दिल्ली उच्च न्यायालय ने कांग्रेस सांसद नवीन जिंदल की कंपनी से 100 करोड़ रुपए वसूली की कोशिश के मामले में जी ग्रुप के अध्यक्ष सुभाष चंद्रा, जी ग्रुप के संपादकों सुधीर चौधरी और समीर अहलूवालिया के खिलाफ दिल्ली पुलिस को आगे जांच करने संबंधी सत्र अदालत के निर्देश को बरकरार रखा.
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश (एएसजे) के 6 जनवरी के आदेश के खिलाफ चौधरी की याचिका खारिज करते हुए न्यायमूर्ति सुनील गौड़ की पीठ ने यह आदेश दिया. उच्च न्यायालय ने कहा कि मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट (सीएमएम) ने 13 सितंबर 2013 को जो टिप्पणी की वह ‘गैरजरूरी’ थी और एएसजे का कहना है कि उनकी राय से प्रभावित हुए बिना जांच जारी रहेगी.
सेशन कोर्ट ने चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट (सीएमएम) के उस फैसले को खारिज कर दिया था, जिसमें पुलिस पर जांच में खामियां बरतने व कई धाराओं के लागू न होने का तर्क दिया गया था. अदालत ने कहा था कि आरोप पत्र पर संज्ञान लेने की स्थिति में सीएमएम को ऐसी टिप्पणियां करने का अधिकार नहीं है कि किस धारा में मुकदमा चलेगा या नहीं.
सीएमएम ने मामले में आरोपपत्र का संज्ञान लेने से यह कहते हुए इंकार किया कि जांच में ‘साक्ष्यगत खामियां’ है और आगे जांच का आदेश दिया. उन्होंने यह भी कहा था कि वसूली और धोखाधड़ी दोनों का अपराध आरोपी के खिलाफ एक साथ नहीं लगाया जा सकता. पुलिस ने सत्र अदालत में सीएमएम के आदेश को सत्र अदालत में चुनौती दी थी. गौरतलब है कि दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने पिछले साल चंद्रा, चौधरी और अहलूवालिया के खिलाफ आईपीसी के विभिन्न प्रावधानों के तहत आरोपपत्र दाखिल किया था.