लखनऊ के मुज्जफरनगर धुसवल में पब्बज्जा शिविर संम्मपन्न

20150213_10423820150212_113851एक लम्बे समय के बाद लखनऊ में श्रामणेर शिविर का आयोजन अपने आप में बडी सफलता है और वह भी सुदूर ग्रामीण ऑंचल को आधार मानकर इस शिविर को 7 से 16 फरवरी 2015 तक आयोजित किया गया ! शिर (केश) दाडी मॅूछ (लोमा) के बाल साफ करने के बाद, चिकनी मिटटी (शुद्ध जंगल से प्राप्त कर) पुराने चीवर के टुकडे से छानने के बाद डनक ठंजी की प्रक्रिया अपनाई गई, पिसी हुई हल्दी से सभी श्रामणेर एवं भिक्खुओं को स्नान कराया गया सांय 4 बजे मैत्रेय बुद्धविहार में परम्परागतरूप से जैसी बुद्ध के समय पब्बज्जा दी जाती थी उसी प्रकार पब्बज्जा दी गई, वन्दना, पंचशील, पठम याचना, मुर्गे के समान मुद्रा में बैठकर, द्वितीय याचना, त्रतीय याचना, चीवरपच्चवेखना, तचपच्चक, सरणशील याचना, मकारान्त सरणागमन, निग्गहीतन्त सरणागमन, सीलसमादान, उपज्झाय-गहण, सामणेरपन्हं, द्वित्तिसाकार में पब्बज्जा दी गई ! सम्राट हर्षबर्धन बुद्ध विहार अरेल इलाहाबाद के भन्ते देव आनन्दवर्धन थेरो की अध्यक्षता में आल इण्डिया भिक्खु संघ के आजीवन सदस्य सचिव भन्ते प्रज्ञाशील थेरो ने परम्परागतरूप में आल इण्डिया भिक्खु संघ उ0 प्र0 के संरक्षक, झॉंसी के भन्ते डा0 सुमेध थेरो, लखनऊ के भिक्खु नागप्रिय की उपस्थिति में पब्बज्जा का कार्य सम्पन्न हुआ ! पब्बज्जा शिविर में प्रदेशभर के रायबरेली, झॉंसी, आजमगढ, हरदोई, सासाराम, बोधगया बिहार सहित अनेक प्रदेशों के उपाशकों ने पब्बज्जा ग्रहण की !
चक्रमण साधना के रूप में प्रतिदिन पा्रतः 6 बजे से 7 बजे तक मैत्रेय बुद्ध विहार में प्रातः एवं सॉंय 7 बजे से चाटिंग करते श्रामणेर शिक्षा जिसमें त्रिशरण, दससील, श्रामणेर कौन है, श्रामणेर शिक्षा क्या है धर्मचर्चा, धम्मपद से गाथाओं तथा कथाओं का अध्ययन कराया जाता रहा ! भगवान बुद्ध के समय और वर्तमान में भिक्खु जीवन, हमें क्या करना चाहिये: आवाहनसुत्त, दसधम्मसुत्त, 75 सेखिय, चारों पच्चवेखनाओं – चीवर, पिण्डपात, शयनासन गिलानपच्चय की जानकारी प्रतिदिन दी जाती थी, मूल्यांकन में आज हमने क्या किया भगवान बुद्ध के समय और वर्तमान में भिक्खु जीवन महामंगलसुत्त, रतनसुत्त, करणीयमेंत्तसुत्त, खन्धपरित्त सुत्त कस्सप, महामोग्गलान, चुन्दबोझॉंगों की जानकारी, कि किस सुत्त का किस समय – अवशर पर घटना के समय उपयोग करना है परित्राण के रूप में पाठ करना चाहिये ! पराभव, निधीकण्ड, गिरिमानन्द सुत्त अंगुलिमाल, सल्ल एवं तिरोकुड सुत्तों की जानकारी दी गई ! लखनऊ के विभिन्न बुद्धविहारों के भ्रमण में मुख्यरूप से शॉंति उपवन बुद्ध विहार, माहामाया बुद्ध विहार तेलीबाग, आशियाना, के बुद्धविहारों का भ्रमण कर विस्त्रृत जानकारी इस आशय के साथ कि भारत में बौद्धविहारों का निर्माण किस प्रकार होता है तथा कौन-कौन सी परम्परायें बुद्ध विहारों के निर्माण की आकृति, साधना, पूजा-वन्दना हाल के साथ रहने के स्थानों में प्रचिलित है ।

