इंदिरा गांधी के हत्यारों पर बनी फिल्म पर रोक

पंजाबी फिल्म 'कौम दे हीरे' का एक दृश्य
पंजाबी फिल्म ‘कौम दे हीरे’ का एक दृश्य

नई दिल्ली / शुक्रवार को रिलीज होने वाली ‘कौम दे हीरे’ पंजाबी फिल्म पर सरकार ने रोक लगा दी है। फिल्म देश की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या पर बनी है। इस फिल्म पर गृह मंत्रालय को ऐतराज था। मंत्रालय ने इस फिल्म के क्लीयरेंस पर सूचना और प्रसारण मंत्रालय से फिर विचार करने के लिए कहा था। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को लिखे पत्र में गृह मंत्रालय ने कहा कि पंजाबी भाषा की फिल्म ‘कौम दे हीरे’ पंजाब और अन्य उत्तर भारत के राज्यों में सांप्रदायिक सौहार्द को प्रभावित कर सकती है। कांग्रेस ने भी इस फिल्म पर पाबंदी लगाने की मांग की थी। गृह मंत्रालय के ऐतराज के बाद सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने फिल्म पर पाबंदी लगा दी है।
गृह मंत्रालय ने सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय से कहा था कि फिल्म की कुछ सामग्री बेहद आपत्तिजनक है और समुदायों के बीच शत्रुता पैदा कर सकती है। इससे सांप्रदायिक तनाव पैदा हो सकता है। यह फिल्म इंदिरा गांधी हत्याकांड पर की घटना पर आधारित है। कहा जा रहा है कि इस फिल्म को मंजूरी के लिए सेंसर बोर्ड ने रिश्वत ली थी। भूतपूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के हत्यारों- सतवंत सिंह और बेअंत सिंह पर बनी इस पंजाबी फिल्म को बैन करने के लिए जबर्दस्त मांग थी। पूर्व प्रधानमंत्री के हत्यारों को ‘कौम के हीरे’ बताने वाली यह फिल्म शुक्रवार, 22 अगस्त को रिलीज होने वाली थी।
राज्य में विपक्षी पार्टी कांग्रेस की युवा शाखा के अध्यक्ष विक्रमजीत सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर फिल्म की रिलीज नहीं रोके जाने की स्थिति में राज्यव्यापी विरोध-प्रदर्शनों की चेतावनी दी थी। राज्य में सत्तारूढ़ गठबंधन की सहयोगी बीजेपी के एक सदस्य ने भी यही मांग की थी।
इस फिल्म ‘कौम दे हीरे’ (समुदाय के हीरे) की कहानी ‘ऑपरेशन ब्लूस्टार’ से शुरू होती है, और सतवंत सिंह की फांसी पर खत्म होती है। बेअंत सिंह को इंदिरा गांधी के अन्य बॉडीगार्ड ने गोलियां बरसाए जाने के तुरंत बाद मौका-ए-वारदात पर ही मार डाला था। इंदिरा गांधी की हत्या के बाद देश भर में सिख-विरोधी दंगे भड़क गए थे, जिनमें लगभग 3,000 सिख मार दिए गए थे।
शिरोमणि अकाली दल समर्थित शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमिटी ने पिछले साल एक कार्यक्रम के दौरान सतवंत सिंह और बेअंत सिंह को ‘शहीदों’ के रूप में सम्मानित किया था, जिसकी चौतरफा आलोचना की गई थी। आलोचकों के अनुसार इस फिल्म में भी हत्यारों का महिमामंडन किया गया है।
दरअसल, इस फिल्म को कई महीनों से विरोध का सामना कर पड़ रहा था, लेकिन निर्माताओं द्वारा सेंसर बोर्ड द्वारा बताए गए कुछ कट मंजूर कर लेने के बाद इसे रिलीज की अनुमति दे दी गई थी। लोकसभा चुनाव से पहले इस फिल्म की रिलीज को पहले 28 फरवरी को रोका गया, और फिर 14 मार्च को, लेकिन विदेशों में रिलीज कर दिया गया था, जहां इसे कुछ हद तक कामयाबी मिली है।

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