तपस्या का फल है कि पहली तारीख पर ही मिला स्टे आर्डर

vijay sand jainसुप्रीम कोर्ट ने संथारा – संल्लेखना केस की याचिका पर लगी हुई रोक पर से प्रतिबन्ध हटा दिया | यह रोक याचिकाकर्ता निखिल सोनी द्वारा राजस्थान उच्च न्यायालय मैं लगायी हुई थी | जिसमे यह आत्महत्या का एक रूप हैं यह कह पिछले महीने 10 अगस्त 2015 को राजस्थान उच्च न्यायालय द्वारा संथारा – संल्लेखना पर प्रतिबंध लगा दिया गया था।
भारत के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एचएल दत्तू की अध्यक्षता वाली पीठ मैं राजस्थान उच्च न्यायालय द्वारा लगाए गए प्रतिबंध पर रोक लगा दी |
सकल जैन समुदाय के अग्रणीयो ने आज संथारा एक धार्मिक और आध्यात्मिक परंपरा है और आत्महत्या करने के लिए नहीं जोड़ा जा सकता कह रही है कि प्रतिबंध के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
सकल जैन समाज की विभिन्न याचिकाओं के माध्यम से विभिन्न जैन संगठनों का प्रतिनिधित्व करने वाले याचिकाकर्ताओं मैं आज सुप्रीम कोर्ट मैं उपस्थित अधिवक्ता धवल जीवन मेहता, निर्मल जैन सेठी दिगंबर जैन महासभा अध्यक्ष , सुभाष ओसवाल जैन जैन कांफ्रेंस राष्ट्रिय वरिष्ठ उपाध्यक्ष , विजय सांड जैन भारतीय जैन अल्पसंख्यांक समाज के राष्ट्रिय उपाध्यक्ष ,राजस्थान जैन अल्पसंख्यांक समाज के अध्यक्ष, जैन कांफ्रेंस युवा शाखा के राष्ट्रिय संघठन मंत्री , सारिका जैन भारतीय जैन अल्पसंख्यांक समाज दिल्ली प्रदेश की महिला अध्यक्ष उपस्थित थे |
निर्मल जैन सेठी दिगंबर जैन महासभा अध्यक्ष , सुभाष ओसवाल जैन जैन कांफ्रेंस राष्ट्रिय वरिष्ठ उपाध्यक्ष ने कहा की अति प्राचीन काल से चल रही यह एक सदियों पुरानी परंपरा हैं | यह परंपरा चन्द्रगुप्त मोर्य के काल से चल रही है | यह दलील किसी भी तरीके से आत्महत्या के साथ बराबर नहीं जोड़ी जा सकती ।
याचिकाकर्ता विजय सांड जैन ने कहा की आज भगवान महावीर स्वामी के सिद्धांतो और सकल जैन समाज से जुड़े साधुजी – साध्वीजी की तपस्या का परिणाम हैं की हम आज पहली ही तारीख पर इस केस मैं स्टे आर्डर लेने मैं सफल रहे | संथारा – संल्लेखना पर कहा की एक व्यक्ति शरीर और आत्मा एक हो जाते हैं, जहां आध्यात्मिकता के एक उच्च स्तर तक पहुँच जाती है और केवल आत्मा की शुद्धि को इस प्रथा से प्राप्त किया जा सकता है। एक व्यक्ति के शरीर से अक्षम और मुक्ति की जरूरत हो जाती है जब इस प्रथा को आत्मा की शुद्धि के लिए किया जा सकता है। आत्महत्या दुःख ,लालच , और क्रोध मैं की जाती हैं ,जबकि संथारा और संल्लेखना आत्मा के कल्याण हेतु किया जाता हैं |
याचिकाकर्ताओं की तरफ से वरिष्ठ वकीलों द्वारा दी गयी दलील अधिवक्ता हरीश साल्वे, अभिषेक मनु सिंघवी, सुशील जैन, संदीप नागोरा श्रवण रिथम खरे राजेश जैन उपस्थित थे | यह धार्मिक भावनाओं को दर्द होता है के रूप में धार्मिक प्रथा पर प्रतिबंध हटा लिया जाना चाहिए कि तर्क दिया था।

सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल मुकुल रोहतगी , अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) अजय चौधरी, एएसजी पी एस नरसिम्हन एएसजी संजय जैन और शिव मंगल शर्मा से पेश हुए वकील थे |
मुकेश सांड चंडीगढ जैन कांफ्रेंस युवा शाखा संरक्षक , महेंद्र पगारिया मुंबई जैन कांफ्रेंस युवा शाखा राष्ट्रिय अध्यक्ष , यतीन्द्र सावले मुंबई , भारतीय जैन अल्पसंख्यांक समाज राष्ट्रिय अध्यक्ष ने कहा की यह जीत जैन धर्म की जीत हैं सकल जैन समाज की जीत हैं और सकल जैन समाज से अपील की हैं की इस केस को हम सभी को एक जुटता से लड़ना हैं और अपने धर्म की रक्षा करनी हैं |
आज दायर सभी याचिकाओं कोर्ट के आदेश संविधान की गारंटी के रूप में धार्मिक स्वतंत्रता के खिलाफ था |
विजय कुमार सांड जैन की कलम से

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