चीवर केा तैयार करना :– बुद्ध जब बैशाली गॉंव के रास्ते से गुजर रहे थे आनन्द को बताया इन चावल के खेतों को देखो जिस प्रकार यह आपस में जुडे हैं उसी प्रकार कपड़े के टुकड़ों को जोडकर चीवर का निमार्ण करें और उसी समय से चीवर को बनाने की प्रक्रिया शुरू हुई यह प्रथा अनुशासन के तहत स्थिर है चीवर में कम से कम 5 खण्ड होंने चाहिये जितने अधिक खण्ड हांेगे कपडे की कीमत घटेगी और चोरी होने का खतरा कम हो जाता है चीवर को हमेशा बिषम 5, 7, 9, संख्या में खण्डों में बनाना चाहियें सम 2, 4, 6, 8 में नहीं बनाना चाहिये चीबर के बडे भाग को मण्डल, खेत छोटे भाग को अधमण्डल आधे खेत छोटी पट्टी के रूप में मंेढ, नाली, सडक के रूप में अधकुशी, एवं कुशी का निर्माण किया जाता है चीवर में एकदम पीठ पर आने वाले भाग को बिविधा तथा दायें भाग को अनुविधा शेष खण्ड को बहन्त बोॅंह बाला भाग टुकडा क्योंकि बाह के ऊपर लपेटा जाता है पूरे चीवर पर एक पट्टी जिसे अनुवत्त कहा जाता है यह एक ही पिण्डे की न होकर कटी होनी चाहिये गर्दन पर आने वाले भाग पर गिवयंका तथा ठीक सामने नीचे जंघेयका एक पट्टी के रूप में लगा देने से कपडा लम्बे समय तक सुरक्षित रहता है तथा फटता भी नहीं है

कपड़ा कैसा होना चाहिये:- कपड़ा सूती ही होना चाहिये और उसे धुलने के बाद सिलाई करनी चाहिये । सिलाई लाल अथवा बादामी रंग के धागे से करनी चाहिये सिलाई के बाद गर्म पानी से उसकी धुलाई करें जिससे जर्म/बैक्टीरिया आदि निकल जायें और कपड़ा शुद्ध हो जाये। दक्ष भिक्खु आचार्य के निर्देशन में रंग तैयार करना चाहिये यदि पेड़ो की छाल का रंग तैयार करना है इसके लिये स्थानीय आधार पर उपलब्ध पेड़ो की छाल का प्रयोग करें थाइलैण्ड में जैक फ्रूट-(कटहल) की छाल का बादमी पीला रंग प्रयोग किया जाता है बादामी-पीला रंग अधिक प्रचलन में है बुद्ध के समय भिक्खु गोबर एवं पीली चिकनी मिट्टी का प्रयोग करते थे इसके लिये भगवान ने नियम बनाये कि पेडों के 6 भागों – जड़ो से रंग, तने की लकडी के रंग, पंेडों की छाल के रंग, पत्ती के रंग, फूलों के रंग तथा फलों के रंग को प्रयोग कर कपडों को रंगा जा सकता है हल्दी से रंगे कपडे का रंग एक-दो धुलाई के बाद धुल जाता है और फीका हो जाता है अतः बाद के समय में इसे छोड दिया गया । यद्यपि हल्दी धम्म के नियम और जर्म बैक्टीरिया आदि को नष्ट करने के लिये अति उत्तम साधन है ।

