नॉन-इनवेसिव वेंटीेलेशन के अनुप्रयोगों पर शैक्षणिक कार्यशाला

लखनऊः दुनिया की अग्रणी कनेक्टेड हेल्थ कंपनी रेस मेड, जिसकी लगभग 100 देशों में सशक्त मौजूदगी है, यह अपने 6 मिलियन से अधिक क्लाउड कनेक्टेड डिवाइसेज़ के ज़रिए रोज़ाना बड़ी संख्या में मरीज़ों की रिमोट मॉनिटरिंग करती है। इसके पुरस्कार विजेता उपकरण एवं सॉफ्टवेयर समाधान स्लीम एपनिया, क्रोनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पल्मोनरी रोगों एवं सांस की अन्य बीमारियों के इलाज एवं प्रबंधन में मदद करते हैं।
रेसमेड इण्डिया आधुनिक तकनीक के माध्यम से स्वास्थ्यसेवाओं में बदलाव लाने के लिए निरंतर प्रयासरत है। रेसमेड एकेडमी भारत में रेसमेड की क्लिनिकल शाखा है जो साल भर में चिकित्सा विशेषज्ञों के लिए कई कार्यशालाओं का आयोजन करती हे।
कंपनी ने हॉस्पिटल एवं होमकेयर एनवायरनमेन्ट में नॉन-इनवेसिव वेंटिलेशन पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया, जिसमें 30 से अधिक प्रख्यात चेस्ट फिज़िशियनों/ पल्मोनोलोजिस्ट्स ने हिस्सा लिया। अपनी तरह की अनूठी इस कार्यशाला का आयोजन 24 फरवरी 2019 को लखनऊ के होटल रेडिसन में किया गया।
नॉन-इनवेसिव वेंटीलेशन, बिना किसी इनवेसिव प्रक्रिया के मरीज़ों को पल्मोनरी वेंटीलेशन उपलब्ध कराने का नया तरीका है। यह वेंटीलेशन वेंटीलेटर से जुड़ी एयर-ट्यूब और मास्क के ज़रिए दिया जाता है। सांस की कई बीमारियों में इसका इस्तेमाल किया जा सकता है।
कार्यशाला के दौरान सांस की कई बीमारियों जैसे एक्यूट हाइपरकैपिन्क रेस्पीरेटरी फेलियर, एक्यूट हाइपोज़ेमिक रेस्ेपीरेटरी फेलियर और क्रोनिक रेस्पीरेटरी फेलियर आदि में नॉन-इनवेसिव वेंटीलेशन के अनुप्रयोगों पर सैद्धान्तिक एवं व्यवहारिक सत्रों का आयोजन किया गया।
क्रोनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पल्मोनरी रोग (सीओपीडी) एक आम बीमारी है जिसकी रोकथाम और इलाज संभव है, इसमें प्रदूषित हवा या विषैली गैसों के प्रभाव के कारण वायुमार्गों में बाधा आने लगती है। सीओपीडी अलग-अलग मरीज़ों में ऑब्स्ट्रक्टिव ब्रोंकियोलाईटिस या एम्फाईसेमा आदि के कारण हो सकता है।
यह भारत में विशेष रूप से सर्दियों में मौतों का मुख्य कारण है। एक सर्वेक्षण के अनुसार 2017-18 में आउटडोर और इनडोर प्रदूषण के कारण 12 लाख से अधिक मौतें हुईं। सीओपीडी के मुख्य कारणों मेें धूम्रपान, निष्क्रिय धूम्रपन, रसायन और कन्स्ट्रक्शन साईट से निकलने वाली धूल शामिल है।
एनआईवी मरीज़ को प्रेशर सपोर्ट देकर सांस लेने में मदद करता है जिससे उसके फेफड़ों को सांस लेने के लिए कम काम करना पड़ता है और मरीज़ के जीवन की गुणवत्ता में सुधार होता है।
सम्मेलन की शुरूआत रेसमेड एकेडमी के क्लिनिकल स्पेशलिस्ट डॉ अश्विनी मंडाना के स्वागत संबोधन के साथ हुई, जिसके बाद लखनऊ के संजीवनी लंग सेंटर के डायरेक्टर डॉ एस एन गुप्ता ने एक्यूट रेस्पीरेटरी फेलियर के मामले में एनआईवी की भूमिका पर चर्चा की।
