यूपी कैडर के 1967 बैच के रिटायर्ड आईएएस अफसर नृपेंद्र मिश्रा को आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का प्रिंसिपल सेक्रेटरी बनाया गया. मिश्रा ने बुधवार से कार्यभार संभाल लिया. पुलोक चटर्जी मनमोहन सरकार में साल 2011 से 2014 तक प्रिंसिपल सेक्रेटरी रहे. संयोगवश पुलोक भी यूपी कैडर के आईएएस रहे हैं. अपनी नई भूमिका के तहत मिश्रा पीएम और सरकार के बीच अहम कड़ी का काम करेंगे. पीएमओ में प्रिंसिपल सेक्रेटरी की भूमिका अहम होती है. वह पीएमओ, कैबिनेट सचिवालय और मंत्रालयों के सचिवों के बीच समन्वय के लिए संपर्क का कार्य करता है. हालांकि, मिश्रा की नियुक्ति के लिए मोदी सरकार को नियमों में बदलाव करने पड़े हैं. ट्राई के पूर्व चेयरमैन मिश्रा 2009 में ही रिटायर हो गए थे.
ट्राई के कानून के एक प्रावधान के तहत इसके अध्यक्षों और सदस्यों को पद छोड़ने के बाद केंद्र या राज्य सरकारों में किसी अन्य पद पर नियुक्त नहीं किया जा सकता है. मिश्रा को पीएम के प्रिंसिपल सेक्रेटरी पद पर नियुक्त किए जाने में यह प्रावधान आड़े आ सकता था. इसलिए केंद्र की मोदी सरकार ने इस कानून में संशोधन करने के लिए अध्यादेश लागू कर दिया है.
कांग्रेस ने उठाए सवाल
कांग्रेस ने मिश्रा की नियुक्ति पर सवाल उठा दिए हैं. कांग्रेस प्रवक्ता अजय माकन ने पूछा कि सरकार ने इस सिलसिले में अध्यादेश का रास्ता क्यों अपनाया? उन्होंने हालांकि यह भी साफ किया कि पार्टी इस अधिकारी में कोई दोष नहीं बता रही है और ईमानदार एवं बेबाक व्यक्ति के रूप में उनकी सराहना करती है. कार्मिक मंत्रालय की ओर से आज जारी आदेश के मुताबिक मिश्रा की नियुक्ति प्रधानमंत्री के कार्यकाल तक या फिर अगले आदेश तक रहेगी. मिश्रा 2006 से 2009 के बीच ट्राई के चेयरमैन रह चुके हैं. 69 साल के मिश्रा उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं. इन्होंने राजनीति शास्त्र और लोक प्रशासन में स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल की है.