सुबह नौ बजे से शाम पांच बजे तक की नौकरी बस एक भ्रम है! और एक्टर्स के लिये तो ऐसी नौकरी का सपना देखना तो बिल्कुल बेमानी है, क्योंकि वे हमेशा अपने दर्शकों का मनोरंजन करने के लिये रात-दिन काम करते रहते हैं। ऐक्टिंग को उनका सबसे बड़ा जुनून माना जा सकता है लेकिन कैमरे के पीछे उन्हें जिस तरह के दबाव का सामना करना पड़ता है उसके बारे में दर्शकों को जानकारी कम ही होती है। टेलीविजन ऐक्टर रौहिताश्व गौड़ -ज्ट के ‘भाबीजी घर पर हैं‘ के अपने तिवारीजी की भूमिका के लिये ज्यादा जाने जाते हैं। उनका मानना है कि आगे बढ़ते रहने के लिये अपने काम से स्विच ऑन और स्विच ऑफ करना जरूरी होता है।
पिछले 28 सालों से इस इंडस्ट्री का हिस्सा रहे रोहिताश्व के जीवन में कई बार ऐसे पड़ाव आये जब उन्हें मानसिक रूप से खुद को काम से अलग करने की जरूरत महसूस हुई। रोहिताश्व कहते हैं, ‘‘टेलीविजन पर काम के लंबे घंटे थका देने वाले और नुकसानदायक होते हैं। अपने शरीर पर ध्यान ना देते हुए हमें घंटों-घंटों शूटिंग करनी पड़ती है। इसकी वजह से खुद को शारीरिक और मानसिक रूप से तरोताजा करने के लिये बहुत ही कम वक्त मिल पाता है।’’
इस मानसिक दबाव में खुद को फंसा हुआ पाने की एक घटना को याद करते हुए, रोहिताश्व कहते हैं, ‘‘मुझे याद है एक बार मुझे लगातार 50 घंटे शूटिंग करनी पड़ी थी, जिसकी वजह से घर जाने के दौरान मैं ड्राइविंग में लगभग अपना कंट्रोल खो बैठा था। वह मेरे लिये डरावना अनुभव था, जिसका प्रभाव मुझ पर पड़ा था और उस घटना ने मुझे मजबूर किया कि मैं इस स्थिति की जिम्मेदारी लूं’’ आगे अपनी बात जोड़ते हुए उन्होंने कहा,‘‘ऐक्टर्स के साथ यह बहुत ही आम बात होती है कि हम अक्सर सेट्स पर घबराहट और नींद की कमी की वजह से गिर पड़ते हैं और गंभीर मामलों में अस्पताल तक भागने की नौबत आ जाती है। प्रसारण के सख्त डेडलाइन्स की वजह से डायरेक्टर्स को मजबूरीवश अस्पताल आकर ऐक्टर का क्लोज़-अप शॉट लेना पड़ता है, जहां एक बार फिर हमें अपनी परफॉर्मेंस को बेहतर बनाये रखना पड़ता है। इसलिये यह बहुत जरूरी है कि हम काम से स्विच ऑन और स्विच ऑफ करें और एक संतुलित जिंदगी जियें। काम आपके जीवन का हिस्सा है, सबकुछ नहीं।’’
देखिये, ‘भाबीजी घर पर हैं’, हर सोमवार से शुक्रवार, रात 10.30 बजे केवल -ज्ट पर