अपने अनुभव में भिक्खुओं ने बताया
बुद्ध वन्दना, पूर्णिमा, उपोसथ बन्दना के नियमों के अतिरिक्त चीवर, खाने के साथ-साथ पानी लेने के नियम किस प्रकार सभी अवस्थाओं में सचेत रहना चाहिये ! चीवर धारण करने के नियम सीखंे । भिक्खुओं को कैसे प्रणाम करना चाहिये और साथ ही भिक्खुओं को उपासक को क्या आर्शीबाद देना चाहिये । तथागत की प्रतिमा के समक्ष दीपदान, पूजा-वन्दना के साथ साधना के नियमों को सक्षिप्त में बताया गया । बोधिवृक्ष के पत्ते में तथा आकार में चैत्यों का निर्माण किया जाता है भगवान के जीवन के इतिहास पर भी चर्चा हुई, मनुष्य दुखों से कैसे छुटकारा प्राप्त कर सकता है यह बताया गया । शिविर में आकर मुझे भरपूर लाभ मिला आगे भी मुझे इस प्रकार के कार्यक्रमों में आने का मौका मिलेगा इस आशा और विश्वास के साथ प्रस्थान कर रहा हॅूं । फिर भी मुझे बहुत सारी जनकारी के बाद भी दिनचर्या में अपनी अधिक उम्र एवं सिथिल स्वास्थ्य के कारण अधिक नहीं सीख पा रहा हॅंू
– भन्ते रतन दीप (राम दुलारे)े 70 वर्ष ग्रा0 नीलमथा, लखनऊ उत्तर प्रदेश

मेरे नगर वह भी निवाश से कुछ ही दूरी पर श्रामणेर शिविर का आयोजन लखनऊ जैसे स्थान पर धम्म के ज्ञान की शिक्षा प्राप्त हुई – यह गम्भीर शिक्षा है इसका पालन विनय के नियम शील, समाधि एवं प्रज्ञा का अभ्यास करते भिक्खु निब्बान के रास्ते तक जा सकता है । मैं बीच -बीच में फिर भी कुछ न कुछ चालाकी करता ही रहता था, हरिरिपुर में संघदान के बाद प्राप्त भोजन मेरे पात्र में अधिक था और मेैंने सोचा कि एक दूसरे से भोजन बदलते समय अन्य भिक्खुओं के पात्र में ज्यादा -ज्यादा डाल दूॅगा लेकिन उस समय भेाजन का बदलाव नहीं किया गया और मेरा पात्र भरा ही रहा, आगे के लिये मैंने सीख ली ह, बौद्धधम्म से ही व्यक्ति, पारिवारिक, सामाजिक तथा सर्वांगीण विकास सम्भव है !
– भन्ते शील सागर (श्याम लाल)े 66 वर्ष आदर्षनगर, नीलमथा, लखनऊ उत्तर प्रदेश

प्रातः काल से लेकर सॉंय तक व्यस्त कार्यक्रम में सम्मिलित हुआ, बुद्ध की करूणा मैत्री सभी प्राणियों के प्रति समान रूप में रखनी चाहिये यह सीखा, प्रातः काल पूजा, वन्दना, व विपश्यना के द्वारा मन को एकाग्र करना सीखा, भन्ते डा0 सुमेध थेरो ने श्वांस के आने और जाने को आना-पान बताया ! भोजन करते समय किस पच्चवेखना को पठन करते ध्यान रखना चाहिये । त्रिशरण, नमस्कार, बुद्ध, धम्म, संघ वन्दना, करणीयमंेत्तसंुत्त, महामंगल, श्रामणेर के दससील उपाशकों द्वारा भिक्खुओं को अभिवादन और उसके बाद आर्शीबाद और सुखी रहने की कामनाओं के साथ प्रस्थान कर रहा हॅूं
– भन्ते संघ शील (संतू प्राद बौद्ध) 58 वर्ष पिंडोली, रायबरेली उत्तर प्रदेश

