शाह के ‘दुश्मनों’ को सबक सिखाने के मूड में बीजेपी?

amit shahनई दिल्ली / ऐसा लग रहा है कि बीजेपी पूर्व सॉलिसिटर जनरल गोपाल सुब्रमण्यम और सीबीआई के पूर्व डायरेक्टरों- अश्विनी कुमार और ए पी सिंह- को सबक सिखाने के मूड में है। पार्टी ने इन तीनों को अगले संभावित बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के लिए कानूनी मुश्किलें पैदा करने का जिम्मेदार ठहराया था। अब इन नेताओं को नई सरकार के ‘कड़वे डोज’ का सामना करना पड़ रहा है। सुब्रमण्यम पहले ही कह चुके हैं कि सोहराबुद्दीन फर्जी मुठभेड़ मामले में उनकी सक्रियता के कारण उन्हें सुप्रीम कोर्ट के जज का पद गंवाना पड़ा। बीजेपी नेता अरुण जेटली ने पिछले साल सितंबर में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को चिट्ठी लिखी थी, जिसमें सोहराबुद्दीन मामले में शाह की कानूनी मुश्किलों के लिए पूर्व सलिसिटर जनरल और अश्विनी कुमार को जिम्मेदार ठहराया गया था।
बाद में इस साल फरवरी में अपने ब्लॉग में जेटली ने कहा था कि यूपीए ने कुछ खास लोगों को सीबीआई का डायरेक्टर बनाया है और रिटायरमेंट के बाद भी उन्हें गवर्नर से लेकर यूपीएससी मेंबर तक बनाया जा रहा है। उनका इशारा साफ तौर पर कुमार और ए पी सिंह की तरफ था। ए पी सिंह को 2013 में यूपीएससी का मेंबर बनाया गया था। सिंह को अब इनकम टैक्स जांच का सामना करना पड़ रहा है और उनके परिवार को नोटिस जारी किए गए हैं। अब उन पर यूपीएससी की मेंबरशिप छोड़ने के लिए दबाव है। जेटली ने पिछले साल सितंबर में प्रधानमंत्री को लिखी चिट्ठी में कहा था कि सोहराबुद्दीन मामले में कांग्रेस की तरफ से ‘प्रायोजित’ याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई। चिट्ठी में कहा गया था, ‘उस वक्त तत्कालीन अडिश्नल सलिसिटर जनरल गोपाल सुब्रमण्यम पहले से तय योजना के तहत कोर्ट के सामने हाजिर हुए और केंद्र सरकार से निर्देश लेने पर सहमति जताई। उसके बाद अटर्नी जनरल भारत सरकार की तरफ से पेश हुए और गोपाल सुब्रमण्यम को बिना कोर्ट के ऑर्डर के अमाइकस क्यूरी घोषित कर दिया गया। भारत सरकार ने जांच सीबीआई को सौंपने को स्वीकार किया था।’
पूर्व सलिसिटर जनरल ने इन आरोपों का विरोध करते हुए कहा कि 2007 से 2011 के दौरान अमाइक्स क्यूरी के उनके रोल को सुप्रीम कोर्ट ने काफी सहारा था और अमित शाह के खिलाफ उनकी किसी भी तरह की निजी खुन्नस या बदले की भावना नहीं है। जेटली ने तत्कालीन सीबीआई डायरेक्टर अश्विनी कुमार पर और गंभीर आरोप लगाए थे। उन्होंने कहा था कि उन्होंने सोहराबुद्दीन मामले में शाह की गिरफ्तारी की मंजूरी इसलिए दी, ताकि इसके जरिए आखिरकार नरेंद्र मोदी तक पहुंचा जाए। जेटली ने पिछले साल मनमोहन सिंह को लिखी चिट्ठी में कहा था, ‘सीबीआई के सुपरवाइजरी ऑफिसर के नोट में कहा गया कि अमित शाह की गिरफ्तारी से सीबीआई को इस मामले में कुछ और गवाह (खासतौर पर पुलिस अफसरों) मिलने में मदद मिलेगी। उनकी यह भी राय थी कि अमित शाह को गिरफ्तार करना इसलिए भी जरूरी था, ताकि नरेंद्र मोदी की जांच तक पहुंचने का यही एकमात्र उपाय था। इस नोट को सीबीआई के डायरेक्टर अश्विनी कुमार ने मंजूरी दी थी।’
जेटली का यह भी कहना था कि कार्रवाई के लिए कोई सबूत नहीं होने के बावजूद अमित शाह को गिरफ्तार किया गया और उन्हें 2 महीने तक जेल में रहना पड़ा, जिसके बाद उन्हें गुजरात हाई कोर्ट से जमानत मिली। कुमार की अगुवाई में सीबीआई ने शाह की जमानत याचिका का जमकर विरोध किया। जांच एजेंसी की दलील थी कि शाह को जमानत मिलने से गवाह खतरे में पड़ सकते हैं।

error: Content is protected !!