बाल ठाकरे की अंतिम यात्रा रविवार को सुबह करीब 9:25 मिनट पर बांद्रा स्थित मातोश्री से शुरू हो गई है। मातोश्री से उनका शव बाहर आते ही वहां मौजूद हजारों लोंगों की आंखों से आंसू छलक आए। वहीं उद्धव भी साहेब के शव को कंधा देते वक्त फफक-फफक कर रो दिए। मातोश्री के बाहर उनके बेटे आदित्य अपने पिता को सांत्वना देते दिखाई दिए। हालांकि वह भी अपनी आंखों से आंसूओं को रोक नहीं सके। इससे पूर्व राज ठाकरे ने अंतिम यात्रा की तैयारियों का जायजा भी लिया। ठाकरे की पार्थिव देह को राजकीय सम्मान देने के बाद फूलों से सजे एक ट्रक पर रखा गया। ठाकरे का अंतिम संस्कार शाम 6 बजे शिवाजी पार्क में होगा।
धीरे-धीरे ठाकरे की शव यात्रा दादर स्थित शिवसेना भवन की ओर बढ़ रही है। उनकी इस अंतिम यात्रा में हजारों की भीड़ दिखाई दे रही है। शिवसेना भवन में उनकी पार्थिव देह को कुछ समय के लिए रखा जाएगा। इसके बाद यहां से उनकी पार्थिव देह को शिवाजी पार्क ले जाया जाएगा जहां उनका शाम करीब छह बजे अंतिम संस्कार किया जाएगा।
इस समय चुप हो चुके राजनीति के शेर के पास उनका परिवार खड़ा है। परिवार के चेहरे में बाल ठाकरे के जाने का गम साफ झलक रहा है। इससे पूर्व मातोश्री में उनके अंतिम दर्शनों को पाने के लिए बड़ी संख्या में राजनीतिज्ञ ओर दूसरे क्षेत्रों से जुड़ी बड़ी हस्तियां पहुंची। शिवाजी पार्क में ठाकरे के अंतिम संस्कार के लिए सारी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं।
उनके निधन पर देश और दुनिया की बड़ी हस्तियों ने शोक व्यक्त किया है। पाकिस्तान के जाने-माने क्रिकेटर जावेद मियांदाद ने ठाकरे के निधन पर शोक जताते हुए कहा कि वह कई बार मातोश्री में उनसे मिलने गए और हर बार वह पहले से कहीं ज्यादा गर्मजोशी से मिले। उन्होंने ठाकरे को अपना एक बहुत अच्छा दोस्त बताते हुए कहा कि उन्होंने अपना एक दोस्त आज खो दिया है। वहीं नेपाल नरेश ने भी बाला साहेब ठाकरे ने भी उनके निधन पर गहरा दुख जताया है। नेपाल में कई जगहों पर ठाकरे के लिए विशेष प्रार्थना सभा आयोजित की जा रही हैं।
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने उनके निधन पर कहा कि ठाकरे एक जुझारू व्यक्ति थे, वह एक दमदार राजनेता के साथ एक बेहतर इंसान भी थे। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने भी ठाकरे के निधन पर गहरा दुख जताया है। वहीं भाजपा ने इसको राजनीति में एक गहरा झटका बताते हुए कहा है कि आज एक युग का अंत हो गया। भाजपा की सुषमा स्वराज ने कहा कि महाराष्ट्र के शेर के निधन से उन्हें गहरा झटका लगा है।
क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर ने कहा कि उन्होंने हमेशा महाराष्ट्र की उन्नति के लिए काम किया। वह ठाकरे के निधन से काफी दुखी दिखाई दिए। ठाकरे के निधन के बाद पूरे मुंबई में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। वहीं पुलिस ने लोगों से अपील की है कि वह जरूरत होने पर ही घर से बाहर निकलें। इस बीच आज मुंबई के सभी सिनेमाघर बंद रहेंगे और सड़क पर टैक्सी और ऑटो बंद रहेंगे। ठाकरे का अंतिम संस्कार छह बजे होगा। माना जा रहा है कि ठाकरे के अंतिम संस्कार में करीब दस लाख लोग जुटेंगे।
एकटा टाइगर [यानी एक ही शेर]। शिवसेना द्वारा अक्सर अपने समर्थकों का मनोबल बढ़ाने एवं विरोधियों को चेतावनी देने के लिए इन दो शब्दों के साथ अपने नेता बाल ठाकरे की तर्जनी दिखाती तस्वीर वाले होर्डिग्स का इस्तेमाल किया जाता रहा है। मुंबई पर पिछले 45 साल से राज करते आ रहे इस शेर की दहाड़ अब नहीं सुनाई देगी। पिछले कुछ समय से बीमार चल रहे ठाकरे ने शनिवार दोपहर करीब 3:30 बजे शरीर छोड़ दिया। इसके साथ ही क्षेत्रीय राजनीति को पहचान देने वाले वाले एक युग का भी अंत हो गया। ठाकरे का दाह संस्कार रविवार की शाम शिवाजी पार्क में ही किया जाएगा। शिवसेना प्रवक्ता और सांसद संजय राउत ने बताया कि इसके लिए प्रशासन से अनुमति ले ली गई है।