प्रातः उठते ही कौनसी गाथा बोलनी है यह आभास हुआ, चीवर पहनना, मुख्य रास्ते से जाते क्या ध्यान रखना है । प्रातः काल पूजा, वन्दना, व विपश्यना सीखी ! बिचलित मन पर कैसे काबू पाया जाय भिक्खु धम्म में उपासक एवं उपासिकाओं का आदर्श होना चाहिये इसीलिये श्रामणेर एवं भिक्खुओं का प्रशिक्षित होना आवश्यक है बोधगया में महाबोधि सेासइटी आफ इण्डिया इस कार्य को कर रही है इस कार्य के लिये साधुबाद
– भन्ते कीर्ति रत्न (कैलाश नाथ) 48 वर्ष बरौना लखनऊ सदर, उत्तर प्रदेश
सम्पूर्ण शरीर 32 अ्रगो से निर्मित है और बुद्ध ने यह बात 26003 वर्ष पूर्व बताई जो आज भी समानरूप् से कारगर ह,ै विपश्यना में कुछ सीखा था लेकिन यहॉं आकर बुद्ध वन्दना, धम्मवन्दना, संघ वन्दना, सुत्तपाठ, पच्चवेखना, चीवरडालने परिमण्डल बनाने की बिधि सीखी भिक्खुसंघ के साथ मठ में दीप जलाकर चलते असीम आनन्द की अनुभूति हुई भिक्खुओं को कैसे अभिवादन करना चाहिये यह सीखा-मेरी विपश्यना साधना इस श्रामणेर शिविर से और भी दृढ हुई और अपने क्षेत्र में जाकर अन्य लोगों को भी बताऊॅंगा ! समापन के अवशर पर श्रामणेरों के प्रतिनिधि के रूप् में मुझे बोलने को मौका मिला यह भी मेेरे लिये बडी खुशी का बात है
– भन्ते आर्यवंश (अमृत लाल) 33 वर्ष घुसवल, लखनऊ उत्तर प्रदेश

भन्ते समाज के साथ उठना, बैठना, चलना, चीवर पहनना आदि आ गया ! विपश्यना में श्वासं लेना और बाहर की ओर छोडना भी सीखा पच्चवेखना आदि की विधि भी आ गई – भन्ते धम्म प्रिय (धीरेंन्द्र) 16 वर्ष पश्चिम गॉंव, वछरॉंवा, रायबरेली उत्तर प्रदेश
मुझे कुछ भी नहीं आता था चीवर पहनकर ज्ञान आ गया कम पढा-लिखा हॅूं लेकिन आपको आश्वस्त करता हॅूं मेहनत करके धम्म के कार्य को आगे बढाऊॅंगा
– भन्ते आनन्द रत्न (आनन्द कुमार) 12 वर्ष राम प्रासाद खेडा, वछरॉंवा, रायबरेली उत्तर प्रदेश
सेाते, खाते, पीते विपश्यना की जानकारी सीखी एकान्स तथा परिमण्डल बनाना सीखा समूहरूप में हम सभी बुद्धविहार के दीपघर पर एक कतार में रोजाना दीपक जलाते थे आार्शीबाद गाथा के रूप में आयु, वन्नो, सुखं, बलं मुझे पता नहीं था यह सीखा, शिविर से पूर्व कुछ जानकारी थी विनय और धम्म की अच्छी जानकारी अव हो गई है बोधगया की पवित्र धरती पर साधना और वन्दना करना और भी हितकर है शिविर में हरदिन अलग-अलग संतों द्वारा अनुभव और ज्ञान से अवगत कराया गया किस अवसर पर किस सुत्त का पाठ करना चाहिये यह जानकारी मुझे नहीं थीं आगे पूरा अभ्यास कर सीखने का और भी प्रयास करूॅंगा शिविर में आकर बहुत अच्छा लगा
– भन्ते नन्दशील (हीरा मिश्त्री) 66 वर्ष शिवान बिहार

