फ़ाइव स्टार एक्टिविस्ट कौन हैं मोदी जी?

modiयह फ़ाइव स्टार एक्टिविस्ट्स या कार्यकर्ता कौन हैं? इसका जवाब केवल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पास है क्योंकि उन्होंने कई बार इन शब्दों का इस्तेमाल किया है लेकिन स्पष्ट नहीं किया है.
हाँ, इन शब्दों के आगे-पीछे कही गई बातों से इसका मतलब समझने में आसानी हो सकती है.
रविवार को मुख्यमंत्रियों और न्यायधीशों की एक बैठक में प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में फ़ाइव स्टार एक्टिविस्ट्स का एक बार फिर ज़िक्र किया. इसके पहले उन्होंने राष्ट्रीय सलाहकार परिषद के संदर्भ में इन शब्दों का इस्तेमाल किया था. जो उन्हें गुजरात के दिनों से जानते हैं उनके अनुसार वो यह शब्द पहले कई बार कह चुके हैं.

भाषण पर विवाद
रविवार को प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में कहा, “कभी हमें सोचना होगा कि आज कहीं फ़ाइव स्टार एक्टिविस्ट्स हमारे पूरे न्यायतंत्र को प्रभावित तो नहीं कर रहे. क्‍या एक प्रकार का हौआ फैला कर के ज्यूडिशरी को ड्राइव करने का प्रयास तो नहीं हो रहा है?”
हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों को संबोधित किए गए इस भाषण पर विवाद छिड़ गया है. सवाल यह है कि प्रधानमंत्री किन लोगों की तरफ इशारा कर रहे थे? फ़ाइव स्टार एक्टिविस्ट्स से उनका मतलब क्या था?
सामाजिक कार्यकर्ता और वरिष्ठ वकील वृंदा ग्रोवर से यही सवाल मैंने पूछा तो उन्होंने कहा कि मुश्किल यह है कि प्रधानमंत्री ने स्पष्ट नहीं किया है कि इन शब्दों से उनका मतलब क्या है, हम जो भी मतलब निकालेंगे वह केवल अटकलें होंगीं.

कार्यकर्ताओं पर निशाना
वृंदा ग्रोवर आगे कहती हैं, “लेकिन वो हायर ज्यूडिशरी (उच्च न्यायपालिका) को संबोधित कर रहे थे. इसलिए उनका मतलब यह था कि उच्च न्यायपालिका जो फ़ैसले ले रही है क़ानून या संविधान के हवाले से नहीं, मगर किसी और कारण से यह फ़ैसले लिए जा रहे हैं. प्रधानमंत्री की तरफ़ से यह कहना हैरानी और परेशानी की बात है.”
वृंदा ग्रोवर ने कहा कि जब से यह सरकार आई है एक-दो बातें स्पष्ट हैं – जो कोई अधिकार के बारे में काम करते हैं, या पर्यावरण के क्षेत्र में काम करते हैं या जो लोग धर्म निरपेक्षता के बारे में बातें करते हैं, सरकार ने बार-बार ऐसे लोगों पर निशाना साधा है.
सुप्रीम कोर्ट के एक वरिष्ठ वकील डॉक्टर सूरत सिंह कहते हैं कि प्रधानमंत्री का इशारा हर तरह के एक्टिविस्ट की ओर था.
वो कहते हैं, ” फ़ाइव स्टार एक्टिविस्ट्स में वकील प्रशांत भूषण जैसे लोग हो गए. प्रधानमंत्री ही जानें वह इन शब्दों का इस्तेमाल क्यों करते हैं लेकिन उनका इशारा ऐसे ही कार्यकर्ताओं की तरफ़ था और उनका कहने का मतलब शायद यह था कि ऐसे लोगों से न्यायपालिका प्रभावित न हो कर फैसले करे “.

न्यायपालिका पर असर?
कई कार्यकर्ताओं का आरोप है कि सरकार ने ऐसे लोगों पर निशाना साधा है जो धर्मनिरपेक्षता की बात करते हैं.
आम आदमी पार्टी के बाग़ी नेता प्रशांत भूषण ने मीडिया से बातें करते हुए प्रधानमंत्री के इन शब्दों की कड़ी निंदा की है. उनका कहना है कि उनके जैसे सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भ्रष्टाचार के कई मामले उठाए.
प्रशांत भूषण ने अदालत जाकर 2जी स्पेक्ट्रम और राडिया टेप जैसे घोटालों को सामने लाने में अहम भूमिका निभाई है.
कांग्रेस महासचिव शकील अहमद ने भी इस बयान पर आपत्ति दर्ज करते हुए ट्वीट किया कि क्या प्रधानमंत्री का इशारा सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड की तरफ़ था.

अदालत की अवमानना?
गुजरात पुलिस एक मामले में तीस्ता सीतलवाड को गिरफ्तार करने उनके घर पहुंची थी लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने तीस्ता की गिरफ़्तारी पर रोक लगा दी थी. शकील अहमद ने आगे कहा कि क्या इस सूरत में मोदी का ये बयान अदालत की अवमानना नही है.
लेकिन सूरत सिंह के अनुसार प्रधानमंत्री को राष्ट्रहित में बात करनी चाहिए थी.
वो कहते हैं, “वहां बड़े न्यायाधीशों और मुख्यमंत्रियों के सामने बड़े मुद्दों को लाना चाहिए था जैसे कि धर्मनिरपेक्षता का मुद्दा. हमारा देश धर्मनिरपेक्ष है क्या इसकी रक्षा की जा रही है? प्रधानमंत्री को इस तरह के मुद्दे उनके सामने रखने चाहिए थे.”

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