रिलायंस इंडस्ट्रीज़ की बेंजीन रिकवरी यूनिट ने मानकों के आधार पर काम करना प्रारंभ कर दिया

Benzene recovery unitदुनिया स्वास्थय और पर्यावरण संबंधी चिंताओं से जूझ रही है। इसी वजह से दुनिया भर के रिफाइनरीस् पर गैसोलीन (पेट्रोल) पूल से बेंजीन और अन्य खतरनाक वायु प्रदूषकों की मात्रा कम करने का जबर्दस्त दवाब है।
वर्ष 2011 में अमेरीकी पर्यावरण सरंक्षण एजेंसी (Environmental Protection Agency) EPA ने रिफाइनरस् के लिए गैसोलीन (पेट्रोल) उत्पाद में बेंजीन की अधिकतम मात्रा 0.62 वॉल्यूम प्रतिशत (Vol.-%) निश्चित कर दी। बेंजीन मात्रा की यह शर्त रिफोरम्यूलेटिड और पारंम्परिक दोनो तरह के गैसोलीन पर लागू की गई।
जाहिर है अमेरीकी पहल के बाद अब दुनिया भर में बेंजीन की मात्रा पर नियंत्रण की कोशिशे होंगी। पर्यावरण की चिंताओं के बीच रिलायंस ने उपलब्ध तकनीकों और प्रोद्योगिकियों का मूल्यांकन शुरू कर दिया। जिससे बेंजीन को फ्लूयिड कैटालिटिक क्रैकर ( FCC), लाइट नाफ्था से अलग किया जा सके। लेकिन उपलब्ध तकनीकों में बहुत सी कमियां थी।

इन परिस्थिती में रिलायंस इंडस्ट्रीज़ ने देहरादून की इंडियन इस्टीट्यूट ऑफ पेट्रोलियम (IIP) के साथ ‘एक्सट्रेक्टिव डिज़टिलेशन प्रोसेस’ नाम की एक नई तकनीक विकसित करने का फैसला किया। हाल ही में दोनों सस्थानों ने तकनीकी तौर पर इसे विकसित करने में वैज्ञानिक सफलता हासिल की। RIL और IIP ने साझा प्रयासों से एक स्वदेशी ‘बेंजीन रिकवरी यूनिट’ का विकास किया है। जो रेफिनेट (रिटर्न स्ट्रीम टू गैसोलीन) में बेंजीन की मात्रा को 0.2% से ज्यादा बढ़ने नही देती।
23 मई 2016 को रिलायंस इंडस्ट्रीज़ की नई स्थापित बेंजीन रिकवरी यूनिट (BRU) ने निर्धारित मानकों के आधार पर (0.2 vol-% से कम बेंजीन) काम करना प्रारंभ कर दिया है। इस यूनिट से उत्पादित रेफिनेट को भंडारण, मिश्रण और बिक्री के लिए उपयोग में लाया जा रहा है।
यह सफलता सार्वजनिक और निजी उद्यमों की साझेदारी की कहानी है। RIL और IIP की इस सफलता ने दुनिया भर में झंडे गाड़ दिये हैं। विश्व भर से इस स्वदेशी तकनीक के बारे में जानने और लाइसेंस प्राप्त करने के लिए पूछताछ करने वालों का तांता लगा है।

बेंजीन से कैंसर हो सकता है। 20 जून को देहरादून में RIL और IIP बेंजीन से होने वाले कैंसर के विरूद्ध लड़ाई में अपनी वैज्ञानिक सफलता की घोषणा करेंगी।

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