इस शिविर से पूर्व मुझे कुछ-कुछ जानकारी थी बोधगया की पवित्रधम्म भूमि पर ध्यान, पूजा वन्दना आदि का लाभ अलग ही है शिविर में प्रतिदिन अलग-अलग चीजें बताई गईं सुत्तों का पाठ, मंगलमैत्री, पच्चवेंखना, 75 संखिया जो श्रामण्ेरों के जीवन के लिये आवश्यक है इस शिविर में प्रतिदिन भगवान बुद्ध के उपदेश सुनने को मिले जीवन का मूल उददेश्य दुखों से छुटकारा पाने का है -जो कुछ सीखा है उसंे जीवन में उतारने की पूरी कोशिश करूॅंगा महाबोधि सोसाइटी आफ इण्डिया ने बोधवृक्ष के प्रांगण में इस शिविर का आयोजन किया इसके लिये मेैं कृतज्ञ हॅूं
– भन्ते महेन्द्र बोधि (महेंन्द्र कुमार) संडीला, हरदोई उत्तर प्रदेश
पूजा-वन्दना विधि पूर्वक करने की जानकारी प्राप्त हुई विपश्यना की विधि में मैं पारंगत हुआ कुछ सीखा था लेकिन यहॉं आकर बुद्ध वन्दना, धम्मवन्दना, संघ वन्दना, सुत्तपाठ, पच्चवेखना, चीवर डालने परिमण्डल बनाने की बिधि सीखी। दस सीलों के बारे में पूज्य भिक्खुसंघ द्वारा विस्तार से बताया गया सभी गुरूजनों का आर्शीवाद मिला हम सभी कृतज्ञ हुयें हैं
– भन्ते धम्मपाल डा0 भीमराव अम्बेडकर बुद्ध विहार, बालापुर, रायबरेली उत्तर प्रदेश

आप सभी को भिक्खुरूप में बधाई ! इस रूप में भोजन मख्क्ष्य है और इसकी मात्रा को प्रत्येक स्थिति में जानते रहना चाहिये
– भन्ते देव आनन्द वर्धन थेरो सम्राट हर्षवर्धन बुद्ध विहार, सचिव अखिल भारतीय भिक्खुसंघ शाखा उ0 प्र0 अरैल इलाहाबाद उत्तर प्रदेश
पवित्र स्थान पर आकर पब्बज्जा लेना और धम्म का ज्ञान प्राप्त करना बहुत ही हितकारी है महाबोधि सोसाइटी बोधगया से महाबोधि मुख्य मन्दिर तथा सारनाथ एवं अन्य केन्द्रों पर लगातार धम्म के कार्य को आगे बढाया जा रहा है झॉंसी-ललितपुर के भन्ते डा0 सुमेध थेरो का योगदान सर्वोपरि है इसीलिये विशिष्टरूप से इन्हैं जिम्मेदारी सौंपी गई है ! आप सभी

इसमें सहयोग करंे
– भन्ते प्रज्ञाशील थेरो, सदस्य अखिल भारतीय भिक्खुसंघ शाखा उ0 प्र0 राजाजीपुरम लखनऊ उत्तर प्रदेश

मैं 12 वीं तक पढा हॅूं धम्म का कुछ ज्ञान है कुछ तो बिल्कुल भी ज्ञात नहीं था, इस शिविर में अभी सीख रहा हॅूं जैसे ही कुछ भी बताने की स्थिति में रहूॅंगा मैं भी इस प्रकार के शिविरों में अपनी सेवा दे सकूॅंगा –
भन्ते धम्मबोधि रायबरेली उत्तर प्रदेश
मैं बोधगया जैसे स्थान पर आपको पब्बज्जा दे रहा हॅूं और कृतज्ञ हॅूं । बुद्ध की शिक्षा का कढाई से पालन करें – साधना में सभी परंगत हो और मंगलमैत्री का लाभ लंे इसी विषय को मैंने आगे बढाया था तथा पद्यरूप में मंगल दोहों का पाठ भन्ते डा0 सुमेध थेरो पुराना नाम डा0 बनवारी लाल सूमन की पुस्तक से करता रहा हॅूं । इस प्रकार के कार्यक्रमो का प्रभाव धम्म केा बढाने में सहायक होंगे और एक समय ऐसा आयेगा कि भारत फिर से बौद्धमय हो जायगा !
– भन्ते नागप्रिय सदस्य अखिल भारतीय भिक्खुसंघ शाखा उ0 प्र0 बडा बरहा लखनऊ उत्तर प्रदेश

