दिल्ली के मुख्यमंत्री पद से केजरीवाल का इस्तीफा

Arvind Kejriwalनई दिल्ली / आम आदमी पार्टी के अरविंद केजरीवाल की सरकार सिर्फ 49 दिन चल सकी। शुक्रवार को विधानसभा में जनलोकपाल बिल पेश करने में नाकाम रहने के बाद उन्होंने अपना इस्तीफा उपराज्यपाल को सौंप दिया। इससे पहले, केजरीवाल की अध्यक्षता में कैबिनेट की मीटिंग हुई, इसमें दिल्ली सरकार ने विधानसभा भंग करने और फिर से चुनाव कराने की सिफारिश की। हालांकि, गृह मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, दिल्ली विधानसभा भंग करने की सिफारिश मंजूर नहीं की जाएगी।
जनलोकपाल बिल के लिए दिल्ली सरकार ने रविदास जयंती की छुट्टी के दिन विधानसभा का सत्र बुलाया था। सुबह कार्यवाही शुरू होते ही उपराज्यपाल नजीब जंग की ओर से विधानसभा स्पीकर एम.एस. धीर को भेजे गए मेसेज को लेकर हंगामा शुरू हो गया। बीजेपी और कांग्रेस विधायकों के भारी दबाव में स्पीकर को वह मेसेज पढ़कर सदन में सुनाना पड़ा। इसमें एलजी ने साफ लिखा था कि नियमों के अनुसार लोकपाल बिल सदन में पेश करने से पहले उस पर केंद्र सरकार की सहमति लेना जरूरी है। सरकार ने ऐसा नहीं किया। ऐसे में अगर बिल सदन में पेश किया जाता है तो उसे स्वीकार ना किया जाए। थोड़ी देर बाद कांग्रेस और बीजेपी विधायकों के भारी विरोध के बावजूद सीएम केजरीवाल ने स्पीकर की इजाजत से बिल पेश कर दिया। स्पीकर ने उसे स्वीकार भी कर लिया। लेकिन, इस पर इतना हंगामा हुआ कि स्पीकर को वोटिंग करानी पड़ी। बिल पेश किए जाने के खिलाफ 42 और पक्ष में सिर्फ 27 वोट पड़े। इस तरह माना गया कि बिल पेश नहीं हुआ है।
केजरीवाल ने अपने भाषण में इस्तीफा देने का संकेत देते हुए कहा कि विधानसभा की कार्यवाही देखकर मन खट्टा हो गया है। इसके बाद विधानसभा अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई। फिर दिल्ली कैबिनेट की बैठक हुई। यहां से केजरीवाल पार्टी ऑफिस पहुंचे, जहां सैकड़ों कार्यकर्ता जमा थे। केजरीवाल ने उन्हें संबोधित करते हुए कहा कि मैंने जो जनलोकपाल बिल पेश किया, वह पूरी तरह संवैधानिक है। बीजेपी और कांग्रेस डर गई, इसलिए जनलोकपाल का विरोध किया। उन्होंने कहा कि अगर हम भी करोड़ों रुपये खा लेते और थोड़ा पैसा बीजेपी और कांग्रेस में बांट देते तो ये कहते कि दिल्ली में बहुत बढ़िया सरकार चल रही है। उपराज्यपाल भी अपने आप को वायसराय समझते हैं। विधानसभा को महत्व नहीं देते। मैं एलजी से कहूंगा कि दिल्ली विधानसभा को बर्खास्त किया जाए और फिर से चुनाव कराया जाए।

भाजपा और कांग्रेस को सबक सिखाएगी जनता 

नई दिल्ली: जनलोकपाल बिल को गिराने को लेकर कांग्रेस और भाजपा को आड़े हाथों लेते हुए अरविंद केजरीवाल ने कहा कि जनता इन दोनों पार्टियों को आने वाले समय में सबक सिखाएगी। उन्होंने कहा, ‘वह झूठ बोलते हैं कि हम संविधान का पालन नहीं कर रहे। वह हमसे भ्रष्टाचार करवाना चाहते हैं। भाजपा और कांग्रेस दोनों ने हाथ मिला लिए हैं। हम कहते हैं भ्रष्टाचार मिटाओ। वह कहते हैं यह असंवैधानिक है।’ केजरीवाल ने यहां आम आदमी पार्टी मुख्यालय के बाहर बड़ी संख्या में मौजूद अपने समर्थकों से कहा, ‘वह माइक तोड़ते हैं और इसे संवैधानिक मानते हैं। जनता उन्हें सबक सिखाएगी।’ उन्होंने कहा कि दोनों दल चाहते थे कि वह उनकी इच्छाओं के अनुसार काम करें।

