भाजपा नेताओं ने तमाम राजनीतिक मर्यादायें पार कर दी हैं

मोदी सरकार के वजूद में आने के बाद से भाजपा नेतागण जिस आचरण और भाषा का प्रयोग कर रहे हैं उसके चलते देश में लगातार तनाव बढ़ रहा है जो देश के विकास और सदभाव के लिए दुःखद और खतरनाक हैएभारतीय राजनीती हमेशा से मतभेद की राहों से गुज़रती हुई बहस ओ मुबाहिसे के पड़ाव तय करती हुई देश को समृद्ध तथा सशक्त बनाने हेतू अनेकता में एकता का इतिहास रचती हुई आगे बढ़ती रही है किन्तु नए राजनैतिक माहौल में अमर्यादित भाषाएनारें और आचरण ने सैकड़ों सालों की गंगा.जमनी विरासत को इतना ज़ख़्मी कर दिया है कि दिल पर लगे नासूर रूपी घाव कैसे भरे जाएं इस बात के लिए ऐसे तमाम लोग परेशान हैं जिनकी जीवन शैली का सिद्धांत समता मूलक समृद्ध भारत बनाना है द्य
सारे जहान में दयाएधर्मएशांति और सदभाव का मरकज़ माना जाने वाला हिंदुस्तान इन दिनों भाषाई आतंक तथा असहशुणित के वातावरण का इस प्रकार केंद्र बन गया है कि अमरीकन राष्ट्रपती ओबामा ने हिंदुस्तान से जाते हुए कहा कि भारत में स्नेह का माहौल बनेगा तभी भारत मज़बूत होगा यह बहस देश में बलात्कारों की बढ़ती हुई घटनाओं को लेकर उस समय चली जब बुलंदशहर के क़रीब समाज के दुश्मनों ने हिंदुस्तानी बेटियों की इज़्ज़त लूटी और श्री अखिलेश यादव जी की सरकार ने इतिहासिक कार्यवाही करते हुए अधिकारियों के विरुद्ध न सिर्फ़ सख़्त क़दम उठाये बल्कि अपराधियों को भी 24 घण्टे में गिरफ़्तार कर लिया द्य
इसी बीच सपा के वरिष्ठ नेता मोण्आज़म खां साहब ने एक संवेदनशील बयान दिया जिसे भाजपा नेताओं ने विवाद बनाया और यहां तक पहुंचे जो उनसे उम्मीद थी द्य भाजपा पदाधिकारियों ने मोण्आज़म खां साहब की बेटी को अपनी दुश्मनी का शिकार बनाया और अपशब्द बोलेए मैं यह स्पष्ट कर दूं कि आज़म खां साहब के दो बेटे हैं मैं आगे कुछ नहीं कहते हुए यह कहना चाहता हूँ कि देश के कमज़ोर लोगों की करोड़ों बेटियां भी मोण्आज़म खां साहब की बेटियां हैं और देश भर के कमज़ोर लोगों की बेटियों के साथ जगह.जगह जो कुछ घटित हो रहा है उन घटनाओं से भी मोण्आज़म खां साहब और हम जैसे उनके अनुयायी उतने ही दुःखी हैं जितना अपनी बेटियों की इज़्ज़त और आबरू के लिए कोई दुःखी और परेशान होता है द्य
इस अमर्यादितएअसांस्कृतिक और असंवैधानिक बयान की निंदा करते हुए मैं भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व से इस प्रकार के बदज़बान नेतओं को पार्टी से निकालने की मांग करते हुए इस भाषाई आतंक की निंदा करता हूँ द्य
मैं यह स्पष्ट करना चाहता हूँ कि सरकार के एक ज़िम्मेदार नुमाइंदे के रूप में पीड़ित परिवार को इंसाफ़ दिलाये जाने की प्रतिबद्धताएअपराधियों को क़ानून.ए.शरीयत की तरह सख्त सज़ा दिलाये जाने की मांग और इस प्रकार के घिनौने सामजिक अपराध के पीछे मौजूद कारणों का पता लगाना यही मोण्आज़म खान साहब के बयान का लब्बोलुबाब था द्य
इस प्रकार के घिनौने अपराधों का बढ़ता हुआ चलन इस बात से भी साबित है कि ठीक उसी दिन दिल्ली में चार साल की मासूम को कुछ दरिंदे अपनी हवस का शिकार बना कर मौत के घाट उतार देते हैं यक़ीनी तौर पर यह पता लगाने की बात है कि इस प्रकार के लोग किन लोगों के संरक्षण में पलते हैं घ् कौन लोग इनकी क़ानूनी मदद करते हैं घ् और किन रास्तों से यह लोग उप्र की सरहदों में आते जाते हैं घ्
अफ़सोस की बात तो यह है कि मोदी जी के सियासी सिपाह सालारों के पास अब ना तो 20 लाख रूपये हर नौजवान तक पहुंचाने का नारा हैए ना ही 2 करोड़ बेरोज़गारों को रोज़गार देने का कोई सबूत हैएना ही काला धन वापसी का कोई ज़िक्र है एना ही बेघर लोगों को घर देने की बात हैए ना ही सूखी ज़मीन को सिंचित करने की पहल हैए ना ही अँधेरे मकानों में रहने वालों के लिए रोशनी का कोई ख़्वाब बाक़ी बचा है और ना ही उप्र में सामग्र विकास करने वाली अखिलेश यादव जी की सरकार पर आरोप.प्रत्यारोप का कोई अस्त्र काम आ रहा है द्य
अब भाजपा के राजनैतिक सूरमाओं ने उप्र में केवल कमज़ोर लोगों की अस्मिता के प्रतीक मोण्आज़म खान साहब के नाम का इस्तेमाल एक राजनीतिक अस्त्र के रूप में अपनी खोई हुयी लोकप्रियता को पाने के लिए करना शुरू कर दिया हैए जो निंन्दनीय है द्य अब देश यह देखने को बेचैन है कि मियाँ नवाज़ शरीफ़ की वालिदा से आशीर्वाद लेने वाले सुसंस्कृत प्रधानमंत्री जी और उनकी पार्टी जिस प्रकार दलित बेटियों को अपमानित करने वालों के खिलाफ कार्यवाही कर चुकी है क्या मुस्लिम माँ बहनों को अपनी अनर्गल टिप्पणियों का निशाना बनाने वाले भजपा नेताओं पार भी कोई कार्यवाही करेगी

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