डॉक्टर बबीता को तत्काल निलंबित करने की मुख्यमंत्री से मांग

Bhopalभोपाल,  ( पंकज अग्निहोत्री )। कलम के वीर ने यदि किसी सरकारी कर्मचारी की लापरवाही को उजागर किया तो तुम तैयार रहो जेल जाने, जमानत कराने, कोर्ट कचहरी के चक्कर में पड़ जाने। परन्तु राजगढ़ के पत्रकार अनूप सक्सेना पर जो जिलाबदर की कार्यवाही प्रशासन द्वारा की गई थी, उसे हाईकोर्ट ने खारिज किया और माननीय न्यायाधीश ने अपने आदेश में कहा कि संविधान द्वारा प्रदत्त अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता प्रेस को हासिल है। पत्रकार समाज में व्याप्त भ्रष्टाचार और सरकारी कालिदों के बुरे कामों के खिलाफ रिपोर्ट करता है। इस आदेश से पत्रकार जगत को राहत महसूस हुई है। भविष्य में पत्रकार पर खबरों को लेकर अगर कोई मुकदमा दर्ज होता है तो अनूप सक्सेना के लिए जो आदेश हाईकोर्ट के माननीय न्यायाधीश ने दिये हैं उससे राहत मिलेगी। डॉक्टर द्वारा पत्रकारों को धमकी दिये जाने को वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष राधावल्लभ शारदा ने घोर निंदा की है और मुख्यमंत्री से मांग की है कि पत्रकारों को धमकी देने वाले डॉक्टर को तत्काल निलंबित किया जाये।
अब सरकारी अधिकारी, कर्मचारी बेखौफ होकर समझने लगा कि वह कुछ भी करें उसका कुछ नहीं बिगडऩे वाला। परन्तु पत्रकार का काम है कि वह सच को दिखाये। पिछले दिनों पीथमपुर में डॉ. बबीता नंदूरकर की लापरवाही को दिखाने और लिखने पर पत्रकारों को धमकी मिली। इतना ही नहीं पत्रकारों पर प्रकरण दर्ज कराने के लिये दबाव बनाया। प्रकरण दर्ज करने के लिये भाजपा के नेता, अधिकारियों का सहारा लिया जा रहा है। जिन पत्रकारों पर प्रकरण दर्ज कराने का प्रयास किया जा रहा है उनमें सुनील ठौसरे, राकेश खण्डेलवाल और बंसल टी.व्ही. के कामिल मेहर है। धा जिले के पीथमपुर के शासकीय चिकित्सालय की दुर्दशा पर पत्रिकाा के संवाददाता हरीश कुमार ने कई बार समाचार लिखे और पत्रिका में प्रकाशित हुये इस पर भी अस्पताल प्रशासन पर कोई असर नहीं हुआ।
18 सितम्बर रात्रि 7 बजे पत्रकारों को खबर मिली कि अस्पताल से एक महिला प्रसव के लिये गई परन्तु अस्पताल में चिकित्सक नहीं थे। इसलिये डॉक्टर बबीता ने महिला का इलाज न करते हुये पत्रकारों की शिकायत करने के लिये थाने पहुंच गई। तीनों पत्रकारों के खिलाफ आवेदन दिया। डॉक्टर बबीता के पति उनका पूरा साथ दे रहे है। डॉक्टर बबीता ने अन्य दो चिकित्सकों के साथ पत्रकारों के खिलाफ धरना दिया। जो नियमों के विरुद्ध था। धरना देने से पूर्व डॉक्टर बबीता को प्रशासन से स्वीकृति लेनी थी।
जानकारी यह भी है कि डॉक्टर बबीता को हेडक्वाटर याने पीथमपुर में रहना चाहिये। उनको शासकीय आवास मिला हुआ है। परन्तु सूत्र कहते हैं कि डॉक्टर बबीता अमूमन अपने कार्यस्थल से दूर रहती है। इनका निवास इंदौर में है। संतोष गंगेले -प्रांतीय अध्यक्ष गणेश शंकर विधार्थी प्रेस क्लब ने इस घटना की निंदा करते हुए सरकार से निष्पक्ष जांच की मांग की है।
news sent by santosh gengele
error: Content is protected !!