सरकार एफडीआइ पर चर्चा के साथ वोटिंग को तैयार!

एफडीआइ समेत अन्य मुद्दों पर संसद में बने गतिरोध को तोड़ने के लिए सरकार द्वारा बुलाई गई सर्वदलीय बैठक शुरू हो गई है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, एफडीआइ के मसले पर भाजपा और वामदल संसद द्वारा वोटिंग वाले नियम के तहत चर्चा कराने की माग पर सरकार लगभग सहमत हो गई। इसके लिए सरकार ने भी अपनी पूरी रणनीति लगभग तैयार कर ली है।

संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दो दिन बर्बाद होने के बाद कई जरूरी विधेयक पारित कराने को लेकर सरकार की बेचैनी बढ़ती जा रही है। जिसके बाद संसद में जारी गतिरोध दूर करने के लिए संसदीय कार्य मंत्री कमलनाथ ने सोमवार को सर्वदलीय बैठक बुलाई है। संसद में गतिरोध मौजूदा सत्र के पहले ही दिन यानी 22 नवंबर से जारी है। हालांकि बैठक से पहले कमलनाथ ने एफडीआइ पर वोटिंग वाले नियम के तहत चर्चा कराने पर सहमति की ओर इशारा किया है। यहां मालूम हो कि विपक्ष के साथ-साथ संप्रग के कई घटक दल और बाहर से समर्थन दे रहे दल भी एफडीआइ पर सरकार से रुख से सहमत नहीं हैं।

उल्लेखनीय है कि मुख्य विपक्षी दल भाजपा के अलावा वामदल खुदरा क्षेत्र [रिटेल] में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश [एफडीआइ] पर लोकसभा में नियम-184 के तहत चर्चा और वोटिंग की जिद छोड़ने को तैयार नहीं हैं। सूत्रों की मानें तो सर्वदलीय बैठक में भी भाजपा और वामदल इसी साझा रणनीति पर कायम रहेंगे। भाजपा और वामदल मानकर चल रहे हैं कि वोटिंग की नौबत आने पर एफडीआइ के विरोध में, सपा लोकसभा से बहिर्गमन कर और बसपा सदन में रहकर सरकार की मदद कर सकती है, फिर भी वे ऐसा कर सरकार की फजीहत कराना चाहते हैं। गौरतलब है कि जद-यू और तृणमूल काग्रेस भी एफडीआइ पर सरकार के खिलाफ वोटिंग करेंगे।

पेंशन और बीमा क्षेत्र समेत अन्य कई जरूरी विधेयकों को संसद से पारित कराने के मद्देनजर सरकार विपक्ष से दुश्मनी मोल नहीं लेना चाहती। यही वजह है कि वह विपक्षी दलों को बार-बार मनाने की कोशिश कर रही है। प्रधानमंत्री की तरफ से डिनर डिप्लोमैसी के जरिये सबको साधने की कोशिशें नाकाम होने के बाद संसदीय कार्य मंत्री की तरफ से सभी दलों के साथ बैठक सरकार की इसी रणनीति का हिस्सा है। सूत्रों की मानें तो इसके बाद भी बात नहीं बनी और लोकसभा में सरकार अपनी जीत का भरोसा सुनिश्चित कर सकी तो अंत में वह वोटिंग के लिए भी राजी हो सकती है।

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