्ता आनंद श्रीवास्तव ने कांग्रेेस के हरिश्चन्द्र को हराया तो वहीं 1967 में कांग्रेस प्रत्याशी प्रभुनारायण टण्डन ने आनंद श्रीवास्तव को पराजित किया, 1972 में पुन: आनंद श्रीवास्तव विजयी हुये जिन्होंने प्रभुनारायण टण्डन को पराजित किया, 1977 में प्रभुनारायण टण्डन जनता पार्टी के संतोष भारती को पराजित करते हुये पुन: विधायक बने, 1980 में चन्द्रनारायण टण्डन कांग्रेस की टिकिट से भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी श्रीमति कृष्णा आनंद को पराजित कर विधायक बने तो 1985 में मुकेश नायक जो कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में मैदान में थे भाजपा प्रत्याशी जयंत कुमार मलैया को काफी कम मतों से पराजित कर विधायक बने। यह चुनाव काफी रोचक और कांटे की टक्कर का कहा जा सकता है, 1990 में भाजपा की टिकिट पर जयंत कुमार मलैया पुन: मैदान में उतरे और उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी अनिल टण्डन को पराजित किया, 1993 में श्री मलैया ने कांग्रेस प्रत्याशी बीरेन्द्र दबे, 1998 में तथा 2003 में अजय टण्डन एवं बर्ष 2008 में जयंत कुमार मलैया ने कांग्रेस चन्द्रभान को पराजित किया।

डा.लक्ष्मीनारायण वैष्णव
डा.लक्ष्मीनारायण वैष्णव

विगत छै:विधानसभा चुनाव से लेकर भाजपा की गढ बन चुकी यह विधानसभा रूपी गढ़ को भेदने के लिये कांग्रेस ने भाजपा में लम्बा समय बिता चुके विधायक और सांसद के रूप में भाजपा की टिकिट पर अपनी जीत दर्ज करा चुके कांग्रेस में सम्मिलित हुये चंद्रभानसिंह को पुन: मैदान में उतारा है। दोनों के आमने सामने होने पर मामला और रोचक हो चुका है, फिल हाल दोनो मतदाताओं के मध्य पहुंच रहे हैं और अपनी-अपनी उपलब्ध्यिों सहित एक दूसरे की कमियों को गिनाने में लगे हुये हैं। और मतदाता है कि चुपचाप मतदान दिवस का इंतजार कर रहा है !

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