साथ देते हैं तो बस परमात्मा-पं. रविकृष्ण शास्त्री
विदिषा /‘‘संसार से आसक्ति नहीं रखें। संसार में कोई, किसी का साथ नहीं देता। केवल भवान ही साथ देते हैं। परमात्मा, शरीर का नहीं, आत्मा का विषय है। शरीर को परमात्मा की प्राप्ति नहीं हो सकती, जबकि आत्मा को परमात्मा की प्रत्यक्ष अनुभूति संभव है।’’ स्थानीय मेघदूत टॉकीज में श्रीमद् भागवत कथा के द्वितीय दिवस शुक्रवार को भागवताचार्य पं. रवि कृष्ण शास्त्री ने शास्त्र सम्मत उपर्युक्त उपदेष उद्गार के रूप में व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि भगवान को प्रेम से मित्र मानो, तो वे भी आपको मित्र की भांति साथ देंगे। इस अवसर पर पं. रविकृष्ण शास्त्री के धुंधकाम और गोकर्ण प्रसंग पर प्रकाष डालते हुए कहा कि जिस धुंधकाम की आत्मा को गयाजी में पिण्डदान के बाद भी मुक्ति नहीं मिली थी, उसी धुंधकाम को गोकर्ण ने श्रीमद्भागवत कथा का रसास्वादन कराकर मुक्त करा दिया। उन्होंने कहा कि काया, माया के चंगुल में फंसती है। माया का काम ही मनुष्य को अपने षिकंजे में जकड़ना है। काया और माया का साथ मनुष्य के जन्म से ही प्रारंभ हो जाता है। माया ऐसी मोहक होती है कि मनुष्य उसे छोड़ नहीं पाता। यहां तक कि मृत्यु के समय भी मनुष्य संसार से विरक्त नहीं हो पाता है। परिणामस्वरूप पुनः जन्म लेकर फिर संसार में आ जाता है। परमेष्वर की भक्ति से माया का बंधन कटता है और मनुष्य परम दुर्लभ परम मोक्ष्य-मुक्ति प्राप्त कर सकता है। इस अवसर पर जाने-माने समाजसेवी, आध्यात्मिक सेवाभावी अजीत सिकरवार के भजन ने श्रोताओं को मंत्र मुग्ध कर दिया। आयोजन समिति के अंकित अरोरा, मोहरसिंह यादव, राहुल शर्मा, गगन सोनी, नमन सोनी, विक्रम मीना, जयवर्धन मीना, चिंटू यादव, पवन, लकी अरोरा, गौरव चतुर्वेदी, राहुल सैनी, अंकित माहेष्वरी, कथा सेवा के साथ श्रद्धालु सेवा में संलग्न रहे ।
3 मई को लोकलोक पर्वत वर्णन, आजामिलोपाख्यान, महर्षिदधीचि का त्याग, प्रहलाद चरित्र, नृसिंहावतार की कथा होगी।
-अमिताभ शर्मा
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