विधानसभा में शुक्रवार को जनलोकपाल विधेयक की हार के बाद इस्तीफा देने वाले केजरीवाल ने कहा, ‘विधानसभा में कल जो कुछ हुआ उससे मेरा दिल टूट गया। वह चाहते थे कि हम उनकी इच्छाओं के अनुसार काम करें। वह सोचते हैं कि हम नए हैं और हम जो भी काम करेंगे, उसमें उनकी सलाह मांगेंगे। लेकिन हमने संविधान का पालन किया और मैं संविधान के लिए अपना जीवन बलिदान करने को तैयार हूं।’
अपनी करीब आधे घंटे की तकरीर में केजरीवाल ने भाजपा और कांग्रेस दोनों पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, ‘मुझे याद है कि जब दिल्ली विधानसभा के चुनाव हुए थे तो हम यहां थे। मुझे याद है मैंने इसी खिड़की से आपको संबोधित किया था। हमें 28 सीटें मिलीं और हम सरकार बनाने के बारे में निश्चित नहीं थे। हमारा विचार था कि हम भाजपा या कांग्रेस का सहयोग नहीं लेंगे।’ केजरीवाल ने कहा, ‘कांग्रेस ने जबर्दस्ती हमें समर्थन दिया। हमने लोगों से पूछा। उन्होंने जितने दिनों के लिए हो सके समर्थन लेने और अच्छा काम करने को कहा।’ इसके बाद हम 28 दिसंबर को सत्ता में आए। हमारा सबसे बड़ा वादा एक मजबूत भ्रष्टाचार निरोधक जन लोकपाल विधेयक था। कांग्रेस ने लिखित में दिया था कि वह जन लोकपाल विधेयक का समर्थन करेंगे।
‘आज जब हमने विधानसभा में जन लोकपाल विधेयक पेश करने का प्रयास किया तो भाजपा और कांग्रेस एक हो गए। ऐसा पहले कभी नहीं हुआ था.. ‘उन्होंने जन लोकपाल विधेयक को हरा दिया। ऐसा क्यों हुआ, क्योंकि तीन दिन पहले मुकेश अंबानी (रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड के अध्यक्ष) के खिलाफ हमने प्राथमिकी दर्ज कराई थी। यह वही आदमी है जो देश की सरकार चलाता है।’
केजरीवाल ने आरोप लगाया, ‘मुकेश अंबानी ने एक बार कहा था कि कांग्रेस उसकी दुकान है और वह उससे कुछ भी खरीद सकता है और पिछले दस साल से वह संप्रग सरकार चला रहा है।’ उन्होंने कहा, ‘मोदी के पीछे भी मुकेश अंबानी है। मोदी को इतना पैसा कहां से मिलता है? मोदी हेलीकॉप्टर में घूमते हैं। इतनी विशाल रैलियां करने के लिए उनके पास पैसा कहां से आता है? जब हमने मुकेश अंबानी की तरफ उंगली उठाई तो कांग्रेस और भाजपा ने हाथ मिला लिए।’
केजरीवाल ने कहा, ‘वह सोचते हैं कि केजरीवाल भ्रष्टाचार के खिलाफ एक छोटी सी इकाई है और वह इस तरह की बाधाएं खड़ी कर रहे हैं। अगर जन लोकपाल विधेयक बन गया तो उनके आधे से ज्यादा पार्टीजन जेल में होंगे। वह सोचते हैं कि हम शरद पवार, कमल नाथ के खिलाफ भी आवाज उठाएंगे।’
उन्होंने कहा कि भाजपा और कांग्रेस देश को लूटने के लिए हर दिन मिलते हैं, ‘लेकिन पिछले कुछ दिनों में उनके असली चेहरे सामने आ गए हैं। दोनों ने आज विधेयक को विधानसभा में पास नहीं होने दिया।’
केजरीवाल ने कहा कि भाजपा और कांग्रेस पिछले पांच साल में बिजली वितरण कंपनियों का ऑडिट नहीं करवा पाईं, जो हमने पांच दिन में कर दिया। वह 65 बरस में भ्रष्टाचार नहीं मिटा पाए, हमने शीला दीक्षित के भ्रष्टाचार के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई।
केजरीवाल ने सवाल किया, ‘उन्होंने हमसे कहा कि ऐसा मत करो और सरकार चलाओ। क्या भ्रष्ट को जेल में डालना सरकार चलाना नहीं है?’ केजरीवाल ने कहा, ‘मैं कोई नहीं हूं। मैं आप में से ही एक हूं। मैं पद के लिए यहां नहीं आया था। आज जब जनलोकपाल विधेयक पास नहीं हो पाया तो हमारी सरकार ने इस्तीफा दे दिया। हमारी केबिनेट ने सिफारिश की है कि विधानसभा को भंग कर दिया जाए और ताजा चुनाव कराए जाएं।’
उन्होंने कहा कि उनकी सरकार पूरे समर्पण के साथ दिल्ली की जनता के कल्याण के लिए दिन रात काम कर रही थी। ‘अगर मुझे मुख्यमंत्री के पद से 100 बार भी इस्तीफा देना पड़े तो मैं दूंगा..अंत में मैं ईश्वर से यही प्रार्थना करूंगा कि हम छोटे लोग हैं, कृपया हमें सद्बुद्धि दें ताकि हम देश के भले के लिए अपने प्राणों की आहूति दे सकें।’

 

 

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