शांति से जीने के लिए संगठित रहना जरूरी
औरंगाबाद 4 मार्च 2016। जब अच्छे और बुद्धिमान लोग संगठित होकर राष्ट्र-धर्म समाज के लिए आगे नहीं आते हैं तब धूर्त, मूर्ख गलत लोग सभी पर हावी हो जाते हैं। इसकी सजा कमोबेश समाज के हर वर्ग को भुगतनी पड़ती है। आज राष्ट्र और विश्व की व्यापक बनती समस्याओं में दुर्जनों की सक्रियता जितनी महत्वपूर्ण है, उतनी सज्जनों की निष्क्रियता भी जवाबदार हैं। दुर्जन संगठित हो जाते हैं और सज्जनों के विघटन उनके दुर्भाग्य को बुला लाते हैं। उपरोक्त विचार आज औरंगाबाद शहर के दषमेष नगर स्थित श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ ‘जैन स्थानक’ में उपस्थित श्रद्धालुओं को धर्म चर्चा में संबोधित करते हुए सलाहकार दिनेष मुनि ने यह बात कही।
सलाहकार दिनेष मुनि ने कहा कि हाथ पर हाथ रखकर सिर्फ भाग्यवाद के भरोसे बैठे रहने से सकारात्मक परिवर्तन नहीं होंगे अथवा अनुकूल परिस्थितियां नहीं बन जाएगी। दृढ़-संकल्पी और पुरुषार्थवादी बनना होगा। अच्छे और समझदार लोगों को जाति, पंथ, धर्म, वर्ग भाषा आदि के भेद भूलकर एक होना होगा, तभी विकट परिस्थितियों में हमारी सुरक्षा हो सकेगी। शांति से जीने के लिए भी अब संगठित रहना अत्यंत जरूरी है।
सलाहकार दिनेष मुनि ने आगे कहा कि दुर्जनों की डराने की नीति, कमजोर लोगों का होता दमन या शोषण, कन्याओं और महिलाओं के साथ आए दिन होती छेड़छाड़, व्यापक बनता भ्रष्टाचार, खाद्य सामग्रियों में होती मिलावट, जमीन-जायदाद का होता अतिक्रमण, व्यसनों की सरेआम बिक्री, गंदगी परोसते टेलीविजन के सीरियल आदि सैकड़ों की समस्याएं है, जिनसे निजात पानेे के लिए सज्जनों-सदाचारियों का संगठित होना अत्यंत आवश्यक है। समस्या किसी भी घर की हो, उसे अपनी समस्या समझनी होगी। तभी विषमताओं और विकटताओं को कम किया जा सकता है। उल्लेखनीय है कि सलाहकार दिनेष मुनि 5 मार्च को वेंकटेष नगर स्थित शेखर देसरडा के निवास स्थल पहुंचेगें जहां पर मुनित्रय का एक दिवसीय प्रवास रहेगा।