योगेंद्र, प्रशांत, आनंद और अजित को राष्ट्रीय कार्यपरिषद से निकाला

yogendraदिल्ली : दिल्ली-गुड़गांव सीमा पर शनिवार को कापसहेड़ा में राष्ट्रीय परिषद की बैठक में प्रशांत भूषण और योंगेद्र यादव, अजीत झा और प्रोफेसर आनंद कुमार को आम आदमी पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी से बाहर कर दिया गया है। प्रस्ताव पर 200 सदस्यों ने हस्ताक्षर कर दिए। केजरीवाल धड़े का मानना है कि इन चारो नेताओं ने केजरीवाल को ‘आप’ के राष्ट्रीय संयोजक के पद से हटाने के लिए साजिश रची। बैठक में जमकर लात-घूंसे भी चले, जिससे कई एक घायल हो गए। योगेंद्र यादव के समर्थक रमजान चौधरी को बाउंसर्स ने उठा कर पटक दिया। उनके पैर की हड्डी टूट गई। एक और नेता का पैर टूट गया। आरोप है कि बैठक हॉल में तीन दर्जन से अधिक बाउंसर्स तैनात किए गए थे।
भारी हंगामे के बीच शुरू हुई मीटिंग में सबसे पहले आम आदमी पार्टी संयोजक अरविंद केजरीवाल का भाषण हुआ। केजरीवाल के भाषण के बाद मीटिंग की अध्यक्षता गोपाल राय ने की और मनीष सिसोदिया ने प्रशांत भूषण, योगेंद्र यादव, अजीत झा और प्रफेसर आनंद कुमार को बाहर निकालने का प्रस्ताव रखा। प्रस्ताव पास हो गया और इन चारों नेताओं को पार्टी के सभी पदों से हटा दिया गया।
अरविंद केजरीवाल, आम आदमी पार्टी की राष्ट्रीय परिषद की बैठक को संबोधित करके बाहर निकल गए। जाने से पहले केजरीवाल ने मीटिंग में भावुक भाषण दिया। वह ऐसे हालात में काम नहीं कर सकते। केजरीवाल ने करीब 30-35 मिनट का अध्यक्षीय भाषण दिया। इसके बाद गोपाल राय को अध्यक्षता की जिम्मेदारी सौंप दी। योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण ने बैठक से बाहर निकलने के बाद मीडिया को बताया कि हमारे लोगों के साथ मारपीट की गई। अरविंद के भाषण के दौरान गद्दारों को बाहर करो के नारे लगे। पहले से मीटिंग की स्क्रिप्ट तय थी। लोकपाल को मीटिंग में आने नहीं दिया गया। गोपाल को एक मिनट में चेयरमैन बना दिया गया।
पार्टी की राष्ट्रीय परिषद की बैठक में शामिल होने के बाद योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण मीटिंग बीच में ही छोड़कर बाहर आ गए। उन्होंने टिप्पणी की कि बैठक में लोकतंत्र की हत्या हुई है। प्रशांत भूषण ने इसे अपने ख़िलाफ़ षडयंत्र बताया है। उन्होंने कहा कि कुछ लोगों को बाउंसर बुलाकर पीटा गया। इससे पहले योगेंद्र यादव ने ट्विट कर लिखा कि “सभी साथियों, समर्थकों और शुभचिंतकों से मेरा अनुरोध अगर आप पार्टी की आत्मा और एकता को बनाए रखना चाहते हैं तो घर बैठकर प्रार्थना करें। राष्ट्रीय स्थल की बैठक के बाहर किसी शक्ति परीक्षण या तू-तू मैं-मैं का हिस्सा न बनें।”
प्रोफ़ेसर आनंद कुमार ने कहा कि बैठक में जो कुछ हुआ, वह लोकतांत्रिक नहीं था और उन्हें अपनी बात रखने का मौका नहीं दिया गया। भले ही राष्ट्रीय कार्यकारिणी से बाहर कर दिया गया है लेकिन वह अब भी पार्टी के कार्यकर्ता हैं। न पार्टी छोड़ेंगे, न तोड़ेंगे बल्कि सुधरेंगे और सुधारेंगे।

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