भगवान श्री कामता नाथ चित्रकूट एवं भगवान श्री राम राजा सरकार ओरछा की असीम कृपा के पात्र जिन्होंने केवल ईश्वर कृपा से बुन्देलखण्ड क्षेत्र में अपनी पहचान बनाई हो ऐसे योग्य कर्मठ, कर्मयोगी समाजसेवी संतोष कुमार गंगेले (कर्मयोगी) ने आज अपने जीवन के 56 बसंत पूरे कर लिये है। उन्हंे हम सभी हार्दिक बधाई व शुभ कामानायें देते है। श्री संतोष कुमार गंगेले का नारा है- कर्म के द्वारा भाग्य को बदलने की ताकत हम रखते है। प्रेम, प्यार से दुश्मन को झुकाने की ताकत हम रखते है। एक सपना लेकर हम आपके बीच आ रहे है। मन चंचल है, मन को बॉधने घर-घर जा रहे है।।’
समाजसेवी श्री संतोष गंगेले का जन्म 11 दिसम्बर 1956 को एक छोटे से ग्राम बीरपुरा (नौगॉव ) में कृषक/संत श्री हरिहर बाबा जी के परिवार में जन्म लेकर बचपन से आज तक संघर्ष का जीवन व्यतीत करते आ रहे है मन कर्म बचन के पक्के यह कर्मयोगी पर भगवान श्री राम राजा सरकार की महती कृपा है जिस कारण आज इस मुकाम तक पहुॅच सका है। आज के इस युग में अपना चरित्र बचाकर समाज में अपना स्थान बनाने बाले बहुत ही कम लोग समाज में नजीर/उदाहरण बनकर आगे आते है। आपने अपने जीवन में आत्मबल को ही उचित स्थान देकर भारतीय संस्कृति-संस्कारों के साथ-साथ प्रथाओं, परंपराओं को आगे बढ़ाने केलिए अपने जीवन का कर्मयोग की कसौटी पर कसा है समाज में शिष्टाचार, औपचारिकता, आदर, मान-सम्मान, स्वागत, सत्कार, अभिवादन, प्रेम, करूणा, दया, योग्यता अनुभव, नम्रता, सरलता, मर्यादाओं, कृतज्ञता, उदारता, आदर्ष, समर्पण, साहस, शक्ति, वुद्धि, विवेक, ज्ञान के माध्यम से नियम व संयम को अपना प्रिय मित्र बना रखा रहा है। श्रीराम चरित मानस ग्रन्थ को अपने जीवन का आदर्ष मानकर जीवन का घर-परिवार, समाज व देश को समर्पित करने का संकल्प है। उनका यह संकल्प है कि किस तरह पूरा हो इसलिए भारतीय संस्कृति एवं संस्कारों को लेकर सन् 1981 से पत्रकारिता एवं जन जाग्रति अभियान को शुरू किया है जो लगातार जारी है।
समाज में सामाजिक कार्य करने बालों का सम्मान करना, गुरूजन शिक्षकों, संतों महापुरूषों का सम्मान करना, समाज सुधारक व्यक्तियों को प्रोत्साहित करना, होनहार बच्चों को प्रोत्साहित करना, पीड़ित परेशान निचले व दबे कुचले लोगों की मदद करना एवं करवाना, आम जनता की आवाज बनकर कार्य करते आ रहे है। आम नागरिकों को वह अपने संदेशों के माध्यम से अपनी बात पहुँचाते है तथा बच्चों के बीच जाकर बाल सभायें करवा कर उन्हे जाग्रत करते है। पत्रकारिता एवं लेखन के माध्यम से अपनी कलम को जनहित में चलाया। नौगाँव नगर में अनेक पत्रकार सम्मेलन कराते हुये उन्होने हमेशा पत्रकारिता को एक मिषन के रूपमें देखते चले आ रहे है। वर्तमान समय मे समाज सेवा करना एक मजाक सा बनता जा रहा है लेागों को ऐसे कार्य करने बालों को प्रोत्साहित करना चाहिये लेकिन प्रोत्साहित कम ही लोग करते है ऐसे लोगों की समाजसेवा पर संदेह तो करते ही है अलोचनाओं का पिटारा खोलकर अपने मन की ग्रन्थियाँ संकट में स्वयं डाल देते है। कीचड़ में ही कमल खिलते है, जिनका बचपन संघर्षमय रहा है, ऐसे व्यक्ति ही अपने जीवन में सफलता प्राप्त कर पाते है।
आज श्री संतोष गंगेले जी के जीवन की दीर्घायु की हम सभी कामनाएँ करते है कि वह अपने समाज सेवा के लक्ष्य को पूरा करें तथा समाज को नई दिशा दें। ईश्वर उन्हे इतना सामर्थ व शक्तिशाली बनाये कि वह समाज में पीड़ित परेशान, दुःखित अनाथों की मदद कर सके। अशिक्षा के कंलक को मिटाकर भारतीय संस्कृति एंव संस्कारों को बचाने केलिए वह अपने अभियान में सफल हो। आज के युग में समाज सेवा एक राजनीति व दिखावा है लेकिन बिना किसी के सहयोग व स्वार्थ के साथ समाज सेवा में लगने वाले व्यक्ति को ही हम एक आदर्श नागरिक एवं सम्मानीय मानवता की उपाधि दे सकते है। अपना सुधार ही परिवार, समाज व देश के विकास में महत्व पूर्ण भूमिका है।
1 thought on “संतोष कुमार गंगेले ने पूरे किए अपने जीवन के 56 बसन्त”
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aadarniy sampadak ji aapko sahyog hi mujhe jeewandaan de raha hai. aapka protsahan mera maarg darshar hai. santosh gangele