86 वर्षीय शिवसेना प्रमुख का इलाज करने वाले डॉक्टर जलील पारकर ने मातोश्री से बाहर निकलकर जैसे ही उनके निधन की घोषणा की, पूरे महाराष्ट्र में शोक की लहर दौड़ गई। पारकर ने बताया कि बाल ठाकरे को दिल का दौरा पड़ा था। अपनी तमाम कोशिशों के बावजूद हम उन्हें नहीं बचा सके। शिवसेना नेता संजय राउत ने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने उनकी मौत पर गहरा शोक जताया है। प्रधानमंत्री ने भाजपा नेताओं को रात्रिभोज का न्योता दिया था, जिसे सुषमा स्वराज के आग्रह पर रद कर दिया गया। पार्टी नेताओं ने बताया कि बाल ठाकरे के पार्थिव शरीर को आम लोगों के दर्शन के लिए शिवाजी पार्क में रखा जाएगा।
ठाकरे के न रहने की खबर ने जहां उनके समर्थक शिवसैनिकों को भाव विह्वल कर दिया है, वहीं उस उत्तर भारतीय, दक्षिण भारतीय एवं गुजराती समूह का भी गला रुंधा दिखाई दे रहा है, जो कभी न कभी उनकी क्षेत्रीयतावादी राजनीति का शिकार हो चुका है। संभवत: ऐसा इसलिए क्योंकि इन सभी वर्गो को मीठा बोलकर अपना हित साधने वाले नेताओं की तुलना में सीधा-सपाट बोलने वाले एवं एक बार कोई वक्तव्य देकर उससे पीछे न हटने वाले ठाकरे ज्यादा ईमानदार नजर आते थे। ठाकरे ने शिवसेना का प्रतीक चिह्न बाघ रखा था। आज उनके न रहने पर आंसू बहा रहे प्रतिबद्ध शिवसैनिकों के इतने बड़े संगठन को अपने इशारे पर पूरे अनुशासन के साथ नचाना किसी बाघ की सवारी से कम भी नहीं था। ठाकरे ऐसा करने में पूरी तरह सफल रहे। दाऊद इब्राहिम, छोटा राजन, अरुण गवली जैसे अनेकानेक माफिया सरगनाओं के प्रभावशाली मुंबई में अक्सर लोगों को यह कहते सुना जाता रहा कि इन सबसे बड़े दबंग ठाकरे हैं। शायद यही कारण है कि आज उनके न रहने पर मुंबई महानगर का एक बड़ा वर्ग चाक-चौबंद सरकारी व्यवस्थाओं के बावजूद खुद को असुरक्षित महसूस कर रहा है।
राष्ट्रीय मुद्दों को नहीं छोड़ा
ठाकरे ने क्षेत्रीय राजनीति करने के बावजूद राष्ट्रीय मुद्दों से कभी अपने आप को अलग नहीं रखा। बांग्लादेशी घुसपैठ सहित देश की सुरक्षा से जुड़े अनेक मुद्दों पर उनकी स्पष्टबयानी ने ही उन्हें राष्ट्रीय पहचान दी। यह पहचान भी ऐसी कि बीती सदी के आखिरी दशक में तो कश्मीर से कटक तक ऐसे-ऐसे स्थानों पर शिवसेना का बोर्ड लगा दिख जाता था, जहां तक शिवसेना को पहुंचाने का सपना स्वयं ठाकरे ने भी कभी नहीं देखा था। चर्चित रामजन्मभूमि आंदोलन को भाजपा और विहिप द्वारा अपना पेटेंट समझने के बावजूद उस दौरान देश के कोने-कोने से उग्र राष्ट्रवाद के समर्थक नौजवान सिर्फ ठाकरे के दर्शन करने के लिए मुंबई चले आते थे।
अयोध्या में विवादित ढांचा ढहाए जाने के तुरंत बाद जब भाजपा का शीर्ष नेतृत्व बगलें झांकते दिखाई दे रहा था, तब भी ठाकरे सीना ठोंक कर यह दावा करने से नहीं कतराए कि हां, हमारे शिवसैनिकों ने ढांचा गिराया।
साम्यवादी पार्टियों का सफाया
1960 से 1975 के बीच कपड़ा मिलों के शहर मुंबई में समाजवाद-साम्यवाद को जड़ से उखाड़ने का श्रेय भी ठाकरे को ही जाता है। श्रीपाद अमृत डांगे, कृष्णा देसाई और जार्ज फर्नाडिस जैसे चोटी के साम्यवादी-समाजवादी नेताओं के नेतृत्व में चल रही यूनियनों के लाल झंडे की जगह शिवसेना का भगवा फहराकर ही ठाकरे ने मिल मजदूरों को शिवसेना से जोड़ा। अंतत: यही यूनियनें शिवसेना की असली ताकत बनकर उभरीं और मुंबई से साम्यवादी पार्टियों का सफाया हो गया।
