जनधन : एक खाते पर 140 रुपये का खर्च

बैंकों की लागत बढ़कर पहुंची 2000 करोड़ रुपये
jan dhanनई दिल्ली। जनधन योजना के तहत खुले जीरो बैंलेंस खातों ने बैंकों की परेशान बढ़ा दी है। अभी तक बैंकों ने करीब 12.5 करोड़ खाते खोले हैं, जिसमें से 8.44 करोड़ खातों में जीरो बैलेंस हैं। करीब 75 फीसदी खातों में जीरो बैंलेंस होना ही बैंकों की परेशानी है। बैंकों के अनुसार जनधन योजना के तहत खुले खातों की लागत भी अनुमान से 75 फीसदी तक ज्यादा हो गई है। उनके अनुसार एक बैंक खाता खोलने पर 80 रुपये की लागत आने का अनुमान था, लेकिन वह बढ़कर 140 रुपये तक पहुंच गई है। अभी तक कुल खातों पर बैंकों का 2000 करोड़ रुपये का खर्च आया है।
आईबीए चेयरमैन एवं इंडियन बैंक के प्रबंध निदेशक भसीन ने बताया कि जन-धन योजना के तहत खुले अकाउंट पर सभी बैंकों की लागत करीब 2,000 करोड़ रुपए आई है। शुरुआत में हमारा मानना था कि एक अकाउंट खोलने में लागत 80 रुपए आएगी और ट्रांजेक्‍शन पर 40 रुपए खर्च होंगे। सरकार के साथ गत दिनों हुई बैठक में इन सभी तत्‍यों पर विस्‍तार से चर्चा हुई है।

लागत बढ़ी
भसीन के अनुसार बैंकों को एक अकाउंट खोलने पर 140 रुपए की लागत आ रही है। देशभर में करीब 1.50 लाख बैंकिंग कॉरस्‍पाडेंट (बीसी) हैं। यदि इन पर 1000 रुपए प्रति माह की लागत जोड़ते हैं तो अकाउंट खोलने की लागत 140 रुपए हो जाती है। बैंकों को कनेक्टिविटी, हैंडहेल्‍ड डिवाइसेस पर आने वाले खर्च का भी भुगतान करना होता है। रुपे कार्ड पर 20 रुपए प्रति लागत आ रही है और उनके एक्टिवेशन, पिन जेनरेशन, पोस्टिंग आदि पर भी बैंक को खर्च करना पड़ रहा है।
ग्रामीण क्षेत्रों के खातों पर ज्यादा असर
भसीन का कहना है कि शहरी क्षेत्रों में जन-धन योजना के तहत खाते खोलने की लागत अनुमान से अधिक नहीं है लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में जहां बीसी शामिल हैं, ट्रांसफर की गई राशि का 1 फीसदी और इसके साथ एनईएफटी और आधार कमीशन का खर्च भी बैंकों को उठाना पड़ता है।
वित्त मंत्रालय ने हाल ही में बैकों की समस्या को देखते हुए कहा है कि डीबीटी औऱ डीबीटीएल स्कीम पर होने वाले ट्रांजैक्शन पर शहरी क्षेत्रों में एनईएफटी के आधार पर औऱ ग्रामीण क्षेत्रों में हर ट्रांजेक्शन पर 1 फीसदी या अधिकतम 10 रुपये का कमीशन बैंकों को मिलेगा।

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