पंजाब में बदल रहे है भाजपाई दिग्गजों के सुर

bjp logoकेंद्र में भाजपा सरकार बनने उपरांत पंजाब प्रदेश के भाजपाईयों के सुरों में भी बदलाव आना शुरू हो गया है, जो पिछले लंबे समय से पंजाब में बादल जनता पार्टी की तरह काम करते आ रहे है। पिछले लगभग सात वर्ष में अकाली दल के यैसमैन बने भाजपाई अपने पंख फैलाने लग गए है। स्थानीय निकाय मंत्री अनिल जोशी द्वारा रेल बजरी की कालाबाजारी के लिए सार्वजनिक तौर पर उप मुख्यमंत्री सुखबीर बादल को दोषी ठहराया जा चुका है। वर्ष 2007 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को अप्रत्यक्ष रूप से 19 विधानसभाई पर विजयी हासिल हुई थी, जबकि उनके सहयोगी अकाली दल ने 49 क्षेत्रों में विजयी परचम लहराया था। तब अकाली दल को भाजपाई बैसाखियों की भारी जरूरत थी और उसने भाजपा के साथ पांच वर्ष का कार्यकाल सफलता के साथ पूरा किया। अकाली दल ने भाजपा के चार विधायकों को मंत्री तो बनाया, मगर वह अपने तौर पर कोई भी निर्णय नहीं ले सकते थे। शहरी आबादी का प्रतिनिधित्व करने की वकालत का दम भरने वाली भाजपा अपने वोट बैंक को सुरक्षित नहीं रख पाई, क्योंकि अकाली दल सरकार पर भाजपा हावी थी। अकाली भाजपा सरकार में अकाली दल द्वारा जितनी भी नीतियां और योजनाएं बनाई गई, वह अपनी ग्रामीण वोट बैंक पक्का करने के लिए थी। अकाली दल ग्रामीण मतदाताओं को लुभाता रहा है और उसका बोझ शहरी क्षेत्रों पर डालता रहा। भाजपा के मंत्री सत्ता सुख में मस्त रहे और उन्होंने अकाली दल के ग्रामीण प्रेम और शहरी मार की कमी का विरोध नहीं किया। केवल इतना ही भाजपा ने वर्ष 2008-9 में चलो गांव की ओर नारा दिया, तो अकाली दल सकते में आ गया, जिसके चलते पंचायत व नगर निगम के चुनाव में अकाली और भाजपा में जूतम-पैजार हुआ। भाजपा ने चलो गांव की ओर तो रोक दिया, मगर अकाली दल ने शहरी क्षेत्रों में सेंधमारी शुरू कर दी। जिसका परिणाम 2012 के विधानसभा चुनाव में देखने को मिला। भाजपा की विधायिकी आंकड़ा 19 से कम होकर 12 तक तथा अकाली दल 49 से 56 तक पहुंच गया। अकाली दल को मात्र तीन ओर विधायिकों की दरकार थी, अपने बलबूते पर सरकार बनाने के लिए जिसे अकाली दल ने उपचुनाव करवाकर पूरा कर लिया। अकाली दल ने भाजपा को विश्वास में लेना ही बंद कर दिया, मगर भाजपा आलाकमान चुप्पी साधे रहा। भाजपा पंजाब में बादल जनता पार्टी बनकर रह गई और अकाली दल निरंकुश होकर नीतिगत निर्णय लेने लगा। स्थिति ऐसी बन गई कि भाजपा को मात्र दो चार मंत्रियों के लिए अपना अस्तित्व अकाली दल के पास गिरवी रखना पड़ गया था, मगर लोकसभा चुनाव में भाजपाई दिग्गज अरूण जेटली की करारी हार और केंद्र में मोदी सरकार बनने से पंजाब प्रदेश के राजनीतिक मानचित्र में बदलाव आ गया। अकाली दल भी भाजपा हाईकमान से आंखे चुराने लगा। लोकसभाई चुनाव परिणामों से भाजपा हाईकमान के निर्देश पर प्रदेश भाजपाईयों के तेवर बदल गए है और भाजपा पंजाब में अपना जनाधार बढ़ाने के लिए विशेष मुहिम शुरू हो सकती है। चर्चा तो यहां तक होने लगी है कि पंजाब सरकार की कमान नवजोत सिंह सिधु को सौंपकर भाजपा अपने जनाधार को मजबूूत करने की तैयारी बना रही है।
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