ट्रेन के स्लीपर क्लास में आईडी प्रूफ (परिचय पत्र) दिखाने का मामला ठंडे बस्ते में चला गया है। रेलवे बोर्ड ऐसा कोई नियम लागू नहीं करेगा। उत्तर रेलवे के अधिकारियों के मुताबिक यह नियम फिलहाल लागू नहीं हो रहा है।
इसके लागू न होने से यात्रियों के साथ ही स्लीपर श्रेणी के टिकट ट्रैवलर इक्जामनर (टीटीई) को भी राहत मिली है। वर्तमान में एक टीटीई पर तीन से चार कोच में टिकट जांचने का जिम्मा है। ऐसे में यात्रियों की आईडी चेक करने के नियम से उनका काम काफी बढ़ जाता, जो अब नहीं होगा।
अभी तक रेलवे में वातानुकूलित श्रेणी में टिकट के साथ परिचय पत्र लेकर चलना अनिवार्य है। बिना परिचय पत्र के यात्रा मान्य नहीं होती है। रेलवे अधिकारियों के मुताबिक आईडी प्रूफ लागू करने के पीछे मकसद था कि कोई यात्री किसी अन्य के टिकट पर सफर न कर सके। साथ ही त्योहार व भीड़ होने के दौरान ट्रैवल एजेंट किसी का टिकट किसी को बेच न सकें।
रेलवे 1 सितंबर से यही नियम स्लीपर श्रेणी में लागू करने पर विचार कर रही थी। इससे टिकटों की खरीद में और पारदर्शिता आती, क्योंकि ट्रेनों में सफर करने वाले यात्रियों में नब्बे फीसदी यात्री स्लीपर के होते हैं। ऐसे में इतने यात्रियों की आईडी जांचना टीटीई के लिए चुनौती होती। हालांकि, रेलवे अधिकारी का कहना है कि नियम लागू होने पर टीटीई को टिकट के साथ आईडी भी देखनी ही होगी। ऐसा न करने वालों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी।
‘स्लीपर श्रेणी में आईडी प्रूफ लागू करने का नियम फिलहाल लागू नहीं हो रहा है। इसे लागू होने को लेकर अभी संशय है। यात्रा के दौरान आईडी लागू होने का फायदा यात्रियों को ही मिलता है। अभी तक इस नियम के लागू होने की कोई निश्चित तिथि घोषित नहीं की गई है।’