छतरपुर। जिले के आंगनवाड़ी केंद्रों में दर्ज अति कुपोषित बच्चों के परिवारों को सरकारी योजनाओं से लाभ दिलाने के लिए जिला प्रशासन द्वारा किए जा रहे प्रयासों की समीक्षा जिला पंचायत सभाकक्ष में की गई। मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्रीमती भावना वालिम्बे ने ने कहा कि लक्षित परिवार को यह जानकारी नहीं है कि वह सरकार की किस योजना के लिए पात्र है। इसलिए सरकारी अधिकारियों का यह नैतिक दायित्व है कि वह यह सुनिश्चित करेें कि किस परिवार को किस योजना का लाभ दिलाया जा सकता है। इस मौके पर जिला कार्यक्रम अधिकारी महिला एवं बाल विकास विभाग श्री बृजेश त्रिपाठी, डीपीआईपी के डीपीएम डा. सुधीर जैन, जनअभियान परिषद के डीपीएम श्री सुशील वर्मन, तेजस्विनी महिला सशक्तिकरण परियोजना के जिला कार्यक्रम प्रबंधक श्री मनोज नायक ने उनके द्वारा इस दिशा में किए गए प्रयासों की जानकारी दी। बैठक में बिजावर एसडीएम श्री अनय द्विवेदी, जनपद सीईओ नौगांव श्री पीके मिश्रा, बारीगढ़ श्री अशोक कुमार शर्मा, छतरपुर श्री जेडी अहिरवार, बड़ामलहरा सुश्री सविता कामले भी उपस्थित थीं। महिला बाल विकास विभाग के सभी परियोजना अधिकारी भी बैठक में सम्मिलित हुए।
श्रीमती भावना वालिम्बे ने अभी तक किए गए प्रयासों को नाकाफी बताते हुए कहा कि यह अत्यंत संवेदनशील मामला है। यदि बच्चे कुपोषित हैं तो इसका सीधा आशय यह है कि उस परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है। शासन कमजोर वर्गों की आर्थिक स्थिति सुधारने अनेक योजनाएं संचालित कर रहा है इसलिए यह और भी दुर्भाग्यपूर्ण है कि अनेक जनकल्याणकारी योजनाओं के संचालित होते हुए भी कोई परिवार अपने बच्चों को पौष्टिक आहार उपलब्ध नहीं करा पा रहा है। श्रीमती वालिम्बे ने कहा कि कुपोषण से मुक्ति हेतु दृढ़ इच्छाशक्ति की जरुरत है। कुपोषित बच्चों के परिवारों की महिलाओं को स्वसहायता समूहों से जोड़कर उनकी मानसिक सोच में विस्तार किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि यह मामला अत्यंत गंभीर है इसीलिए सागर संभाग आयुक्त श्री आरके माथुर स्वयं विकासखंड स्तर पर पहुंचकर आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं से सीधी बात कर रहे हैं। उन्होंने महिला बाल विकास विभाग के परियोजना अधिकारियों को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि वह जनपद सीईओ के साथ नियमित बैठकें कर इस कार्यक्रम की समीक्षा क्यों नहीं कर रहे हैं। अब जनपद स्तर पर आयोजित हो रहीं पंचायत सचिवों की साप्ताहिक समीक्षा बैठक में परियोजना अधिकारियों को उपस्थित रहकर कुपोषित बच्चों के परिवारों हेतु किए जा रहे प्रयासों की सतत समीक्षा करनी होगी।
