महर्षि व्यासजी तथा शुकदेवजी के प्राकट्य पर केन्द्रित रही कथा

चित्र पंडित केषवकृष्ण शास्त्री का प्रवचन देते हुए
चित्र पंडित केषवकृष्ण शास्त्री का प्रवचन देते हुए

विदिषा। स्थानीय सत्संग भवन में द्वितीय दिवस जारी रही श्रीमद् भागवत ज्ञान यज्ञ कथा में प्रवचनकर्ता वेदाचार्य पं. केषवकृष्ण शास्त्री ने श्रीमद् भागवत महापुराण के सृजक महर्षि वेदव्यासजी तथा महापुराण को अमरत्व प्रदान करने वाले महर्षि शुकदेवजी महाराज के प्राकट्य पर विषद प्रकाष डाला। इन्ही दोनों पिता-पुत्र महर्षियों ने इस महापुराण को साक्षात भगवान श्री राधा-कृष्ण का स्वरूप निरूपित तथा प्रमाणित करते हुए इस महान ग्रंथ को परम मोक्ष्य का सर्वाधिक सुलभ साधन बनाया है। इस अवसर पर जानी-मानी नन्ही भजन गायिका कु. सौम्या शर्मा ने श्री कृष्ण-सुदामा की मित्रता पर आधारित भजन ‘‘अरे द्वारपालों………..’’ एवं ‘‘मीठे रस से भरी राधा रानी लागे………..’’ भजन सुनाए।
इसके पूर्व कथा के शुभारंभ दिवस पं. केषवकृष्ण शास्त्री ने श्रीमद् भागवत महापुराण तथा कथा के परम मुक्तिदायी विषेष महत्व पर प्रकाष डाला। महाराजा परीक्षित की भांति कथामृत श्रवण से परम मोक्ष्य प्राप्ति को रेखांकित किया। इस कथा ज्ञान यज्ञ का सर्व पितृ मोक्ष्य पर्व में आयोजन इस पर्व की सार्थकता सिद्ध करने किया गया है। यह कथा समस्त श्रद्धालुओं के दिवंगत पूर्वजों को श्रद्धांजलि होने के साथ उनकी आत्मा की शांति के लिए भी है।

-पं.गोविन्द शर्मा

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