नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने अजमेर दरगाह के चढ़ावा प्रकरण में हाईकोर्ट के 13 नवम्बर 2013 के आदेष को चुनौती देने वाली विषेष निगरानी याचिका में ही दायर एक प्रार्थना पत्र को 8 सितम्बर को सुनवाई के लिये स्वीकार करते हुऐ रिसीवर की कार्यवाही में किसी प्रकार की रूकावट करने से इंकार कर दिया तथा हाई कोर्ट द्वारा पारित आदेष की पालना रिपोर्ट सूप्रीम कोर्ट में भी 8 सितम्बर को पेष करने के दिषा निर्देष दिऐ है।
दरगाह दीवान के विधि परामर्षी सैयद गुलाम नजमी फारूकी ने बताया कि दरगाह के चढ़ावा प्रकरण में हाईकोर्ट के 13 नवम्बर 2013 के आदेष को सुप्रीम कोर्ट में गुलजार हुसैन द्वारा विषेष निगरानी याचिका के जरिये चुनौती दी गई थी। जिसमें हाईकोर्ट ने दरगाह में आने वाले चढ़ावे को इकट्ठा करने के लिए के संबंध में दरगाह नाजिम को रिसीवर नियुक्त किया था। याचिकाकर्ता गुलजार हुसैन द्वारा राजस्थान उच्च न्यायालय की न्यायाधीपति बैला एम. त्रिवेदी द्वारा प्रकरण में 4 जुलाई को पारित आदेष से क्षुब्ध होकर एक प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया था जिसमें उच्चतम न्यायालय से प्रार्थनापत्र के निर्णय तक रिसीवर की कार्यवाही पर रोक लगाने की गुहार लगाई। माननीय सर्वोच्च नयायालय ने प्रार्थनापत्र को 8 सितम्बर को सुनवाई के लिऐ स्वीकार करते हुऐ राजस्थान हाईकोर्ट के 13 नवम्बर 2013 के आदेष एवं रिसीवर की कार्यवाही पर किसी प्रकार की रोक से इंकार करते आगामी 8 सितम्बर को सुनवाई के दौरान अनुपालना रिर्पोट सुप्रीम कार्ट में भी प्रस्तुत करने के आदेष दिये।
हाईकोर्ट द्वारा यह दिशा-निर्देश दिए थे।
हाईकोर्ट ने अपने 13 नवम्बर 2013 के आदेष में कहा था कि दरगाह में आने वाले चढ़ावे को इकट्ठा करने के लिए गुंबद के बाहर व भीतर जगह-जगह पर लोहे के बड़े बक्से लगाए जाएं जिससे कि जायरीन व अन्य आगंतुक नगदी, मूल्यवान वस्तुएं उनमें डाल सकें। इन बक्सों पर ताले लगाएं जाएं और इसकी चाबी नाजिम के पास रखी जाए। यदि पशु या अन्य सामान चढ़ाया जाए तो नाजिम उसे दीवान व खादिम में बराबर मात्रा में बांट सकता है। गुंबद के भीतर रखे बॉक्स में एकत्रित हुए दान को नाजिम दैनिक, साप्ताहिक व मासिक रूप से दीवान और खादिम के बीच में बंटवारा करेंगे। बॉक्स खुलने के समय दीवान व उनके प्रतिनिधि सहित खादिम व उनके प्रतिनिधि वहां पर मौजूद रहेंगे। नाजिम को यह स्वतंत्रता रहेगी कि वे अपनी जगह पर किसी अन्य को अपना प्रतिनिधि नियुक्त कर सकेंगे। प्रकरण में सैयद गूलजार हुसैन की और कपिल सिब्बल डिक्रीदार दरगाह दीवान की और से वरिष्ठ अधिवक्ता एफ.एस. नरीमन और गुलाम नजमी फारूकी ने पैरवी की।