डा. सुधीर जैन ने बताया कि जिले में डीपीआईपी द्वारा 1200 परिवारों को स्वरोजगार से जोडऩे हेतु अनुदान उपलब्ध कराया गया है। इनमें से ढाई सौ परिवार अति कुपोषित बच्चों के परिवार हैं। श्री सुशील वर्मन ने बताया कि जनअभियान परिषद द्वारा ऐसे 200 परिवारों को गोद लिया गया है। श्री मनोज नायक ने बताया कि तेजस्विनी परियोजना ने 415 महिलाओं को जोड़कर अंत्यावसायी विभाग से आजीविका के साधन हेतु प्रकरण तैयार कराए हैं। डीपीआईपी के श्री अशोक सिंह ने सभी से आग्रह किया कि वह कुपोषित बच्चों की माताओं को डीपीआईपी के समूहों का सदस्य बनने हेतु प्रेरित करें। जिला पंचायत सीईओ श्रीमती भावना वालिम्बे ने कहा कि प्रत्येक वर्ष संसाधनों में बढ़ोत्तरी हो रही है, नए-नए आंगनवाड़ी केंद्र खुल रहे हैं, रोजगार के अवसर बढ़ रहे हैं, योजनाओं में सरकारी बजट और व्यय में भी वृद्धि हुई है इसलिए यह भी जरुरी है कि कुपोषण भी कम हो। इसके लिए सभी के समन्वित प्रयास की जरुरत है। सरकारी योजनाओं के साथ-साथ स्वैच्छिक और निजी संगठनों से भी इस पुनीत कार्य में सहयोग लिया जा सकता है।
लक्ष्यपूर्ति नहीं हुई तो नहीं बढ़ेगी संविदा:श्रीमती वालिम्बे
छतरपुर। मर्यादा अभियान शासन का महत्वपूर्ण अभियान है यदि इस अभियान के लक्ष्य को प्राप्त नहीं किया गया तो समग्र स्वच्छता कार्यक्रम हेतु विकासखंड स्तर पर तैनात समन्वयकों की संविदा अवधि नहीं बढ़ाई जाएगी। यह निर्देश जिला पंचायत सीईओ श्रीमती भावना वालिम्बे ने मर्यादा अभियान की समीक्षा करते हुए दिए। उन्होंने कहा कि ग्राम पंचायतें यदि इस अभियान में सहयोग न करें तो जनपद सीईओ संबंधित ग्राम पंचायतों के खिलाफ समुचित कठोर कार्यवाही करें। श्रीमती वालिम्बे ने कहा कि डीपीआईपी द्वारा ग्रामीणों से शौचालयों के निर्माण हेतु भराए गए सहमति पत्रों पर जनपद सीईओ तुरंत कार्यवाही करें। महत्वपूर्ण है कि जिले की 84 ग्राम पंचायतों में मर्यादा अभियान संचालित किया जा रहा है। जहां व्यक्तिगत शौचालयों के निर्माण और उनके उपयोग पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।
मुख्यमंत्री ग्रामीण आवास मिशन की हुई समीक्षा
छतरपुर। जिला पंचायत सीईओ श्रीमती भावना वालिम्बे ने मुख्यमंत्री ग्रामीण आवास मिशन की समीक्षा करते हुए कहा कि जिले की विभिन्न बैंकों द्वारा अब तक जितने प्रकरण स्वीकृत कर लिए गए हैं उन सभी में तुरंत धन वितरण सुनिश्चित किया जाए। बैंक संबंधित हितग्राही के खाते में तुरंत पहली किश्त पहुंचाए। बैठक में लीड बैंक आफीसर श्री रमेश सिंह तोमर एवं मध्य भारत ग्रामीण बैंक के श्री मिश्रा भी उपस्थित थे। श्रीमती वालिम्बे ने कहा कि आठों जनपदों के सहायक विकास विस्तार अधिकारियों द्वारा अब तक जमा कराए गए प्रकरणों में से 753 प्रकरणों को बैंकों की विभिन्न शाखाओं द्वारा स्वीकृत भी कर लिया गया है परन्तु मात्र 237 प्रकरणों में ही बैंकों द्वारा पहली किश्त हितग्राहियों के खाते में जमा कराई गई है। उन्होंने शेष सभी प्रकरणों में भी धनराशि हितग्राहियों के खातों में जमा कराने केे निर्देश दिए हैं। श्रीमती वालिम्बे ने कहा कि सभी जनपदों के सहायक विकास विस्तार अधिकारी अधिक से अधिक ऋण बैंकों में जमा करा दें। बैंक में प्रकरण प्रस्तुत करते समय यह सुनिश्चित कर लिया जाए कि उनमें किसी तरह की कोई कमी न हो।
-संतोष गेंगेले