कई देषों में देखी जा रही विदिषा की रामलीला

रामलीला की वेबसाइट के संबंध में जानकारी देते बलराम साहू।
रामलीला की वेबसाइट के संबंध में जानकारी देते बलराम साहू।

विदिषा षहर की ऐतिहासिक रामलीला अपना 114 वर्ष मना रही है। यह रामलीला विदिषा मंे ही नहीं बल्कि विदेषांे मे भी खूब देखी जा रही है। रामलीला को वेबसाईट के जरिए कई देषों में देखी जा रही है। अब तक रामलीला की वेबसाइट को देष विदेष के 1 लाख 63 हजार 895 के लगभग दर्षक देख चुके है।
रामलीला मेला समिति की साइट www.ramleelavidishamp.org एस.ए.टी.आई. से सन् 2012 मे एम.सी.ए. करने वाले कम्प्युटर इंजीनियर बलराम साहू ; ई.सुविधा द्ध ने करीब ढाई महीने की मेहनत से वेबसाइट को तैयार किया है। पिछले साल 14 जनवरी 2014 को कलेक्टर श्री एम.बी. ओझा ने वेबसाइट को लांच किया किया था। बलराम साहू बताते है। कि विदिषा की ऐतिहासिक रामलीला पूरे विष्व मे बिख्यात हो सकती है। इसके लिये सही तरीके से ब्रांडिग और प्रमोषन करने की दरकार है। उन्होने बताया बताया कि फिलहाल रोज होने वाली लीलाओं के फोटो कार्यक्रम जानकारी आदि अपलोड किए जा रहे है। बलराम साहू ने पिछले साल बेवसाइट को निरूषुल्क बनाई थी और वे अभी भी निरूषुल्क इस वेबसाइट को मेनटन करते है। जिससे हमारे षहर की ऐतिहासिक धरोहर विष्व की नजरों में आये और विदिषा का नाम भी उसके साथ दूर देषों में पहुंचता रहे।
समिति के प्रधान संचालक चंद्र किषोर मिश्र षास्न्नी ने बताया कि उनके परिजनों में से रानी दुबे और कंचन दुबे लंदन में बसी है उन्होने फोन कर बताया है कि रामलीला कि साइट पर वे भी अपने परिवार और परिचितों सहित विदिषा की रामलीला का आनंद लेते है। इसी तरह दक्षिण अफ्रीका में बसीं भाग्यश्री षर्मा भी अपने परिवार और परिचितों के साथ विदिषा की रामलीला देखती है और रामलीला विदिषा की खासियत से वहां के लोगो को अवगत कराती है।
विदिषा की रामलीला हमारी सांस्कृतिक धरोहर है। समय के साथ थोड¬¬़े.बहुत परिवर्तन हुए लेकिन रामलीला के मूल स्वरूव में बदलाव नहीं हुआ। लोग इससे दिल से जुड़े है। विदेंषो में भी इसकी ख्याति इसकी लोकप्रियता बताती है।
पं. चंद्र किषोर मिश्र षास्न्नी
प्रधान संचालक रामलीला मेला समिति विदिषा

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