घुसवल में मेंरी देख,-रेख, में पहलीवार श्रामणेर शिविर लगा है सभी सुविधायें जुटाई गई हैं फिर भी कुछ कमी हो सकती है आगे के शिविरों में उन्हैं ठीक किया जायगा, सभी को धम्मपद बुद्धा एजूकेशन फाण्उडेसन ताइवान से निशुल्क प्राप्त पुस्तक दी गई है उससे लाभ प्राप्त करके धम्म का प्रचार-प्रसार करेंगे ही
– भन्ते जितेन्द्र वर्धन सम्राट हर्षवर्धन बुद्ध विहार, सचिव अखिल भारतीय भिक्खुसंघ शाखा उ0 प्र0 अरैल इलाहाबाद उत्तर प्रदेश

पूर्णरूप से शिविर में व्यस्तता के कारण लाभ एवं अपने प्रवचनों को समय नहीं दे सका, फिर भी हम लखनऊ, रायबरेली आदि उत्तर प्रदेश के स्थानों से भीमांसु टुडे तथा यादव शक्ति पत्रिकाओं के प्रकाशन से जुडा हॅूं जो कुछ मैंने बोधगया तथा अन्य स्थानों पर सीखा है उसे अपने अन्य भाइयों को बताने की कोशिष कर रहे हैं मेरे साथी धम्म पाल ने इसमें मुझसे भी अधिक मेहनत की है
– भिक्खु विमल बोधि डा0 भीमराव अम्बेडकर बुद्ध विहार, बालापुर, रायबरेली उत्तर प्रदेश

श्रामणेर शिविर के समापन के अवशर पर प्रमाणपत्रों के वितरण के लिये भन्ते करूणाकर नोयडा एवं दिल्ली द्वारा मुझे अवशर प्रदान करने के लिये कृतज्ञ हॅूं साथी आयोजकों एवं श्रामणेर शिविर में ज्ञान प्राप्त करने वालों का भी स्वागत करता हॅूं यह धम्म के लाभ से अवगत हो सकेंगे और अन्य जनता जनार्दन को भी अपने अर्जित ज्ञान और पुन्य से लाभ दे सकेंगे – भिक्खु देवेन्द्र वृन्दावन योजना, तेलीबाग लखनऊ
मेरे निवाश स्थान के बुद्ध विहार पर निर्माण कार्य चल रहा है जिसके कारण श्रामणेर शिविर के समापन के अवशर पर प्रमाणपत्रों के वितरण तथा आशियाना में श्री आर0 डी0 आर्या द्वारा भोजनदान के अवशर पर ही सम्मिलित हो सका हॅूं सभी को तहंे दिल से वधाई एवं आर्शीबाद
– भिक्खु शील रतन मवई पडियाना लखनऊ