मिडलैण्ड हॉस्पिटल एण्ड रीसर्च सेंटर द्वारा आयोजित अगला सत्र था- छप्ट पद ीवउम. ूीमद ंदक ीवू जिसकी अध्यक्षता डॉ सूर्या कांत, हैड ऑफ डिपार्टमेन्ट, रेस्पीरेटरी मेडिसिन, केजीएमयू, लखनऊ के द्वारा की गई।
इसके बाद एनआईवी डिवाइस सेटिंग, मॉनिटरिंग, ट्रबलशूटिंग और गाईडलाईन्स पर एक विशेष सत्र का आयोजन डॉ अरूणेश कुमार, पारस हॉस्पिटल, गुड़गांव, डॉ अश्विनी मंडाना, डॉ भास्कर आज़ाद, क्लिनिकल हैड, रेसमेड एकेडमी, डॉ एके सिंह, सीनियर पल्मोनोलोजिस्ट, अपोलो मेडिक्स हॉस्पिटल, लखनऊ के द्वारा किया गया, सत्र की अध्यक्षता डॉ वेद प्रकाश, एसोसिएट प्रोफेसर रेस्पीरेटरी एण्ड क्रिटिकल केयर मेडिसिन के द्वारा की गई।
कार्यशाला में विभिन्न क्षेत्रों से विशेषज्ञ डॉक्टरों को एक ही मंच पर आने और अपने विचार साझा करने का मौका मिला। कार्यशाला के दौरान विभिन्न क्षेत्रों से लोगों ने हिस्सा लिया और इस क्षेत्र में अपने अनुभवों को साझा किया।
एक नॉन-कन्वेंशनल वेंटीलेटर, जिसका इस्तेमाल मास्क के साथ किया जाता है, यह मरीज़ की सांस लेने की परेशानी हल करने में मदद करता है, इससे मरीज़ अपने आप को ठीक महसूस करता है और खाना-पीना आदि सभी गतिविधियां सामान्य रूप से कर पाता है। इसके चलते मरीज़ कई अन्य परेशानियों से भी बच जाता है जैसे सीडेशन, एम्बुलेन्स मुवमेन्ट आदि। इसके अलावा अस्पताल से जल्दी छुट्टी मिलने के कारण इलाज की लागत भी कम हो जाती है।
इस मौके पर डॉ ए के सिंह ने कहा ‘‘मैं रेसमेड एकेडमी के प्रति आभारी हूं, जिसने लोगों और डॉक्टरों के लिए इतनी महत्वपूर्ण शैक्षणिक कार्यशाला का आयोजन किया है। आजकल एनआईवी का इस्तेमाल एक्यूट केयर में बड़े पैमाने पर किया जा रहा है। इस तरह की कार्यशालाएं डॉक्टरों को एनआईवी इनोवेशन्स के बारे में जानकारी देकर मरीज़ का बेहतर तरीके से इलाज करने में मदद करती हैं।’’
डॉ बीपी सिंह ने रेसमेड एकेडमी के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा, ‘‘एनआईवी सांस की बीमारियों के इलाज के लिए आधुनिक इनोवेशन है। यह न केवल सांस की बीमारियों के इलाज में मदद करता है बल्कि कई अन्य समस्याओं जैसे ओबेसिटी, हाइपरटेंशन और स्लीप एपनिया में भी मददगर पाया गया है।’’
‘इस तरह की कार्यशालाएं न केवल डॉक्टरों बल्कि मरीज़ों के लिए भी फायदेमंद हैं। स्वास्थ्यसेवा के भविष्य जैसे टेलीमेडिसिन भी एनआईवी इनोवेशन से लाभान्वित हो सकते हैं।’’ उन्होंने कहा।

रेसमेड इण्डिया के बारे में
रेसमेड सांस की बीमारियों के इलाज एवं प्रबंधन के लिए आधुनिक चिकित्सा उत्पादों के विकास, निर्माण एवं विपणन में विश्वस्तर पर अग्रणी है। रेसमेड नींद एवं सांस की बीमारियों की आधुनिक चिकित्सा तकनीकों तथा विश्वस्तर पर इनके वाणिज्यीकरण में सक्रिय है। इसकी 6000 से अधिक कर्मचारियों की टीम पेशेवर, तकनीकी, विपणन, चिकित्सा एवं निर्माण कौशल से युक्त है। रेसमेड दुनिया के 100 से अधिक देशों में अपने प्रत्यक्ष कार्यालयों एवं वितरकें के नेटवर्क के माध्यम से उत्पादों की व्यापक रेंज को बेचती है।

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