आज बिहार, कश्मीर सहित केंद्र में भी गठबंधन की राजनीति प्रौढ़ होती दिखाई दे रही है। लेकिन सफलतापूर्वक गठबंधन सरकार चलाने का पहला मॉडल भी ठाकरे के ही नेतृत्व में 1995 में महाराष्ट्र की शिवसेना-भाजपा सरकार में देखा गया। सेना-भाजपा की सरकार जाने के बाद पिछले 13 साल से महाराष्ट्र में चल रही कांग्रेस-राकांपा सरकार ने भी इसी मॉडल को अपना रखा है।
महाराष्ट्र में बढ़ाई सुरक्षा
शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे के निधन के बाद मुंबई सहित पूरे महाराष्ट्र में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है। अकेले मुंबई में कड़ी चौकसी के लिए 20 हजार पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है। पुलिस ने वेस्टर्न एक्सप्रेस हाईवे से नहीं जाने की अपील की है। महाराष्ट्र एकीकरण समिति, शिवसेना और हिंदू संगठनों ने बाल ठाकरे को श्रद्धांजलि देने के लिए रविवार को बेलगाम बंद का फैसला किया है।
इलाज में जुटे थे मुस्लिम डॉक्टर
हिंदूवादी नेता माने जाने वाले शिवसेना प्रमुख बाला साहेब ठाकरे का इलाज करने वाली टीम में दो मुस्लिम डॉक्टर भी थे। लीलावती अस्पताल के डॉक्टर जलील पारकर और अब्दुल समद अंसारी विगत कई सालों से बाल ठाकरे से जुड़े थे। जलील पारकर के मुताबिक मातोश्री में उन्हें परिवार का एक सदस्य माना जाता है।
राजनीतिक हस्तियों की प्रतिक्रियाएं
बाला साहेब महाराष्ट्र में तूफान की तरह आए थे और अपने अंदाज में लोगों की सेवा की। – सुशील कुमार शिंदे [केंद्रीय गृह मंत्री]
बाला साहेब में गजब की नेतृत्व क्षमता थी। वह दिग्गज नेता थे। बाला साहेब के निधन से जो जगह खाली हुई है, उसे भरा नहीं जा सकता। – लालकृष्ण आडवाणी
बाला साहेब का निधन मेरे और भाजपा के लिए बड़ी क्षति है। उनसे हमें प्रेरणा मिलती थी। वह अपनी बात बेबाकी से रखते थे। – नितिन गडकरी
बाला साहेब का जाना एक युग की विदाई है। वह जिंदादिल इंसान थे। उन्होंने अपने बूते पर पार्टी खड़ी की। उनके जाने का हमें गहरा दुख है। नरेंद्र मोदी [गुजरात के मुख्यमंत्री]
बाला साहेब महाराष्ट्र का गौरव थे। मराठी भाषा और मराठियों के हित के लिए वह कोई भी कीमत चुकाने को तैयार रहते थे। – शरद पवार [राकांपा प्रमुख]
बाला साहेब की कमी हमेशा खलेगी। वह अपने फैसले पर हमेशा अडिग रहते थे। – संजय निरुपम [कांग्रेस सांसद]
वह धैर्यवान और दृढ़ विश्वासी थे, आखिरी दिनों में भेंट के दौरान मैंने उन्हें उखड़ती सांसों से लड़ते देखा। यह यकीन करना मुश्किल है कि वह हमें छोड़कर चले गए। – अमिताभ बच्चन
हम बालासाहेब ठाकरे की मृत्यु पर गहरी संवेदना प्रकट करते हैं। मेरा हमेशा से मानना रहा है कि वह बाघ नहीं एक शेर थे। – दिलीप कुमार
हिंदू हृदय सम्राट परम आदरणीय बालासाहेब ठाकरे हम लोगों को छोड़कर अनंत में विलीन हो गए। यह सच है कि ठाकरे की मौत से महाराष्ट्र अनाथ हो गया है। – लता मंगेशकर
दृढ़ निश्चयी और दूरदृष्टि वाले महान नेता बाला साहेब अब हमारे बीच नहीं हैं। – अजय देवगन
फिल्मी पर्दे की सरकार देखने के बाद रियल ‘सरकार’ ने जब मुझे गले लगाया था, उस क्षण को मैं कभी भूल नहीं सकता। लफ्जों के हर मायने में वह शक्ति के सच्चे प्रतीक थे। – राम गोपाल वर्मा
संघर्ष खत्म हुआ और अनंत यात्रा शुरू हुई। ठाकरे परिवार को हुई इस अपूरणीय क्षति को देखकर मैं दुखी हूं। – हेमा मालिनी
बाल ठाकरे की यादें मुंबईकरों के दिलों में हमेशा जिंदा रहेंगी। – महेश भंट्ट
बाला साहेब हीरो थे। लोग उन्हें प्यार करते थे, उनकी नकल करते थे, उनका अनुसरण करते थे। – रितेश देशमुख
बालासाहेब की मृत्यु से भारतीय राजनीति में एक शून्य पैदा हो गया है। उनके साहस के लिए हमेशा उनकी प्रशंसा की जाएगी। – अक्षय कुमार