मैं लखनऊ में निवाश करते जिसे कार्य को नहीं कर पा रहा हॅूं रायबरेली, इलाहाबाद तथा ललितपुर के भिक्खुओं के संयुक्त प्रयास से निश्चितरूप से एक सबक है फिर भी मात्र समापन के अवशर पर इसमें सम्मिलित हो सका हॅूं । प्रदेश की राजधानी मं बाहर से आकर कितने बडे स्तर का कार्य सम्मपन्न हो रहा है और हम कुछ भी नहीं कर पा रहे हैं। इस श्रामणेर प्रशिक्षण शिविर का दूरगामी प्रभाव उत्तर प्रदेश दिखाई देगा
– भिक्खु उपनन्द, वृन्दावन योजना, तेलीबाग लखनऊ
बोधगया में महाबोधि सोसाइटी इण्डिया के तत्वावधान में श्रामणेरों के प्रशिक्षण शिविर को देखकर मेैं गदगद हूॅं कि धम्म के काम को आगे बढाया जा रहा है मैं न तो शिविर में शिक्षक हॅूं और नहीं इसमें भाग ले रहा हॅूं लेकिन दूर से इस शिविर के कार्य कलाप को देख रहा हॅूं अपनी याददास्त के लिये कुछ फोटो मैंने खीचे हैं जो अपने आप में मेरी धरोहर रहैंगे झॉंसी के भन्ते डा0 सुमेध की क्लास में मेरी इच्छा पढने की हुई लेकिन सहकारिता भवन में अन्य कार्यक्रम में व्यस्तता के कारण हिस्सा नहीं ले सका और इस प्रशिक्षण शिविर का लाभ नहीं ले सका
– भन्ते करूणाकर नोयडा एवं दिल्ली
मेरे निवाश पर पूजा वन्दना का कार्य सम्मपन्न हुआ उसकी कुछ विधि मुझे पहले से पता थी कुछ ओर जो बची है उसे सीखने का प्रयास करूॅंगा
– आशाराम घुसवलकलॉं, लखनऊ
यद्यपि रत्नेश दत्त बौद्ध (राम दास) द्वारा मुज्जफरनगर, घुसवल, में शिविर का संचालन हो रहा था लेकिन मेंरे गॉंव की महिलाओं ने आगे आकर भोजनदान देने के लिये हमें अधिकृत कर भेजा और हमारे निमंत्रण पर सभी संघ के सदस्य 12 फरवरी को हरिहरपुर आये, झॉंसी-ललितपुर के भन्ते डा0 सुमेध थेरो द्वारा सभी को 2015 का कलेण्डर भी दिया गया, पुजा-वन्दना सीखी हम सभी कृतज्ञ हैं
श्याम लाल गौतम, राम खिलावन, छेदालाल, राम प्रकाश हरिहरपुर, लखनऊ
तेलीबाग में माहामाया बुद्धविहार पहले से ही है लेकिन हम सभी कभी श्रामणेर अथवा भिक्खे शिविर का आयोजन नहीं कर सके, रत्नेश दत्त बौद्ध (राम दास) द्वारा मुज्जफरनगर, घुसवल, में शिविर का संचालन हो रहा था झॉंसी-ललितपुर के भन्ते डा0 सुमेध थेरो द्वारा प्रेरित करने पर मैंने स्वयं तथा करूणाकर (कल्लू बौद्ध) द्वारा संघ दान में हिस्सा लिया हम अनुग्रहित हैं संघ के सदस्य तेलीबाग में माहामाया बुद्धविहार में 11 फरवरी को पूरे दिन कार्यक्रम को आयोजित करते रहे
– ब्रज किशोर बौद्ध, करूणाकर (कल्लू बौद्ध) तेलीबाग लखनऊ
भन्ते डा0 सुमेध थेरो (डा0 बनवारी लाल सुमन) द्वारा हमें हमेशा से ही प्रेरणा और मार्ग दार्शन प्राप्त होता रहा है आपके द्वारा सूचना मिलने पर हमने 14 फरवारी के दिन संघदान का आयोजन तेलीबाग में किया था । । समय-समय पर भन्ते डा0 सुमेध थेरो (डा0 बनवारी लाल सुमन) जब कभी लखनऊ आते हैं नई प्रक्रिया के तहत ज्ञान प्राप्त होता है -डा0 रामजी लाल, राम सेवक, ब्रज किशोर, आदि पदाधिकारी
मैं बहुत कृतज्ञ हूॅं कि संघ की सेवा का अवशर मुझे प्राप्त हुआ
– रत्नेश दत्त बौद्ध (राम दास) मुज्जफरनगर, घुसवल, लखनऊ

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